विविध विषयों के विशेषज्ञ एवं संत

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘व्यवहारिक जीवन में नेत्र विशेषज्ञ को नेत्रों का रोग होता है । हृदय- विशेषज्ञ को हृदय का विकार होता है। मनोचिकित्सक मानसिक विकार से त्रस्त दिखाई देते हैं; परंतु अध्यात्म में संतों को अन्यों के आध्यात्मिक कष्ट दूर करने पर आध्यात्मिक कष्ट नहीं होते । कुछ संतों को शारीरिक कष्ट हो रहे हों, तब भी वे देह-प्रारब्ध के अनुसार होते हैं । उसका परिणाम संतों पर नहीं होता !’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभातʼ नियतकालिक