आनेवाले ५ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश के ईसाई धर्मांतर की समस्या समाप्त कर देंगे ! – श्री. कुरु ताई, उपाध्यक्ष, बांस संसाधन एवं विकास एजन्सी, अरुणाचल प्रदेश

श्री. कुरु ताई

विद्याधिराज सभागृह, १९ जून (वार्ता.) – केरल उच्च न्यायालय में वर्ष २००६ में धर्मांतरित हिन्दु अनुसूचित जाति की सुविधा देने के विषय में एक याचिका पर सुनवाई हुई । उसकी चर्चा अरुणाचल प्रदेश के हम हिन्दुओं में भी हुई । इससे यहां के वातावरण में उथल-पुथल मच गई है । हमने यहां के धर्मांतर की समस्या पर मात करने के लिए उपाय ढूंढा है । जो भी हिन्दू अन्य धर्म के व्यक्ति से विवाह करेगा, उसे उसकी पैतृक संपत्ति नहीं मिलेगी और उसे अपनी संतान भी स्वयं ही संभालनी होगी । अरुणाचल प्रदेश में हम हिन्दू संगठित हैं । इसलिए वहां की समस्या की चिंता करने की आवश्यकता नहीं । आनेवाले ५ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में ईसाई धर्मांतर की समस्या समाप्त कर देंगे, ऐसा प्रतिपादन अरुणाचल प्रदेश बांस संसाधन एवं विकास एजन्सी के उपाध्यक्ष श्री. कुरु ताई ने किया ।

श्री. कुरु ताई ने बताए अन्य महत्त्वपूर्ण सूत्र

१. अरुणाचल प्रदेश के प्रत्येक कुटुंब में कम से कम १ सदस्य तो धर्मांतरित है । एक सदस्य के कारण संपूर्ण हिन्दू कुटुंब ईसाई बन जाता है ।

२. कुछ समय पूर्व ही एक हीलिंग (उपचार) कार्यक्रम के लिए बिहार से २ पादरी एवं अरुणाचल प्रदेश का ही १ पादरी, ऐसे कुल ३ जन आए थे । उन्होंने असाध्य रोग ठीक करने का दावा किया । जब हमें पता चला तो हमने उन्हें वहां के आर्.के. मिशन के रुग्णालय के कर्करोग से पीडितों को ठीक करने का आवाहन प्रसारमाध्यमों के सामने दिया । तब उन पादरियों ने मना कर दिया । इस प्रकार हिन्दुओं के धर्मांतर का प्रयत्न करनेवाले वहां के ईसाइयों का षड्यंत्र हमने उजागर कर रहे हैं ।

श्री. कुरु ताई की धर्मकार्य के प्रति लगन !

श्री. कुरु ताई के धर्मकार्य की लगन के विषय में हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ द्वारा बताए सूत्र

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ

१. श्री. कुरु ताई अरुणाचल प्रदेश के अत्यंत दुर्गम प्रदेश के पहाडी क्षेत्र में रहते हैं । वहां जाना-आना अत्यंत कठिन है । ऐसे में भी श्री. ताई वहां के २६ हिन्दू जमातियों को संगठित कर हिन्दुओं का धर्मांतर रोकने का कार्य कर रहे हैं । वहां इस प्रकार का काम करना अत्यंत कठिन है । उनमें संगठन करने का और अन्यों के प्रति प्रेमभाव, ये गुण विशेषरूप में हैं ।

२. श्री. ताई में राष्ट्र-धर्म के कार्य के प्रति लगन के कारण अरुणाचल प्रदेश से ४ फ्लाईट बदलकर, वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में सम्मिलित हुए हैं ।

३. श्री. ताई की मूल भाषा भिन्न है । उन्हें हिन्दी भाषा बोलने में असुविधा होती है । तब भी हिन्दुत्व के कार्य के प्रति लगन के कारण एवं महोत्सव में आए हिन्दुत्वनिष्ठों का कार्य समझ में आए, इसलिए उन्होंने हिन्दी भाषा में भाषण किया ।

४. अरुणाचल प्रदेश के हिन्दुओं की समस्याओं के विषय में अच्छा अध्ययन है । इसलिए उस पर उचित उपाययोजना ढूंढकर उस अनुसार किया । इसप्रकार उन्होंने वहां के हिन्दुओं को चिंतामुक्त किया है ।

५. श्री. कुरु ताई में धर्मकार्य के प्रति लगन है और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के प्रति अपार भाव एवं धर्मनिष्ठा है ।