सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘सहस्त्र वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों द्वारा बताए मूलभूत सिद्धांतों में कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकता; क्योंकि उन्होंने चिरंतन सत्य प्रतिपादित किया है । इस कारण उसमें ‘शोध’ कुछ नहीं है । इसके विपरीत बुद्धिप्रमाणवादियों को विज्ञान में निरंतर शोध करना पड़ता है; क्योंकि उनके सिद्धांत कुछ वर्षों में परिवर्तित हो जाते हैं ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक