
१. श्री. शिवशंकर स्वामी का परिचय
श्री. शिवशंकर स्वामी अंबाजोगाई (जिला बीड) के निकट उजनी के रहने वाले हैं । श्री. स्वामी ने पुणे के महानगरपालिका के विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की, तो ‘स्व-रूपवर्धिनी संस्था’ में स्वामी विवेकानंद शाखा के युवक के रूप में शिक्षा ग्रहण की है । उनके पिताजी का ‘ट्रैवल्स (यात्रा परिवहन)’ का व्यवसाय है । उनका बचपन १० फीट x १० फीट वाले घर में व्यतीत हुआ । उन्होंने १०वीं के उपरांत ‘आईटीआई’ में (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में) प्रवेश लिया । उनके घर की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए वे उनके गुरुस्थान पर ‘समस्त हिन्दुत्ववादी अग्रणी दल’ के कार्याध्यक्ष श्री. मिलिंद एकबोटे के कार्यालय में नौकरी करने लगे ।
विशेष सदर
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज हेतु जिस प्रकार उनके सैनिकों एवं सेनापतियों का त्याग सर्वोच्च है, उस प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा हेतु ‘सैनिक’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी तथा हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु उनके संघर्ष की जानकारी देनेवाले ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’ इस लेख द्वारा अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी !
– संपादक
२ . कार्य का आरंभ
एक दिन श्री . मिलिंद एकबोटे के कार्यकर्ता गायों की मुक्ति के लिए चाकण परिसर में गए, तो श्री. स्वामी भी उनके साथ गए । लक्ष्मीपूजन के दिन ही चाकण बाजार में कत्ल के लिए ले जाई जा रही २९ गायों का ट्रक पुलिस की सहायता से पकड़ा । इस घटना के उपरांत श्री. स्वामी को गोरक्षा में रुचि उत्पन्न हुई । केवल १७ वर्ष की आयु में उन्होंने पूर्णकालिक गोरक्षा के कार्य में स्वयं को समर्पित कर दिया । इस कार्य में उनके माता-पिता का भी पूर्ण समर्थन मिला ।
३ . कार्य करते समय आई जानलेवा परिस्थितियां
अ . वर्ष २०१७ में श्रीगोंदा पुलिस थाने की सीमा में श्री. स्वामी को जान से मारने का प्रयास किया गया । काष्टी में कत्ल के लिए ले जा रहे १२ बैलों के टेम्पो को स्वामी ने पकड़ा । इस संबंध में अपराध पंजीकृत करते समय १०० धर्मांध पुलिस थाने में जमा होकर गाली-गलौज करते हुए धमकियां देने लगे । तदुपरांत हुई हाथापाई में श्री. स्वामी के चार सहकर्मी घायल हो गए । इनमें से एक अभी भी बोल नहीं पाते । उस समय कार्यकर्ताओं तथा पुलिस की सहायता से श्री. स्वामी बच गए । अनेक बार जान से मारने का प्रयास, पाकिस्तान से भ्रमणभाष पर आनेवाली जान से मारने की धमकियां, ऐसी सभी परिस्थितियों को संभालते हुए श्री. स्वामी ने अपना कार्य और तीव्रता से आरंभ रखा ।
आ . एक बार अहिल्यानगर से पुणे आते समय श्री. स्वामी को जानवरों को कत्ल के लिए लेकर जा रहा टेम्पो दिखाई दिया । धर्मांध कसाइयों को यह पता चलने के उपरांत उन्होंने श्री. स्वामी की गाड़ी का पीछा करते हुए उनकी चलती गाड़ी पर हंसिए, धारदार तलवारों तथा लाठियों से आक्रमण किया । श्री. स्वामी के आळेफाटा पुलिस थाने पहुंचने के बाद भी आक्रमण चालू ही था । उसके बाद आक्रमण करने वालों पर अपराध पंजीकृत किया गया । श्री. स्वामी को मारने के लिए अहिल्यानगर की एक मस्जिद में १ करोड़ रुपये एकत्रित किए गए थे ।
