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(हिजाब, मुसलमान महिला द्वारा सिर और गरदन ढंकने के लिए उपयोग में लाया कपडा)
बेंगलुरू (कर्नाटक) – कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य में पीछले पौने दो वर्षाें से जारी हिजाब पर लगाया प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया है । इसके पहले बसवराज बोम्मई की भाजपा सरकार ने कर्नाटक के विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में हिजाब परिधान करने पर प्रतिबंध लगाया था । अब मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने यह प्रतिबंध हटाने का आदेश अधिकारियों को दिया है ।
मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि भाजपा वस्त्रों तथा जातियों को लेकर समाज में तनाव उत्पन्न करने का प्रयत्न कर रही है । महिलाएं हिजाब परिधान कर महाविद्यालयों में जा सकती हैं । पोशाख और खाद्यपदार्थाें का चयन व्यक्तिगत है । मैं इसमें बाधा क्यों लाऊं ? आप चाहते है वैसी वेशभूषा करें , जो चाहते हैं, वह खाएं । मैं धोती परिधान करता हूं, आप पैंट और शर्ट पहनें । इसमें अनुचित क्या है ? मतों के लिए राजनीति न करें । (मतों के लिए राजनीति कौन कर रहा है ? यह सभी जानते हैं ! – संपादक)
हिजाब प्रकरण का इतिहास !
फरवरी २०२२ : राज्य के उडुपी में एक महाविद्यालय में हिजाब परिधान कर आई ६ छात्राओं को कक्षा में प्रवेश नकारा गया था । इसकी प्रतिक्रियाएं केवल देश में ही नहीं, अपितु संसार में उमडी थी । अनेक इस्लामी देशों ने इस बात को लेकर भारत सरकार की आलोचना की थी ।
मार्च २०२२ : हिजाब पर लगाए प्रतिबंध के प्रकरण में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निर्णय देते हुए इसे उचित कहा था । ‘हिजाब परिधान करना इस्लाम के अत्यावश्यक धार्मिक कृत्यों से संबंध नहीं रखता । साथही संविधान की धार्मिक स्वतंत्रता देनेवाली धारा २५ के अंतर्गत यह नहीं आता’, ऐसा स्पष्ट मत न्यायालय ने व्यक्त किया था ।
आगे चलकर राज्य की अनेक शैक्षिक संस्थाओं ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का आरंभ किया । इसके तुरंत पश्चात तत्कालीन बसवराज बोम्मई सरकार ने विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में हिजाब परिधान करने पर प्रतिबंध लगाया । उस समय बोम्मई ने कहा था कि देशांतर्गत समानता तथा सार्वजनिक कानून और सुव्यवस्था को बाधा लानेवाली किसी भी वेशभूषा को स्वीकृती नहीं दी जाएगी ।
अक्टूबर २०२३ : प्रतियोगी परीक्षाओं में मुसलमान छात्राओं को हिजाब परिधान करने के लिए कर्नाटक सरकार ने अनुमति दी थी । कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एम्.सी. सुधाकर ने उस समय कहा था कि, ‘भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए लोगों को अपनी मनपसंद वेशभूषा करने की स्वतंत्रता है ।’
हिजाब प्रकरण वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में प्रलंबित है ।
युवकों में धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का कृत्य ! – भाजपाकांग्रेस के इस निर्णय पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बी.वाय. विजयेंद्र ने कहा कि सरकार युवकों के मन में धार्मिक आधार पर भेदभाव निर्माण करने का प्रयत्न कर रही है । इससे महाविद्यालयों में विद्यमान सर्वसमावेशक वातावरण प्रभावित होगा । हिजाब पर लगाया प्रतिबंध हटाने का मुख्यमंत्री सिद्धारामैया का निर्णय हमारे शैक्षिक स्थलों के धर्मनिरपेक्ष स्वास्थ्य की दृष्टि से चिंताजनक है । विभाजनकारी प्रथाओं की अपेक्षा शिक्षा को प्राथमिकता देना तथा ऐसे वातावरण को प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है । इससे छात्र धार्मिक प्रथाओं के प्रभाव से बचकर शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे । |
संपादकीय भूमिकाव्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर गोमांस खाना, गोहत्या करना आदि को प्रोत्साहित करनेवाले मुख्यमंत्री द्वारा हिजाब पर लगाया प्रतिबंध हटाया जाना, यह कोई आश्चर्य बात है ? कर्नाटक में कांग्रेस को चुननेवाले हिन्दुओं को क्या यह स्वीकार है ? |