अंत तक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के अखंड सान्निध्य में रहनेवाले सनातन के ४६ वें (समष्टि) संत पू. (स्व.) भगवंत कुमार मेनरायजी (आयु ८५ वर्ष) !

वे उनके साथ आए प्रत्येक साधक का नाम लेकर मुझे पूछते, ‘क्या उनका भोजन हो गया ?’ यदि मैं एवं हमारे साथ आए साधकों ने भोजन न किया हो, तो वे हमें भोजन करने के लिए कहते ।

सनातन की ग्रंथमाला : परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का विविधांगी कार्य एवं विचार

शीघ्र ईश्वरप्राप्ति हेतु ‘गुरुकृपायोग’ साधनामार्ग की निर्मिति; साधना, राष्ट्र-धर्म  आदि के विषय में ग्रन्थसम्पदा; आध्यात्मिक शोध; हिन्दू-संगठन; महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय इत्यादि विविधांगी कार्याें की संक्षिप्त जानकारी देनेवाला ग्रन्थ !

महर्षि एवं ‘गुरुतत्त्व’ द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित सनातन के ग्रंथों को ‘वेद’ संबोधित किया जाना

महर्षिजी का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी संकलित सनातन के ग्रंथों को ‘ॐकार वेद’ संबोधित करना

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के अमृत वचन

‘भगवान के आंतरिक सान्निध्य में रहना’, यह ज्ञान होने के लिए गुरुदेवजी की आवश्यकता होती है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की सादगी एवं सरलता !

वर्ष २०१७ में मैंने एक बार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी को सुझाया था, आपका स्थान सभी से भिन्न है । वह अलग ही होना और दिखाई भी देना चाहिए । क्या हम सभी आपके नाम के पहले भिन्न उपाधि लगाएं ?’ इस पर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी ने कहा, ‘‘अभी उसका विचार नहीं करना है ।’’

सनातन के साधक श्री. सोहम मिश्रा को १० वीं कक्षा में सफलता

मुजफ्फरपुर बिहार के साधक सोहम मिश्रा (आयु १६ वर्ष) ने CBSE के १० वीं बोर्ड की परीक्षा में ९५.२ % अंक प्राप्त किये। इसके साथ ही अपने विद्यालय (अंबिका भवानी पब्लिक स्कूल) में दूसरा स्थान भी प्राप्त किया ।

साधको, अनुभूतियां तथा सीखने मिले सूत्रों को लिखकर देने के लाभ समझ लो व तत्परता से लिखकर दो !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी साधकों को उन्हें प्राप्त अनुभूतियां तथा सीखने मिले सूत्र लिखकर देने के लिए कहते हैं । ऐसे सूत्र लिखकर देने से साधकों को होनेवाले लाभ यहां दिए हैं ।