इ . वर्ष २०१९ में महाराष्ट्र के कुछ कसाइयों ने एकत्र आकर श्री. स्वामी को समाप्त करने के लिए ७ करोड़ रुपये एकत्रित किए । जिसने सुपारी ली, उसने श्री. स्वामी के घर की ‘रेकी’ की है, यह जानकारी भी पुलिस को मिली । इससे पहले भी श्री. स्वामी के हाथ-पैर तोड़ने के लिए ८ लाख रुपये की सुपारी दी गई थी । पेरणे फाटा, खेड शिवापूर, अहिल्यानगर, सातारा, सोलापुर, पुणे, धाराशिव, बीड, खडकत, इंदापूर, आळेफाटा जैसे अनेक स्थानों पर उन्हें जान से मारने का प्रयास हुआ; मात्र तब भी वह पीछे नहीं हटे । श्री. स्वामी के नाम से फिरौती वसूल करने वालों को भी उन्होंने स्वयं पकड़कर पुलिस के अधीन दिया ।
लगातार हो रहे आक्रमणों को देखते हुए श्री. स्वामी को वर्ष २०१५ के उपरांत २४ घंटे पुलिस संरक्षण प्रदान किया गया । संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य में दिन-रात २-२ सशस्त्र पुलिस उनके साथ रहती है ।
४. कार्य में सफलता
अ. ८०० से अधिक कसाइयों पर अपराध पंजीकृत करने के लिए अनुवर्तीप्रयास किया (फॉलोअप) तथा कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
आ. ८७ अवैध पशुवध गृहों के विरुद्ध वैध मार्ग से न्यायालयीन संघर्ष कर उन्हें ध्वस्त किया गया, तो ११ पशुवध गृहों को सील किया गया ।
इ. वर्ष २०१९ में पुणे जिले के बारामती में १ सहस्र से अधिक गायों का कत्ल कर उनका मांस वियतनाम, दुबई इन देशों में भेजा जा रहा था, यह श्री. स्वामी को पता चला । श्री. स्वामी ने वहां छापा मारने के पश्चात १२ करोड़ रुपये के ५५ टन गोमांस सहित ७५ गायों को जीवित पकड़ा एवं संबंधितों पर कार्रवाई की गई ।
ई. विदेश में गोमांस भेजने वाले वाहनों को पकड़कर पुलिस के पास सौंपा गया । इसमें पुणे के खडकी में १०० टन, हडपसर में २८.५ टन, बारामती में ५५ टन गोमांस पकड़ा गया तथा संबंधितों पर अपराध पंजीकृत किए गए ।
उ. वर्ष २०११ में श्री. स्वामी को राज्यशासन की ओर से ‘मानद पशु कल्याण अधिकारी’ के रूप में नियुक्त किया गया । यह पद केवल नामोल्लेख के लिए है तथे इस पद के लिए मानधन अथवा कोई लाभ नहीं मिलता । इस पद के कारण केवल पुलिस के सहयोग से गोवंशियों की छुडाने के लिए अनुमति मिलती है ।
५ . विशेष उपक्रम
अ . कसाइयों से गायें अपने पास लेने के उपरातं श्री. स्वामी उन गायों को सरकारमान्य गौशालाओं में भेजते हैं । गायों को केवल कसाइयों के हाथ से छुड़ाकर लाना ही नहीं, अपितु उन गायों का अंत तक पालन-पोषण हो, इस दृष्टि से उठाया गया यह कदम अतिशय महत्वपूर्ण है । इससे अन्य गोरक्षकों को भी श्री. स्वामी की सहायता होती है ।
आ . घर की परिस्थिति अच्छी न होने के कारण किसानों को गाय पालना कठिन होता है, साथ ही गोवंश के वृद्ध होने पर उनका पालन-पोषण करने की आर्थिक क्षमता न होने के कारण अधिकतर किसान यह गोवंश कसाइयों अथवा पशुवध गृहों को बेच देते थे । यह रोकने के लिए श्री. स्वामी ने किसानों को मूल मूल्य से १ सहस्र रुपये अधिक देकर उन्होंने अब तक २५०० से अधिक गायें गौशाला में भेजी हैं ।
गोरक्षक श्री. शिवशंकर स्वामी का आवाहन
‘गोब्राह्मणप्रतिपालक छत्रपति शिवाजी महाराज ने अत्यंत अल्प आयु में कसाई का हाथ तोड़कर गोरक्षा की तथा गोरक्षा का महत्व सभी हिन्दू बंधुओं को दिखाया । आज पुलिस तथा स्थानीय हिन्दू बंधुओं को इस कार्य में आगे आने की आवश्यकता है । गाय बेचते समय उन्हें कसाइयों को न बेचकर गौशाला में भेजो’, ऐसा आह्वान गोरक्षक श्री. शिवशंकर स्वामी लगातार कर रहे हैं ।