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मुंबई (महाराष्ट्र) – मुंबई के मालवणी, ज्ञानेश्वरनगर, इंदिरानगर झोपडपट्टी, शिवाजीनगर, चिता कैंप, शिवडी क्रॉस रोड, सेनानगर, लेबर कैंप, डॉकयार्ड रोड, जिजामातानगर (वरळी), प्रेमनगर, शास्त्रीनगर (वरळी), नेहरूनगर (कुर्ला), आजमीनगर (राठौडी), कापडबजार (माहीम), बेहरामपाडा, भारतनगर, दारूखाना, बगीचा बस्ती, गोपीनाथ शिवनेरी कॉ. सोसाइटी, संगमगली, चिरागनगर, अंबुजवाडी आदि २० से भी अधिक क्षेत्रों में विगत कुछ वर्षाें से मुसलमानों की संख्या बहुत तीव्रगति से बढ रही है तथा इससे इन क्षेत्रों के हिन्दू अल्पसंख्यक होने की कगार पर हैं । इन छापों में पी.एफ.आई. के विरुद्ध पर्याप्त प्रमाण मिले ।
वर्ष १९९३ के हुए दंगे से लेकर धर्मांधों और आतंकियों के आक्रमणों में १ सहस्र ३०६ मुंबईनिवासी मारे गए हैं । लेखक मोहेश कुर्मी ने ‘मुंबईकर, जागते रहा’, इस पुस्तक में पिछले कुछ वर्षाें में मुंबई में बढ रही मुसलमानों की जनसंख्या तथा बढते अपराधीकरण की विभिषिका रखी है । निरंतर हो रहे आतंकी आक्रमणों को देखते हुए मुंबई के मुसलमानबहुल क्षेत्रों में आतंकियों के ‘स्लीपर सेल’ (गुप्त पद्धति से आतंकियों की सहायता करनेवाले धर्मांधों के स्थानीय समूह) के कार्यरत होने की संभावना लगती है ।
पिछले २५ वर्षाें में मुसलमानों की जनसंख्या में तिगुनी वृद्धि !
इस पुस्तक में यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष १९९७ में मुंबई में मुसलमानों की जनसंख्या ११ लाख ८६ सहस्र ३५६ थी । वर्ष २०२२ में उसमें तिगुनी वृद्धि होकर अब वह ३६ लाख तक पहुंच गई है । वर्ष २०२७ तक मुंबई में मुसलमानों की जनसंख्या ४१ लाख तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है ।
आतंकियों एवं धर्मांधों के आक्रमण की छाया में मुंबई !
वर्ष १९९३ के दंगे में ९०० नागरिक मारे गए । जुलाई २००६ में पश्चिम उपनगरीय रेल के ७ स्थानकों पर हुए बमविस्फोटों में २०९, तथा २६ नवंबर २००८ को कसाब सहित अन्य आतंकियों ने १९७ मुंबईवासियों को मार दिया । १२ अगस्त २०१२ को आंदोलन के नाम पर आजाद मैदान में एकत्रित सहस्रों धर्मांधों ने महिला पुलिसकर्मियों का शीलभंग करते हुए पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट और आगजनी कर हुडदंग मचाया । उसमें २ लोग मारे गए तथा २ करोड ७४ लाख रुपए की हानि हुई । धर्मांधों ने सैनिकों की वीरगति के प्रतीक ‘अमर जवान’ ज्योति का स्मारक भी लात मारकर तोड दिया । इस पुस्तक में मुंबई के धर्मांधों के दुष्कृत्य रखे गए हैं ।
वर्ष २०२१ तक पिछले १० वर्षाें में मुंबई के मराठी विद्यालयों में छात्रों की संख्या ६७ सहस्र ३३ तक घट गई है । उसकी तुलना में शैक्षिक वर्ष २०१९-२० में मुंबई में स्थित उर्दू विद्यालयों में ६२ सहस्र ५१६ छात्र शिक्षा ले रहे थे । इससे मुंबई का तीव्रगति से हो रहा इस्लामीकरण दिखाई देता है । इस पुस्तक में बांग्लादेशी मुसलमानों को मुंबई में घुसाने का जाल, बडे स्तर पर अवैध कृत्यों में प्रवेश कर मुंबई का बढता अपराधीकरण आदि भीषण समस्याएं भी रखी गई हैं ।
असम एवं त्रिपुरा सहित पूर्वाेत्तर भारत के राज्यों ने जो भुगता, वह मुंबईवासियों को भुगतना न पडे ! – स्वामी सत्स्वरूपानंदअसम की कुल जनसंख्या तथा घुसपैठियों के स्तर का अनुपात बहुत बडा है । उसके कारण स्थानीय तथा मूल असमिया हिन्दू नागरिकों को बहुत कष्ट सहना पडा । कश्मीरी हिन्दुओं की जो स्थिति हुई, वही असम में भी हो रही थी । ‘स्लीपर सेल’ कहां-कहां कार्यरत होंगे, यह हम बता नहीं सकते । वर्ष १९९३ से हो रहे बमविस्फोट हों अथवा २६/११ का आतंकी आक्रमण; इन सभी के पीछे अवैध घुसपैठ ही कारण था । इसलिए अब मुंबईवासियों को समय रहते जाग जाने की आवश्यकता है । असम, त्रिपुरासहित पूर्वाेत्तर भारत के राज्यों ने भुगता, वह वह मुंबईवासियों को भुगतना न पडे । |
संपादकीय भूमिकाक्या यह हिन्दूबहुल महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के लिए संकट का संकेत नहीं है ?, इस पर सभी हिन्दू गंभीरता से विचार करें ! |