मुख्यमंत्री के द्वारा हलाल उत्पादों की जांच के आदेश !
नागपुर (महाराष्ट्र) – अवैधरूप से ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देने के काले धंदे पर उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार वहां के योगी आदित्यनाथ ने प्रतिबंध लगा दिया है, उसी प्रकार से महाराष्ट्र राज्य में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग शिवसेना विधायिका डॉ. मनीषा कायंदे, विधायक सर्वश्री भरतशेठ गोगावले, प्रताप सरनाईक, संतोष बांगर, बालाजी कल्याणकर एवं प्रकाश सुर्वे ने मुख्यमंत्री श्री. एकनाथ शिंदे से नागपुर के विधानसभा में प्रत्यक्ष मिलकर की है । इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इस अवैध प्रमाणपत्र के विषय में सुना, तब उन्होंने इसका गंभीरता से संज्ञान लेकर अधिकारियों को दूरभाष कर संबंधित प्रकरण पर ब्योरा प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, समिति के नागपुर के समन्वयक श्री. अभिजीत पोलके तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से विधानसभा के शीतकालीन सत्र की पृष्ठभूमि पर विधायिका डॉ. मनीषा कायंदे को अवैध हलाल प्रमाणपत्र के विषय में विस्तार से जानकारी दी तथा उन्हें ‘हलाल जिहाद ?’ ग्रंथ भेंट किया गया था । उन्होंने इस विषय का गंभीरता से संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उक्त मांग की है ।
इस अवसर पर शिवसेना विधायिका डॉ. कायंदे ने मुख्यमंत्री को महाराष्ट्र में बेचे जानेवाले कुछ हलाल उत्पाद दिखाकर बताया कि,
१. दुग्धजन्य पदार्थ, चीनी, बेकरी उत्पाद, नमकीन, रेडी-टू-ईट (तुरंत खाए जानेवाले पदार्थ), रसोई का तेल, औषधियां, चिकित्सकीय उपकरण तथा सौंदर्यप्रसाधनों से संबंधित सरकारी नियमों में उत्पादों के आवरण पर हलाल प्रमाणपत्र चिन्हांकित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, साथ ही औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधने कानून १९४० तथा संबंधित नियमों में भी हलाल प्रमाणपत्र के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है । ऐसी स्थिति में कोई भी औषत्रधयों, चिकित्सकीय उपकरणों अथवा सौंदर्यप्रसाधनगृहों के आवरण पर हलाल प्रमाणपत्र से संबंधित कोई भी तथ्य प्रत्यक्ष अथत्ता अप्रत्यक्षरूप से उल्लेखित किया गया हो, तो वह एक दंडनीय अपराध है ।
२. खाद्यपदाथों के संदर्भ में लागू कानून एवं नियमों के अनुसार भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को खाद्यपदार्थाें के मानक सुनिश्चित करने के अधिकार दिए गए हैं, उसके आधार पर खाद्यपदाथों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है, जबकि हलाल प्रमाणन एक समानांतर व्यवस्था है, जो खाद्यपदाथों की गुणवत्ता के प्रति भ्रम उत्पन्न कर सरकारी नियमों का उल्लंघन करती है ।
३. महाराष्ट्रसहित संपूर्ण देश में ‘हलाल इंडिया प्रा. लिमिटेड’, ‘हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्रा. लिमिटेड’, ‘जमियत उलेमा-ए-हिन्द हलाल ट्रस्ट मुंबई’, ‘जमियत उलेमा-ए-महाराष्ट्र’ आदि अनेक संस्थाओं के द्वारा अवैधरूप से हलाल प्रमाणपत्रों का वितरण किया जाता है, साथ ही इससे मिलनेवाले पैसों का उपयोग लष्कर-ए-तय्यबा, इंडियन मुजाहिदीन, इस्लामिक स्टेट तथा अन्य आतंकी संगठनों के लगभग ७०० आरोपियों की कानूनी सहायता करने के लिए किया जाता है ।
भारत में हलाल प्रमाणपत्र की आवश्यकता ही क्या है ? – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री के सामने ये प्रमाण प्रस्तुत किए गए । मुख्यमंत्री ने इसका गंभीरता से संज्ञान लेकर कहा कि यह विषय मेरे सुनने में आया है । मूलतः भारत में हलाल प्रमाणपत्र की आवश्यकता ही क्या है ? यह संपूर्ण प्रकरण बहुत गंभीर है । सरकार इसकी गहन जांच कर उचित कार्यवाही करेगी ।