७१ प्रतिशत दवाइयों की आपूर्ति ‘ हाफकिन जीव-औषध निर्माण महामंडल ‘ द्वारा नहीं की जाती है !

‘ कैग ‘ रिपोर्ट से खुलासा ; राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर टिप्पणी !

श्री. सचिन कौलकर, प्रतिनिधि, नागपुर 

नागपुर – कभी वैक्सीन निर्माण और दवा निर्माण के क्षेत्र में मशहूर रहा ‘ हाफकिन जीव-औषध निर्माण महामंडल ‘ राज्य सरकार के लिए सफेद हाथी बन गया है । ‘ कॅग ‘ रिपोर्ट के अनुसार, इस निगम ने २०१६-१७ से २०२१-२२ तक राज्य में स्वास्थ्य सेवा आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग के तहत संस्थानों को ७१ प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति नहीं की ।

‘महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन’ (वित्तीय वर्ष २०१६ – १७ से २०२१ – २२ ) पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट २१ दिसंबर को विधानमंडल में पेश की गई । रिपोर्ट में राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गंभीर टिप्पणियां की गई हैं ।

हाफकिन कॉरपोरेशन को स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा शिक्षा और फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तहत आने वाले संस्थानों के लिए दवाओं की खरीद की जिम्मेदारी सौंपी गई है ; हालांकि, वित्तीय वर्ष २०१६ – १७ से २०२१ – २२ के दौरान इन तीनों संस्थाओं ने कितनी दवाओं की मांग की, इसकी जानकारी स्वास्थ्य सेवा आयुक्त के पास नहीं है । चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा आयुक्त द्वारा मांगी गई संस्थाओं की जानकारी १२ संस्थाओं द्वारा उपलब्ध करायी गयी ; हालांकि, कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘ हाफकिन कॉर्पोरेशन ‘ ने इन संगठनों द्वारा मांगे गए ७१ प्रतिशत सामानों की आपूर्ति नहीं की ।

४८ प्रतिशत राशि बाकी रही है !

उपरोक्त ५ वर्षों के दौरान सार्वजनिक चिकित्सा विभाग,चिकित्सा शिक्षा विभाग,और औषधी द्रव्य विभाग ने हाफकीन महामंडळ के पास ४ हजार २९८ करोड रुपये की दवा आपूर्ति की मांग थी । इसकी तुलना में हाफकिन ने केवल २ हजार ९७९ करोड रुपये की आपूर्ति का ऑर्डर दिया। उसमें से वास्तविक रूप से २ हजार ८६ करोड़ रुपये की दवाएं सप्लाई की गईं । इसका मतलब है कि दवा की आपूर्ति में विफलता के कारण हाफकिन के पास ४८ प्रतिशत धनराशि खर्च नहीं की गई। इसके कारण मरीज़ों की देखभाल पर भारी दबाव पड़ा। हाफकिन संस्था की सबसे ज्यादा अव्ययित राशि तब है जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। २०१९ – २० में ३३२ करोड रुपये, २०२० – २१ में ८४२ करोड रुपये और २०२१ – २२ में ३४७ करोड रुपये खर्च नहीं किए गए हैं ।