जमियत के नेता मौलाना मदनी का दावा, ‘अल्लाह एवं ॐ एक ही हैं’ !

मदनी के वक्तव्य के निषेध में सर्व धर्म संत स्वयं ही मंच से नीचे उतर गए !

नई देहली – यहां रामलीला मैदान में १० से १२ फरवरी की अवधि में जमियत उलेमा-ए-हिन्द के अधिवेशन का आयोजन किया गया था । इस संबंध में १२ फरवरी को आयोजित ‘सद्‌भावना सम्मेलन’ में सर्व धर्म के संतों को आमंत्रित किया गया था । इस समय जमियत के नेता मौलाना (इस्लाम के ज्ञाता) अर्शद मदनी ने सरसंघचालक के वक्तव्य का विरोध करते हुए ‘अल्लाह एवं ॐ एक ही हैं’, ऐसा वक्तव्य दिया है । इससे मंच पर उपस्थित जैन गुरु लोकेश मुनि ने आपत्ति दर्शाई । तदुपरांत उनके साथ अन्य धर्म के संत मंच से नीचे उतर आए । कुछ दिनों पूर्व ही प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवतजी ने ‘हिन्दू एवं मुसलमानों के पूर्वज एक ही हैं’, ऐसा वक्तव्य दिया था । मदनी ने इस वक्तव्य का विरोध किया था ।

क्या कहा मौलाना मदनी ने ?

मौलाना अर्शद मदनी, जमियत के प्रमुख महमूद मदनी के चाचा हैं । मौलाना मदनी ने कहा, ‘आपके पूर्वज हिन्दू नहीं थे । वे मनु अर्थात आदम थे । तब कोई नहीं था । न श्रीराम, न ब्रह्मा, न ही शिव । जब कोई नहीं था, तो मनु ने किसकी पूजा की ? ऐसा प्रश्न मैं पूछ रहा हूं । कोई कहता है, ‘वे महादेव की पूजा करते थे’, तो कोई ‘मनु द्वारा ॐ की पूजा करने का दावा करते हैं । ॐ कौन है ? अनेक लोगों ने कहा, ‘वह हवा है । उसका कोई भी रंग-रूप नहीं है । वह विश्व में सर्वत्र है । हम उसे ही अल्लाह कहते हैं । आप उनको भगवान कहते हैं ।

जैन मुनि लोकेश द्वारा विरोध !

मौलाना मदनी का भाषण चलते समय ही जैन मुनि लोकेश ने उनके वक्तव्य पर तीव्र आपत्ति दर्शाई है । ‘यह अधिवेशन लोगों को जोडने के लिए आयोजित किया गया है । इसलिए ऐसे वक्तव्य की कोई भी उपयुक्तता नहीं है’, ऐसा कहते हुए वे मंच से नीचे उतर गए उनके साथ अन्य धर्मों के संत भी मंच से नीचे उतर आए ।

मदनी ने आगे कहा कि पैगंबर का अनादर मुसलमान सहन नहीं करेंगे । इसलिए उनके विरुद्ध कोई भी वक्तव्य न दें । वर्तमान भारत में शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है । यह उचित नहीं है । किसी पर भी अन्य धर्मों की पुस्तकें थोपी न जाएं; यह संविधान के विरुद्ध है ।

सूफी इस्लामिक बोर्ड द्वारा जमियत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी का विरोध !

भारत का मूल धर्म सनातन है !

जमियत उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख महमूद मदनी ने इस अधिवेशन के एक दिन पूर्व कहा था कि भारत ही इस्लाम का मूल देश है । तब सूफी इस्लामिक बोर्ड ने आपत्ति दर्शाई । बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने कहा कि इस्लाम भारत का मूल धर्म नहीं है । यहां का मूल धर्म सनातन है । महमुद मदनी के संदर्भ में कहा जाए तो, वे आदेश (फतवे) का कारखाना (फैक्ट्री) हैं । इस्लाम को पहले आनेवाले मुसलमानों द्वारा लाया गया । हजरत मतलतुल औलिया, मकरबूर शरीफ आए । तदुपरांत अरब से कासिम बिन मलिक भारत के केरल में आए । उसके उपरांत पाकिस्तान के ख्वाजा गरीब नवाज आए, जिन्होंने यहां आकर इस्लाम का प्रसार किया । उनके चरित्र एवं अच्छे व्यवहार के कारण यहां इस्लाम का प्रसार हुआ । आज देश की सरकार किसी भी मुसलमान को ‘बाहर का मनुष्य’ नहीं मानती ।