बांग्लादेश उच्च न्यायालय का निर्णय
ढाका (बांग्लादेश) – भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘उल्फा’ के प्रमुख परेश बरुआ की फांसी की सजा को बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने उम्रकैद में बदल दिया है। यह निर्णय २००४ के चट्टोग्राम हथियार तस्करी मामले में सुनाया गया। इस मामले में बांग्लादेश के पूर्व मंत्री लुत्फज्जमान बाबर और उनके ५ साथियों को निर्दोष मुक्त कर दिया गया। यह मामला भारत-विरोधी आतंकवादी संगठनों को १० ट्रकों में हथियार और गोला-बारूद भेजने से जुड़ा हुआ है।
🚨 ULFA Chief Paresh Barua’s Death Sentence Commuted to Life Imprisonment by Bangladesh High Court! 🚨
Given Bangladesh’s history of tolerating terrorist groups, it wouldn’t be shocking if the government were to overturn Paresh Barua’s life sentence or even aid him in… pic.twitter.com/GYLMN3sva2
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) December 19, 2024
भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, और ऐसे में भारत को वांछित आतंकवादी परेश बरुआ की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने से दोनों देशों के संबंध और बिगड सकते हैं।
१. बांग्लादेश में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बी.एन.पी.) और जमात-ए-इस्लामी के शासनकाल में वर्ष २००४ में यह बड़ा हथियारों का जखीरा पकड़ा गया था।
२. लुत्फज्जमान बाबर का आतंकवादी समूहों के साथ हथियार तस्करी में सम्मिलित होने के साक्ष्य मिले थे। बाबर २००१ से २००६ तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री खालिदा जिया की सरकार में गृह राज्यमंत्री थे।
३. परेश बरुआ ने वर्ष २००० में बांग्लादेश में शरण ली थी। शरण के बदले उसे और उसके परिवार को इस्लाम धर्म अपनाना पड़ा था।
४. असम को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के लिए उल्फा नामक आतंकवादी संगठन की स्थापना की गई थी।
संपादकीय भूमिकायदि कल बांग्लादेश सरकार बरुआ की उम्रकैद की सजा रद्द कर दे या उसे जेल से बाहर निकालकर आतंकवादी गतिविधियों में मदद करे, तो आश्चर्य नहीं होगा ! |