Dihuli Murder Case : उत्तर प्रदेश के देहली हत्या प्रकरण में ४३ साल बाद निर्णय : ३ आरोपियों को फांसी की सजा !

मैनपुरी सत्र न्यायालय ने सुनाया निर्णय ।

मौत की सजा पाने वाले आरोपी

फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश) – जिले के देहली गांव में १८ नवंबर ,१९८१ को हुए २४ दलित हिंदुओं की सामूहिक हत्या के प्रकरण में मैनपुर विशेष जिला न्यायालय ने १८ मार्च को ३ आरोपियों को मौत की सजा सुनाई। इसके साथ ही दो दोषियों पर २-२ लाख रुपये और एक दोषी पर १-१ लाख रुपये का दंड लगाया गया। जिला न्यायाधिश इंदिरा सिंह की न्यायालय ने देहली नरसंहार प्रकरण में निर्णय सुनाते हुए टिप्पणी की कि २४ लोगों की सामूहिक हत्या एक बड़ा नरसंहार था। यह एक बडा अपराध है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मौत की सजा से कम कोई सजा नहीं होनी चाहिए । न्यायालय ने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि मौत की सजा का आवेदन उच्च न्यायालय को सौंपा जाएगा और जब तक उच्च न्यायालय मौत की सजा का निर्धारण नहीं कर देता तब तक फांसी की सजा पर अमल नहीं किया जाएगा ।

१. मौत की सजा पाने वाले रामपाल, रामसेवक और कप्तान सिंह अपने कानूनी अधिकारों का उपयोग कर ३० दिन के अंदर मौत की सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं ।

२. फिरोजाबाद जिले के देहली गांव में २४ दलितों की हत्या कर दी गई। यह घटना १८ नवंबर,१९८१को शाम ६ बजे की है। सशस्त्र लुटेरों के एक गिरोह ने देहली गांव में प्रवेश किया और एक मुकदमे में एक गवाह के विरोध में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर गोलियां चला दीं।इसमें २४ लोगों की मौत हो गई।

३. प्रकरण मैनपुर सत्र न्यायालय से लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक गया। इसके बाद १९ अक्टूबर,२०१४ को प्रकरण को फिर से सुनवाई के लिए मैनपुरी सत्र न्यायालय को सौंपा गया। जिला न्यायाधिश के आदेश के अनुसार विशेष डकैती न्यायालय में सुनवाई हुई ।

संपादकीय भूमिका 

विलंबित न्याय अन्याय ही है ! सत्र न्यायालय को न्याय देने तक २ पीढ़ियां निकल गईं। अब अगर प्रकरण सुप्रीम न्यायालय में चला गया तो आम लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि कितनी पीढ़ियों को न्याय मिलेगा।