सनातन के दिव्य ग्रंथों के विविध सेवाओं के लिए साधकों की आवश्यकता !

विविध भाषाओं में लिखित सामग्री को संकलित करना, मुद्रित शोधन (प्रूफ रीडिंग) तथा संरचना (फॉरमेटिंग) करने की सेवा भी उपलब्ध है । आपकी रुचि और क्षमता जिस क्षेत्र में है उसके अनुरूप आप सेवा कर सकते हैं ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के विषय में मार्गदर्शक सनातन की ग्रंथमाला : हिन्दू धर्म एवं धर्मग्रंथों का माहात्म्य

हिन्दू धर्म की निर्मिति किसने और कब की ? हिन्दू धर्म का महत्त्व क्या है तथा ‘हिन्दू’ किसे कहें ? इन प्रश्नोंके उत्तर पढिये “धर्मका मूलभूत विवेचन” इस ग्रंथ में

सनातन के मराठी एवं हिन्दी ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों से ३ जुलाई २०२३ अर्थात गुरुपूर्णिमा के दिन सनातन के मराठी एवं हिन्दी भाषा के ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण किया गया ।

सनातन का आगामी ग्रंथ

प्रस्तुत खण्ड में परात्पर गुरु डॉक्टरजी की अभ्यासवर्गाें में सिखाने की अलौकिक पद्धति, परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा अभ्यासवर्गाें में आनेवाले साधकों को चूकों का भान कराकर साधकों को साधना में आगे ले जाना इत्यादि के विषय में साधकों द्वारा कृतज्ञभाव से लिखकर दिए अनेक सूत्र समाविष्ट हैं ।

‘ई-बुक’ (हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में) स्वरूप में ग्रंथ !

हलाल प्रमाणपत्र पर आधारित एक इस्लामी अर्थव्यवस्था निर्माण करने के षड्यंत्र का विरोध करना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य ही है !

साधना प्रत्यक्ष सिखानेकी पद्धतियां

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी की सीख समझने में सरल, जीवन के छोटे-बडे उदाहरणों के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाली एवं कृति के स्तर पर साधना संबंधी मार्गदर्शन करती है ।

धर्म एवं राष्ट्र की हो रही हानि को रोकने हेतु जागृति करनेवाले ग्रंथ

धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के कारण हो रही भारत की अधोगति रोकने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ की आवश्यकता प्रतिपादित करनेवाला एवं धर्माधिष्ठित राज्यव्यवस्था का महत्त्व विशद करनेवाला ग्रंथ – ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों आवश्यक है ?’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी संबंधी ग्रंथमाला

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीकी गुरुसे हुई भेंट एवं उनका गुरुसे सीखना’ इस ग्रंथ मे पढिये सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीके प्रथम ग्रन्थ ‘अध्यात्मशास्त्र’ से अधिक चैतन्य प्रक्षेपित होता है, यह दर्शानेवाला वैज्ञानिक परीक्षण

घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के संकलित ग्रंथ शीघ्र ही प्रकाशित होने के लिए साधकों की आवश्यकता !

ग्रंथमालाएं अधिक वेग से होने के लिए अनेक लोगों की सहायता की आवश्यकता है । अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार ग्रंथ-निर्मिति की सेवा में सहभागी होकर इस स्वर्णिम अवसर का अधिकाधिक लाभ लें !

पिछले एक वर्ष में सनातन की विभिन्न भाषाओं में ३४ नए ग्रंथों का प्रकाशन तथा २५४ ग्रंथ-लघुग्रंथों का पुनर्मुद्रण !

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए घोर आपातकाल आरंभ होने से पूर्व ही ‘ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार करना’ आज के समय की श्रेष्ठ साधना है !’, ये सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी के उद्गार हैं ।