कई वर्षों की आपत्ति के पश्चात भी कोई कार्यवाही नहीं !
लखनऊ (उत्तर प्रदेश) – यहां विधानसभा मार्ग पर राणा प्रताप चौक के पास एक व्यापारिक परिसर के तहखाने में शिव मंदिर है, जिसे मुसलमानों द्वारा अपने नियंत्रण में लिए जाने का आरोप लगाया गया है। यह मंदिर ३० वर्षों से तहखाने में छुपा हुआ है। इसके संबंध में बार-बार आपत्ति करने के पश्चात भी तत्कालीन प्रशासन और सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस संबंध में ‘गजराज सिंह मंदिर ट्रस्ट’ से जुडे लोगों ने लखनऊ के आयुक्त रोशन जैकब से भेंट की। इसके पश्चात आयुक्त ने इस मामले को जिलाधिकारी के पास भेजा है।
हिन्दू पक्ष का दावा :
१. हिन्दू पक्ष का दावा है कि यह मंदिर १८८५ का है। इसे स्वर्गीय गजराज सिंह ने अपनी आय से अपनी भूमि पर बनवाया था। १९०६ में पंजीकृत वसीयतनामा के अनुसार, उस स्थान पर ठाकुरद्वारा और शिवालय का निर्माण किया गया। १९१८ में द्वारका प्रसाद दीक्षित को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया और कहा गया कि उनकी पीढ़ियां वहां पूजा करती रहेंगी। उनकी पीढी के रामकृष्ण दीक्षित के पूजा करते समय १९९३ _ ९४ में एक राजनीतिक दल से जुडे नेता डॉ. शाहिद ने मंदिर पर नियंत्रण कर लिया और इस भूमि पर अवैध निर्माण कर व्यापारिक परिसर बनवा दिया।
२. हिन्दू पक्ष का कहना है कि १४ अगस्त १९९४ को मंदिर समिति ने कैसरबाग पुलिस स्टेशन में आरोप प्रविष्ट कराया था, जिसमें मंदिर परिसर में तोड़फोड़ के साथ अष्टधातु की राधा-कृष्ण मूर्ति, सोने के आभूषण और अन्य कई वस्तुएं चोरी होने की बात कही गई थी। लेकिन उस समय के पुलिस अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। मंदिर समिति से जुडे लोगों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिखकर तत्कालीन जिलाधिकारी के पास शिकायत की थी, फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
संपादकीय भूमिकाराज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हिन्दू समाज अपेक्षा करता है कि वे इस प्रकरण का संज्ञान लेकर कार्रवाई का आदेश दें । |