जळगांव (महाराष्ट्र) एवं सोनपुर (बिहार) के साधकों को ‘घर-घर में खेती अभियान’ के अंतर्गत प्राकृतिक पद्धति से खेती करते समय सीखने एवं अनुभव करने के लिए मिले सूत्र

१. श्री. शांताराम पाटील, चोपडा, जळगांव, महाराष्ट्र

श्री. शांताराम पाटील

१ अ. सीखने के लिए मिले सूत्रे

१ अ १. ‘घर-घर में खेती’ अभियान के अंतर्गत सब्जियों के देशी बीज प्राकृतिक पद्धति से बीज अंकुरण की प्रक्रिया कर बोना एवं ९० से ९५ प्रतिशत बीज बोए जाने से आनंद होकर खेती के प्रति उत्कंठा बढना : ‘मुझे पहले से ही औषधीय वनस्पतियां, सब्जियां एवं फलों के वृक्षों की खेती करने में रुचि थी । वर्ष २०१२ से ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से ‘घर-घर में खेती अभियान’ आरंभ हुआ । तब हमें पुणे, महाराष्ट्र की श्रीमती ज्योति शाह का मार्गदर्शन मिला । तब से खेती के प्रति मेरा उत्साह बढ गया । तत्पश्चात मैंने देशी सब्जियों का बीज प्राप्त कर उन पर अंकुरण की प्रक्रिया की एवं प्राकृतिक पद्धति से छत (टेरेस) पर गमलों में उनकी बुआई की । इनमें से ९०-९५ प्रतिशत बीज फलित हुए । इससे मुझे आनंद हुआ । खेती के प्रति मेरी उत्कंठा बढती गई । गुरुदेवजी की कृपा से बीजों का रोपण अच्छा होने से अन्य साधकों ने भी उनके लिए मुझे रोपण करने की विनती की । ‘गुरुकृपा से मुझे छत पर सब्जियां लगाने तथा साधकों की सहायता करने का अवसर प्राप्त हुआ’, इसके लिए मैं गुरुचरणों में कृतज्ञ हूं ।

लौकी
ऐरावती (जख्मे हयात)
इन्सुलिन

१ अ २. उर्वरक (टिप्पणी १) डालने से तथा पौधों पर छाया करने से पौधों का तीव्र गति से बढना एवं इससे आनंद मिलना : बीजों से निर्मित पौधे कुछ बडे होने के पश्चात मैंने उन्हें गमलों में लगा दिया । बेल जैसे पौधे छत पर ईंटोंवाले प्लांटर बॉक्स में लगाए । प्रतिदिन मैं एवं मेरी २ वर्ष की पोती कु. किमया छत पर जाकर प्रत्येक पौधे का निरीक्षण करते थे । किमया मुझे पेड-पौधे के विषय में पूछती थी । उसे भी रोपण की सेवा अच्छी लगती है । वह गमलों में पानी एवं उर्वरक डालने में मेरी सहायता करती थी । प्रत्येक १० दिन उपरांत हम उर्वरक बनाकर पौधों में डालते थे । उर्वरक डालने तथा पौधों पर छाया करने से वे तीव्र गति से बढने लगे । इससे मुझे आनंद मिलने लगा ।

टिप्पणी १ – उर्वरक : देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, बेसन एवं गुड से बनाया एक मिश्रण

१ अ ३. सभी पौधों को ‘मिलिबग (मावा)’ नामक कीडा लगने पर किए गए उपचार : कुछ दिनों के पश्चात सभी पौधे ‘मिलिबग (मावा)’ नामक कीडे से संक्रमित हो गए । उनकी मात्रा बढने लगी । उनके उपचार के रूप में पानी में नीम के पत्ते का रस, लाल मिर्च का पावडर एवं गोमूत्र मिलाकर मैंने पौधों पर छिडकाव किया । छिडकाव में गोमूत्र की मात्रा अधिक होने से पौधों का बढना थम गया, पत्ते पीले पडने लगे । इसके ८-१० दिन पश्चात उर्वरक देने पर पौधे धीरे-धीरे पहले जैसे होने लगे ।

२. श्री. राकेश श्रीवास्तव, सोनपुर, बिहार.

श्री. राकेश श्रीवास्तव

२ अ. कुछ औषधीय वनस्पतियों को बढाने में विशेष प्रयत्न करने की आवश्यकता न लगना एवं यह ध्यान में आना कि वर्षा ऋतु में ये पौधे तीव्र गति से बढते हैं : मैंने घर के पास हरसिंगार, एलोवेरा, गिलोय, लेमन ग्रास आदि औषधीय वनस्पतियों की बुआई की है । औषधियों के रूप में मैं इन सभी का उपयोग करता हूं । इन सभी वनस्पतियों को बढाने में मुझे विशेष प्रयत्न नहीं करने पडे । मुझे ध्यान में आया कि ये वनस्पतियां वर्षा ऋतु में तीव्र गति से बढती हैं ।’ (२५.१०.२०२२)