भोजन-पूर्व आचारों का अध्यात्मशास्त्रीय आधार
देवता को भोग लगाने के उपरान्त उस अन्न को देवता का प्रसाद मानकर ग्रहण करने से उस अन्न से देवता के तत्त्व एवं चैतन्य का लाभ होता है ।
देवता को भोग लगाने के उपरान्त उस अन्न को देवता का प्रसाद मानकर ग्रहण करने से उस अन्न से देवता के तत्त्व एवं चैतन्य का लाभ होता है ।
हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया एक है । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है । इस वर्ष २२ अप्रैल २०२३ को अक्षय तृतीया है ।
प्राचीनकाल से ही हिन्दू धर्म में ऋषि-मुनियों की सहायता से जीवन की प्रत्येक क्रिया को उचित दिशा में मोडकर एक प्रकार से उसे सत्त्वगुणी रूप दिया गया है । इसी को ‘आचरण’ कहते हैं ।
पुरुषों को प्रतिदिन, तथा स्त्रियों को सप्ताह में न्यूनतम दो बार केश धोने चाहिए । केश की गुणवत्ता और आरोग्य केवल केश धोने पर ही अवलंबित नहीं होता, अपितु इसे किस पदार्थ से धोते हैं, इसपर भी अवलंबित होता है ।
अमेरिका की ‘सिलिकॉन वैली बैंक’ के दिवालिया होने के कारण पुनः एक बार अंतरराष्ट्रीय हाट (बाजार) में उथल-पुथल (खलबली) मच गई है । इसके कारण भारतीय शेयर बजार बडे स्तर पर नीचे (गिर) आ गया है ।
इसमें अनिवार्य यह है कि इस पृथ्वी पर केवल मनुष्य ही नहीं, जीव-सृष्टि को टिकाए रखना है, तो उसके लिए अधिकांश लोग सनातन विचारों के साथ जीवन व्यतीत करनेवाले होने चाहिए; क्योंकि अहिंसा हिन्दू धर्म का सबसे बडा तत्त्व है ।
‘तहसीन पूनावाला’ प्रकरण में अपराध पंजीकृत कर इसका अन्वेषण अगले स्तर पर पहुंच गया है, साथ ही आवाज के उदाहरण भी न्याय-चिकित्सकीय प्रयोगशाला को भेजे गए हैं तथा वे शीघ्र ही अन्वेषण विभाग को मिलेंगे ।
गुरुदेवजी की कृपा से बीजों का रोपण अच्छा होने से अन्य साधकों ने भी उनके लिए मुझे रोपण करने की विनती की । ‘गुरुकृपा से मुझे छत पर सब्जियां लगाने तथा साधकों की सहायता करने का अवसर प्राप्त हुआ’, इसके लिए मैं गुरुचरणों में कृतज्ञ हूं ।
‘वर्तमान में ग्रीष्म ऋतु आरंभ हो गया है । इस समय देह का तापमान बढना, पसीना आना, शक्ति क्षीण होना आदि कष्ट होते हैं । तापमान बढने पर व्यक्ति के बेसुध (बेहोश) होने से (उष्माघात होने पर, होश-हवास खोकर) मृत्यु के भी कुछ उदाहरण हैं ।
‘भारतीय कालमापन पद्धति में ‘तिथि’ का महत्त्व है; परंतु वर्तमान में ‘ग्रेगोरीयन’ (यूरोपीय) कालगणना के अनुसार भारत में तिथि का उपयोग व्यवहार में न करते हुए केवल धार्मिक कार्य के लिए ही होता है । प्रस्तुत लेख द्वारा तिथि का महत्त्व एवं व्यक्ति की जन्मतिथि निश्चित करने की पद्धति समझ लेंगे ।