युवकों के सामने, ‘धर्म के लिए कैसा बलिदान होना चाहिए ?’, इसका आदर्श रखनेवाली फिल्म ‘छावा’ !

‘देश धर्म पर मिटने वाला, शेर शिवा का छावा था ।
महापराक्रमी परम प्रतापी, एक ही शंभू राजा था ॥’,

जिस छत्रपति संभाजी महाराज का ऐसा वर्णन किया जाता है, उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘छावा’ १४ फरवरी को प्रदर्शित हुई । यह फिल्म भले ही पूर्णरूप से हिन्दुत्व के प्रति समर्पित हो अथवा छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन में घटित कुछ ही घटनाएं दिखाती हो, तब भी यह फिल्म आज के युवकों के सामने ‘धर्म के लिए बलिदान कैसा होना चाहिए ?’, इसका आदर्श रखती है । यह फिल्म प्रदर्शित होने से पूर्व उसके संबंध में कुछ विवाद उत्पन्न हुए थे; परंतु फिल्म के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने इस फिल्म में गलत इतिहास रखने की अपेक्षा उन्होंने लोगों के सामने एक महान राजा का जीवनचरित्र पहुंचाने का प्रामाणिक प्रयास किया है !

भव्य लडाईयां तथा अच्छे सेट्स !

छत्रपति शिवाजी महाराज के देहत्याग के उपरांत मुगलों तथा औरंगजेब को धूल चटाने का काम यदि किसी ने किया, तो वह छत्रपति संभाजी महाराज ने ! इस फिल्म के माध्यम से उनकी महानता, शौर्य एवं धर्म के प्रति उनका अभिमान तथा धैर्य, उनके ये सभी गुण दिखाने का प्रयास किया गया है । इस फिल्म को हिन्दी भाषा में बनाने से छत्रपति संभाजी महाराज का जीवनचरित्र तथा मराठों का इतिहास देश के कोने-कोने तक पहुंचाने में सहायता मिली है । इस फिल्म के माध्यम से छत्रपति संभाजी महाराज ने जो लडाईयां लडीं, उन्हें अच्छे ढंग से चित्रित किया गया है । इन लडाईयों के माध्यम से मराठों ने कूटनीति का उपयोग कर किस प्रकार मुगलों को धूल चटाई, उसे बहुत अच्छे ढंग से दिखाया गया है । औरंगजेब की सेना जब डेक्कन में आती है, उस समय संख्या में अल्प मराठे औरंगजेब की सेना को कैसे पराजित करते हैं, इसका बहुत ही सजीव चित्रण किया गया है ।

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Chhaava | Official Trailer | Vicky K | Rashmika M | Akshaye K | Dinesh Vijan | Laxman U | 14th Feb

(सौजन्य : Maddock Films) 

अभिनेता विकी कौशल का अभिनय !

इस फिल्म में अभिनेता विकी कौशल ने छत्रपति संभाजी महाराज के व्यक्तित्व को पूरी तरह से सजीव किया है । छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका साकार करने के लिए उन्होंने बहुत परिश्रम किया है । यह भूमिका साकार करने के लिए उन्होंने इतिहास का अध्ययन किया । जिस समय विकी कौशल अंतिम लडाई से पूर्व ‘नम: पार्वती पतये हर हर महादेव’ कहते हैं, उस समय शरीर पर पूरी तरह से रोमांच आ जाते हैं । मुगलों के साथ अंतिम लडाई में तो विकी कौशल ने अक्षरशः अपने प्राण झोंक दिए हैं । इस लडाई के माध्यम से छत्रपति संभाजी महाराज की भीषण शारीरिक शक्ति भी सामने आती है ।

फिल्म के अंतिम १५ मिनट छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान पर !

श्री. अजय केळकर

‘छत्रपति शिवाजी महाराज ने सिखाया, हिन्दू धर्म के लिए कैसे जीना चाहिए, जबकि छत्रपति संभाजी महाराज ने सिखाया कि ‘धर्म के लिए बलिदान कैसे होना चाहिए ?’ फिल्म के अंतिम १५ मिनट में यही भाग बहुत स्पष्टता से रखा गया है । इस फिल्म में औरंगजेब द्वारा छत्रपति संभाजी महाराज को बंदी बनाए जाने से लेकर उनकी मृत्यु तक की जो भी घटनाएं दिखाना संभव हो पाया है, उन्हें दिखाया गया है । छत्रपति संभाजी महाराज के नाखून कुरेदना, उनकी आंखें फोडना, लहुलुहान शरीर पर ‘नमक’ डालना तथा उनकी जीभ खींचकर बाहर निकालना जैसे प्रसंग देखकर फिल्म देखनेवाले दर्शक पूरी तरह स्तब्ध रह जाते हैं तथा यह देखकर जिसकी आंखें नम नहीं हुईं, ऐसा एक भी दर्शक सिनेमाघर में नहीं होता । औरंगजेब छत्रपति संभाजी महाराज की आंखें निकालता है, तदुपरांत वह ‘छत्रपति संभाजी महाराज से धर्मपरिवर्तन का आवाहन करता है’ । उस समय छत्रपति संभाजी महाराज उसे हिन्दू धर्म का महत्त्व बताते हैं । यह दृश्य बहुत ही अच्छे ढंसे चित्रित किया गया है ।

अन्य कलाकारों का अभिनय !

इस फिल्म में विकी कौशल के समानांतर अभिनय अन्य किसी कलाकार ने किया है, तो वह अक्षय खन्ना ने । उनके द्वारा साकार किया गया ‘औरंगजेब’ का व्यक्तित्व ! भयंकर क्रूरकर्मी औरंगजेब अंत में छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या करने के उपरांत जब ‘छत्रपति राजाराम महाराज’ के स्वराज्य के छत्रपति बनने का समाचार सुनता है’, उस समय अत्यंत हताश होकर वह भूमि पर गिर जाता है । यह दृश्य बहुत ही सुंदर पद्धति से चित्रित किया गया है । अभिनेता आशुतोष राणा एवं संतोष जुवेकर द्वारा अभिनीत सैनिकों के व्यक्तित्व भी अच्छे से साकार किए गए हैं तथा छत्रपति संभाजी महाराज की धर्मपत्नी येसूबाई की भूमिका दक्षिण की अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ने निभाई है । उसने भी छत्रपति की पत्नी की विचारधारा कैसी होनी चाहिए तथा वह किस प्रकार स्वराज्य का विचार कर सकती हैं, यह बहुत अच्छे ढंग से निभाया है ।

#Chhaava Review : A Compelling Movie that powerfully depicts the greatest sacrifice for Dharma!

कुल मिलाकर पैसा तथा केवल स्वयं के ‘कैरियर’ के लिए परिश्रम करनेवाली युवा पीढी को ‘स्वराज्य’ एवं ‘स्वधर्म के प्रति निष्ठा’ सिखानेवाली यह फिल्म ‘छावा’ सपरिवार देखने योग्य है !

– श्री. अजय केळकर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र. (१४.२.२०२५)