‘७२ हूरें’ चित्रपट का ‘ट्रेलर’ बिना अनुमति के प्रदर्शित !

चित्रपट को प्रमाण पत्र देने वाले केंद्रीय चित्रपट प्रमाण पत्र बोर्ड ने ‘ट्रेलर’ को अनुमति देने से मना किया !

१. ‘७२ हूरें’ यह इस्लामी संकल्पना होकर इसके अनुसार इस्लाम का कडाई से पालन करने वाले स्वर्ग में जाते हैं और उन्हें ७२ सुंदर युवतियों का सहवास मिलता है ।

२. ट्रेलर अर्थात चित्रपट का विज्ञापन करने वाला वीडियो

मुंबई – धर्मांतरण, आतंकवाद और निष्पाप लोगों का किए जाने वाला माइंडवाॅश, इस आधार पर बनाए गए ‘७२ हूरें’ इस चित्रपट का विज्ञापन करने वाले वीडियो को (‘ट्रेलर’ को) अनुमति देने से ‘केंद्रीय चित्रपट प्रमाणपत्र बोर्ड’ ने मना कर दिया । चित्रपट के निर्माता बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास जाने की तैयारी में हैं । यह चित्रपट ७ जुलाई के दिन प्रदर्शित होने वाला है । अनुमति न मिलने के उपरांत भी यह ‘ट्रेलर’ प्रसारित किया गया है ।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता चित्रपट होते हुए भी ‘ट्रेलर’ का विरोध क्यों ? – सहनिर्माता अशोक पंडित

सहनिर्माता अशोक पंडित

चित्रपट के सहनिर्माता अशोक पंडित ने कहा, ”हमने चित्रपट में एक मृतदेह के पैर दिखाए हैं जिसे बोर्ड ने हटाने को कहा है । कुरान का संदर्भ निकालने के लिए कहा है । यह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता चित्रपट है । चित्रपट को ‘केंद्रीय चित्रपट परिनिरीक्षण बोर्ड’ का प्रमाण पत्र मिला है । उसी में के दृश्य ‘ट्रेलर’ में हैं, तो उसके लिए कैसे मना किया जा सकता है ?” बोर्ड द्वारा ‘ट्रेलर’ को अनुमति न दिए जाने के निर्णय के विषय में बोलते समय अशोक पंडित ने कहा, “यह अत्यंत गंभीर बात है । राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए इस चित्रपट को ‘अंतर्राष्ट्रीय चित्रपट महोत्सव’ में (‘इफ्फी’ में) ‘इंडियन पैनोरमा’ विभाग में पुरस्कार भी मिला है । ऐसा होते हुए चित्रपट के ‘ट्रेलर’ को अनुमति क्यों नहीं दी जाती ? केंद्रीय चित्रपट परिनिरीक्षण बोर्ड में ही कुछ तो गडबड है और इसके लिए प्रसून जोशी उत्तरदायी हैं ।”

क्या है ‘ट्रेलर’ में ?

२ मिनट ३१ सेकंड के इस ‘ट्रेलर’ में मुसलमानों का ब्रेनवाॅश कर उन्हें आत्मघाती आतंकवादी कैसे बनाया जाता है , यह दिखाया गया है । ये आतंकवादी निष्पाप लोगों की हत्या करते हुए दिखाए गए हैं । इन आतंकवादियों का ऐसा विश्वास है कि, यदि किसी व्यक्ति ने अपने प्राणों की बलि दी, तो अल्लाह उसे ‘जन्नत’ में (स्वर्ग में) आश्रय देता है । इस ट्रेलर में मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर हुआ बम विस्फोट दिखाया गया है, उसी प्रकार जिहादी आतंकवादी लोगों का ब्रेनवाॅश करने के लिए ‘जिहाद’ यह शब्द कैसे प्रयोग करते हैं , यह दिखाया गया है ।

आतंकवादियों को मृत्यु के उपरांत प्रत्यक्ष में ‘७२ हूरें’ न मिलने का चित्रीकरण !

आतंकवादी आत्मघाती आक्रमण कर स्वयं ही मरते हैं । मृत्यु के उपरांत उनके बीच का संभाषण इस चित्रपट में दिखाया गया है । इसमें जिस लाभ का लालच दिखाकर उन्हें आतंकवादी बनाकर आत्मघात करने के लिए विवश किया जाता है, यह लाभ मृत्यु के उपरांत उन्हें न मिलता दिख रहा है । इससे निराशा के कारण उनकी चिढ दिखाई दे रही है, उसी प्रकार स्वयं को फंसाया गया है ऐसा समझ में आता है’, ऐसा भी दिखाया गया है ।

संपादकीय भूमिका 

इस्लाम की संकल्पना पर आधारित चित्रपट का विज्ञापन करने वाले वीडियो को (‘ट्रेलर को’) अनुमति न देने वाला केंद्रीय चित्रपट परिनिरीक्षण बोर्ड हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को दुखाने वाले ‘आदिपुरुष’ चित्रपट को आसानी से अनुमति देता है, यह ध्यान मे लें !