इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ न केवल परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण है, अपितु अपनेआप में हर प्रकार से अद्वितीय भी है । महाकुंभ प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक धर्म, संस्कृति तथा परंपरा के साथ-साथ समाजिकता और व्यवसाय का एक बडा मंच रहा है । महाकुंभ में विश्व भर से आनेवाले श्रद्धालुओं के कारण राज्य सरकार को आर्थिक लाभ मिलेगा ।
ब्रिटिश सरकार भी कुंभ के सफल आयोजन के लिए सदा प्रयासरत रहती थी । अंग्रेजों के लिए यह भले ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं था; परंतु उनके लिए आर्थिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण था । सन १९०६ तक महाकुंभ के आयोजन में ब्रिटिश भारत की सरकार जितना खर्च करती थी, उससे अधिक इस मेले से उसे राजस्व मिल जाता था ।
इसको देखते हुए प्रयागराज महाकुंभ २०२५ की तैयारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष २०२२ में ही आरंभ कर दी थी । उनकी अध्यक्षता में वर्ष २०२२ में ही महाकुंभ २०२५ को लेकर पहली बैठक आयोजित की गई थी । उस समय मुख्यमंत्री योगी ने प्रयागराज के कई दौरे किए थे । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस आयोजन को लेकर बहुत रुचि दिखाई ।
यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकुंभ आयोजन की तैयारियों का स्वयं जायजा लेने के लिए प्रयागराज पहुंचे । प्रधानमंत्री मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी ने महाकुंभ आयोजन से जुडी कई परियोजनाओं का शिलान्यास/लोकार्पण/अनावरण/उद्घाटन भी किया । इस प्रकार इस आयोजन को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए मोदी और योगी जी-जान से लगे थे ।
प्रयागराज को दिया आकर्षक रूप

प्रयागराज में आनेवाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए शहर को विशेष रूप देने का प्रयास किया है । प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने शहर की दीवारों और प्रमुख चौराहों को भव्य रूप देने के लिए अलग से ६० करोड रुपए का बजट रखा है । इसमें शहर के प्रमुख दीवारों पर स्ट्रीट आर्ट, चौराहों पर म्यूरल्स (भित्ति चित्र), विभिन्न शैली की मूर्तियां (स्कल्पचर), लैंड स्केपिंग, ट्रैफिक साइन, ग्रीन बेल्ट व हॉर्टिकल्चर आदि का कार्य सम्मिलित है ।
शहर की दीवारों पर धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के विभिन्न प्रतीकों को अंकित किया है । इनपर इस प्रकार के चित्र बनाए हैं, जैसे वे आपसे संवाद कर रहे हों । इस प्राचीन नगरी के बारे में आपको बता रहे हों । श्रद्धालुओं का आधुनिकता के बीच धार्मिकता एवं सांस्कृतिक संगम में स्वागत कर रही हों । इस प्रकार शहर के लगभग १० लाख वर्ग फुट में इनका चित्रण हुआ है ।
महाकुंभ नगरी के लिए विशेष परियोजनाएं
इस बार के महाकुंभ में ४५ करोड लोगों के पहुंचने की आशा है । इससे स्थानीय रोजगार, व्यापार, क्षेत्रीय हस्तशिल्प एवं कला के साथ-साथ पर्यटन एवं समग्र विकास को भी बढावा मिला है । कुंभ के कारण सरकार क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को सब प्रकार से विकसित करती है, जिससे अंतत: नागरिकों को लाभ मिलता है और व्यापार को सुगम बनाता है ।
महाकुंभ के लिए राज्य की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ५०० से अधिक परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा है । इनकी कुल लागत लगभग ६,३८२ करोड रुपए है । इनमें सडकों का चौडीकरण, पेयजल की पाइपलाइन बिछाना, नई बसें चलाना आदि के साथ-साथ अन्य प्रकार के बुनियादी ढांचों (मूलभूत संरचनाएं) का विकास सम्मिलित है ।
इस महाकुंभ नगरी को बसाने के लिए ५० हजार से अधिक श्रमिक दिन-रात मेहनत कर रहे थे । जहां आवश्यक था, वहां पुल बनाए गए । जहां पुल बनाना संभव नहीं था, वहां स्टील के फोर लेन अस्थायी ब्रिज बनाए गए । जहां आवश्यक था, वहां रेलवे पुल तक बनाए गए । इतना ही नहीं, प्रयागराज पहुंचनेवाली सारी सडकों का चौडीकरण एवं उनका सौंदर्यीकरण किया गया ।
स्थानीय लोगों को रोजगार
एक अनुमान के अनुसार, इस बार महाकुंभ से ४५,००० परिवारों को रोजगार मिला है । महाकुंभ में २५,००० श्रमिक लगाए गए हैं । महाकुंभ के लिए कौशल विकास के अंतर्गत ४५,००० हजार परिवारों को प्रशिक्षण दिया है । राज्य सरकार ने बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं के ठहरने हेतु शहर में २,००० से अधिक पेइंग गेस्ट फैसिलिटी की सुविधा विकसित की है ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष २०२२ में पर्यटन नीति बनाई थी, जिसमें १० लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा था । ये प्रशिक्षित सेवा प्रदाता महाकुंभ में अपनी बडी भूमिका निभाएंगे तथा रोजगार पाएंगे । इनमें पर्यावरण के अनुकूल कुल्हड, पत्तल-दोने आदि जैसे स्वरोजगार की महत्त्वपूर्ण भूमिका सामने आएगी । इससे लघु उद्योगों को बडे स्तर पर लाभ होगा ।
उत्तर प्रदेश का पर्यटन विभाग टूर गाइड, ड्राइवर, नाविक, स्ट्रीट वेंडर सहित कई प्रकार के सेवा प्रदाताओं को सभी तरह का प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है । उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने एवं नाविकों की आय बढाने के लिए २,००० से अधिक नाविकों को प्रशिक्षित किया है । इसमें श्रद्धालुओं के साथ व्यवहार-कुशलता से लेकर उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने तक की बात सम्मिलित है ।
इतना ही नहीं, कुंभ की अवधि में भोजन की पवित्रता बनाए रखने के लिए स्थानीय महिलाएं मिट्टी के चूल्हे भी बेच रही हैं । इस प्रकार महाकुंभ में आनेवाले श्रद्धालुओं के प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुडे प्रत्येक सेवा प्रदाता एवं लघु उद्योगों से जुडे लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे महाकुंभ में आनेवाले लोगों को धार्मिक एवं सांस्कृतिक अनुभव के साथ-साथ अतिथि सत्कार का अपूर्व आनंद प्राप्त हो ।
महाकुंभ के ‘टेंट सिटी’ में राजसी ठाट-बाट
महाकुंभ में २,००० से अधिक पेइंग गेस्ट के अतिरिक्त, राज्य सरकार ने कुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए २,००० से अधिक स्वीस कॉटेज शैली में टेंट स्थापित किए हैं ।
(संदर्भ – ऑप इंडिया)