साधना करने के कारण दिव्य कार्य होने से स्वयं के साथ समाज को भी साधना के लिए प्रवृत्त करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

(दाईं ओर) डॉ. राजेंद्र पेंसिया को ‘सनातन पंचांग २०२२’ भेंट करते सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

     आगरा (उत्तर प्रदेश) – ‘‘आज की परिस्थिति में अनेक स्थानों पर सनातन धर्म का कार्य हो रहा है; परंतु उसके लिए आवश्यक साधना के बल के अभाव के कारण अपेक्षित फलोत्पत्ति नहीं मिलती । साधना करने से हममें दैवीय शक्तियों का उद्गम होता है तथा साक्षात ईश्वर ही हमसे धर्मकार्य करवा लेते हैं । अतः अल्प मानव संसाधन और अल्प क्षमता में भी भव्य-दिव्य कार्य होता है, इसे ध्यान में रखकर हमें साधना ही करनी चाहिए और समाज को भी साधना करने के लिए प्रवृत्त करना चाहिए’’, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया ।

     सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने यहां के ‘आगरा डेवलपमेंट एथोरिटी’ के उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र पेंसिया (आई.ए.एस. – भारतीय प्रशासनिक सेवा) से भेंट की, तब वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर डॉ. पेंसिया के माता-पिता, साथ ही समिति के देहली समन्वयक श्री. कार्तिक साळुंके भी उपस्थित थे ।

     इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने आचारधर्म का महत्त्व, धर्माचरण और साधना करने से क्या लाभ मिलते हैं ?, इस विषय में जो मार्गदर्शन किया, वह डॉ. पेंसिया ने अत्यंत जिज्ञासापूर्वक सुना । इसके साथ ही आज के विज्ञान युग में लोगों को धर्माचरण का महत्त्व समझाने हेतु ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा किए जा रहे शोधकार्य से डॉ. पेंसिया बहुत प्रभावित हुए । आधुनिक उपकरणों की सहायता से विविध स्तरों पर किया गया शोधकार्य प्रस्तुत कर हम समाज को साधना की ओर मोड सकते हैं, इसके प्रति भी डॉ. पेंसिया आश्वस्त हुए ।

डॉ. पेंसिया ने सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी को अपना सरकारी आवास दिखाकर उनसे धर्माचरण के विषय में लिया मार्गदर्शन !

     डॉ. पेंसिया ने सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी को अपना सरकारी आवास दिखाया । इस आवास में डॉ. पेंसिया ने शिवजी के एक छोटे मंदिर का निर्माण किया है, जिसमें भगवान शिव के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां हैं । डॉ. पेंसिया इस मंदिर में नित्य पूजा और साधना करते हैं । वे प्रतिदिन यज्ञ करते हैं । डॉ. पेंसिया ने अपने आवास के परिसर में ३ देसी गायें भी पाली हैं । उसके कारण उस सरकारी आवास में भी बहुत सात्त्विक वातावरण प्रतीत हो रहा था । इस संवाद के समय डॉ. पेंसिया ने सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से सनातन धर्म के उद्धार के कार्य हेतु वे और क्या कर सकते हैं ?, इस विषय में मार्गदर्शन लिया ।

सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी और उनके साथ आए कार्यकर्ता को मंदिर में हुई अनुभूति

     सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने डॉ. पेंसिया के आवास में स्थित मंदिर में दर्शन किए । उस समय उनकी जिव्हा पर मीठी लार आ रही थी, साथ ही मंदिर में अष्टगंध की सुगंध भी आ रही थी । श्री. कार्तिक साळुंके को भी ऐसी ही अनुभूति हुई ।

विशेषतापूर्ण क्षणिकाएं

     सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी से मिलने पर डॉ. पेंसिया ने उनके चरणों में झुककर नमस्कार किया । इससे उनमें विद्यमान संतों के प्रति भाव और विनम्रता के गुण सीखने के लिए मिले ।

– श्री. कार्तिक साळूंखे

सनातन संस्था, स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन और हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य देखकर मैं प्रभावित हुआ हूं ! – डॉ. राजेंद्र पेंसिया

     सनातन संस्था, ‘स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन (एस.एस.आर.एफ.) एवं हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य देखकर मैं प्रभावित हुआ हूं । सनातन संस्था प्रभावशाली पद्धति से अध्यात्मप्रसार का कार्य कर रही है, साथ ही एस.एस.आर.एफ. द्वारा किया जा रहा शोधनिबंध तैयार करने का कार्य देखकर ऐसा लगता है कि समाज निश्चित रूप से धर्माचरण करने के लिए प्रेरित होगा ।