हरियाणा के १४ गांवों में मुसलमानों का बहिष्कार !

  • नूंह में हिंसा का प्रकरण ! 

  • मुसलमानों को घर भाडे पर न देने तथा उन्हें नौकरी पर न रखने का आह्वान !

चंडीगढ – हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के उपरांत समीप के गांवों में अत्यधिक तनाव का वातावरण है तथा हिन्दुओं में क्रोध व्याप्त है । इस पार्श्‍वभूमि में राज्य के ३ जिलों महेंद्रगढ, झज्जर तथा रेवाडी के १४ गांवों ने मुसलमानों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है । इन गांवों में ग्राम सभा आयोजित कर यह निर्णय लिया गया । नूंह में हुई हिंसा से इन ३ जिलों के हिन्दू अत्याधिक प्रभावित हुए हैं । इन १४ गांवों में हिन्दुओं ने मुसलमानों को भाडे पर घर नहीं देने तथा उन्हें नौकरी पर नहीं रखने का निर्णय लिया है ।

गुरुग्राम के तिघरा गांव में महापंचायत

नूंह हिंसा की पार्श्‍वभूमि पर गुरुग्राम के तिघरा गांव में हिन्दू समाज की ओर से एक महापंचायत बुलाई गई । इस महापंचायत में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल एवं हिन्दू ग्रामीण बडी संख्या में उपस्थित थे । उस समय उपस्थित हिन्दुओं ने मुसलमानों के आर्थिक एवं सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया । उस समय महापंचायत में गांव के सेक्टर-५७ स्थित अंजुमन मस्जिद को तोडने की मांग की गई । महापंचायत में उपस्थित लोगों का कहना था कि चूंकि यह परिसर हिन्दूबहुल है, अत: यहां मस्जिद नहीं होनी चाहिए ।

कांग्रेस विधायक मम्मन खान को बंदी क्यों नहीं बनाया गया ?

नूंह में हिंसा के उपरांत इसकी आग आसपास के गांवों तक फैल गई । गुरुग्राम में भी हिंसा हुई । इसके लिए पुलिस उत्तरदायी है, किंतु महा पंचायत में सम्मिलित  हिन्दुओं का कहना था कि हिंसा का दोष हिन्दुओं पर मढा जा रहा है । मुसलमानों ने योजनाबद्ध पद्धति से हिंसा की किंतु गुरुग्राम में पुलिस ने ४ हिन्दू युवकों को बंदी बनाया है । तथापि इसी पुलिस ने नूंह में हिंसा भडकाने के लिए उत्तरदायी कांग्रेस विधायक मम्मन खान को अभी तक बंदी नहीं बनाया है । इस दंगा प्रकरण में पकडे गए निर्दोष हिन्दुओं को मुक्त करने के लिए पुलिस को ७ दिनों का समय दिया गया है । महा पंचायत ने पुलिस को सूचित किया है कि यदि ७ दिनों के भीतर उन्हें मुक्त नहीं किया गया तो महा पंचायत कठोर कार्रवाई करेगी । दंगों के प्रकरण में पुलिस द्वारा निर्दोष हिन्दुओं को बंदी बनाने पर हिन्दुओं ने रोष व्यक्त किया ।

संपादकीय भूमिका 

मुसलमानों के बहिष्कार से निधर्मवादी झल्ला उठे होंगे तथा हिन्दुओं पर ‘कट्टरपंथी’ होने का आरोप लगाएंगे, मूलत: हिन्दुओं पर यह निर्णय लेने की स्थिति क्यों आई ?’ क्या निधर्मवादी – समाजवादी इसका विचार करेंगे ?