सनातन-निर्मित सर्वांगस्पर्शी आध्यात्मिक ग्रंथसंपदा सर्व भारतीय और विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हो, इस हेतु ग्रंथ-निर्मिति की व्यापक सेवा में सहभागी हों !

विविध भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी का ज्ञान रखनेवाले साधक, पाठक और शुभचिंतकों को आध्यात्मिक ज्ञानदान के कार्य में सहभाग लेने का अमूल्य अवसर !

     परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों में से अगस्त २०२१ तक केवल ३४५ से भी अधिक ग्रंथ-लघुग्रंथों की निर्मिति होकर अन्य लगभग ५ सहस्र से भी अधिक आध्यात्मिक ग्रंथों की निर्मिति की प्रक्रिया अधिक वेग से होने हेतु अनेकों की सहायता की आवश्यकता है । अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार लेखन का संकलन, संरचना और विविध भाषाओं में भाषांतर करना इत्यादि ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में आप सहभाग ले सकते हैं ।

१. अध्यात्म के विविध विषयों में रुचि रखनेवाले जिज्ञासुओं को साधना की ओर मोडने के लिए उपयुक्त विविध विषयों पर सैकडों ग्रंथों का संकलन होना शेष

१ अ. आगामी ग्रंथों के लेखन का संकलन शेष होना : अब भी संकलन शेष है ऐसे ग्रंथों के लेखन की संगणकीय धारिका तैयार है ।

१ आ. सनातन के ग्रंथों का महत्त्व : ‘वेद, उपनिषद, पुराण आदि धर्मग्रंथ गत सहस्रों वर्षाें से मार्गदर्शन कर रहे हैं, इसके साथ ही सनातन के ग्रंथ आगे सहस्रों वर्ष मानवजाति का मार्गदर्शन करेंगे’, ऐसा आशीर्वाद एक संत ने दिया है ।

२. ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सहभागी होने हेतु इच्छुक पाठकों के लिए उपलब्ध विविध सेवाएं

२ अ. लेखन का संगणकीय टंकण करना, जांचना और संकलन करना : संगणक पर टंकण करना एवं टंकण करने के पश्चात उसे मूल लेखन से जांच लेना कि ‘सर्व लेखन का टंकण ठीक से हुआ है न ?’, और लेखन का संकलन करना

२ अ १. आवश्यक कौशल्य : संगणक पर टंकण कर पाना, इसके साथ ही मराठी, हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषाओं के व्याकरण एवं शब्दरचना का ज्ञान होना

२ आ. लेखन के संस्कृत वचन, श्लोक आदि जांचना : ग्रंथों के लेखन में आए संस्कृत श्लोक, वचन और सुभाषित जांचना; उनका मूल संदर्भ लिखना; उनका अर्थ लिखना आदि सेवाएं इसमें अंतर्भूत हैं । इसके लिए साधक को संस्कृत भाषा का थोडा-बहुत ज्ञान होना आवश्यक है । संस्कृत भाषा का थोडा-बहुत ज्ञान न हो तो उतना लेखन छोडकर अन्य लेखन अंतिम करना ।

२ इ. मराठी के साथ ही अन्य भाषाओं के ग्रंथों का संकलन करना

२ इ १. विविध सेवाएं

अ. जिस विषय पर ग्रंथ करेंगे, उस विषय के विविध सूत्रों के शीर्षकों के अनुरूप विषय की अनुक्रमणिका तैयार करना

आ. अनुक्रमणिका के अनुसार लेखन लगाकर उस लेखन का अंतिम संकलन करना

इ. सर्वसामान्यत: १०० पृष्ठों का (५०० केबी का) एक ग्रंथ होता है । लेखन से यह तय करना कि ‘ग्रंथों के कितने पृष्ठ होते हैं’, यह देखना और पृष्ठसंख्या का अंदाज लेकर ग्रंथ के २, ३, … ऐसे भागों में ग्रंथ का विभाजन करना

ई. प्रत्येक भाग की अनुक्रमणिका एवं भूमिका तैयार करना

उ. प्रत्येक भाग के मुखपृष्ठ और अंतिम आवरण पृष्ठ के आधार पर लेखन तैयार करना

२ ई. विविध भाषाओं के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ की संगणकीय संरचना करना, इसके साथ ही ग्रंथों में छापने के लिए सारणियां (टेबल) तैयार करना : इसके लिए ‘इन-डिजाइन’ संगणकीय प्रणाली का ज्ञान होना चाहिए ।

२ उ. मराठी, हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषाओं के ग्रंथों का अन्य देशी-विदेशी भाषाओं में भाषांतर करना : यह सेवा करने के लिए ‘हम जिस भाषा में भाषांतर करने के इच्छुक हैं’, उस भाषा का व्याकरण की दृष्टि से उचित ज्ञान होना आवश्यक है । भाषा का ज्ञान हो; परंतु व्याकरण की दृष्टि से विशेष ज्ञान न हो, तो उस संदर्भ में प्रशिक्षण लें । संगणकीय ज्ञान (मराठी लेखन का अंग्रेजी भाषा में भाषांतर करने की सेवा के लिए MsWord और PDF प्रणाली का ज्ञान होना चाहिए ।)

३. ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सहभाग लेने के लिए संपर्क करें !

     उपरोक्त सभी सेवाओं के लिए संगणक का मौलिक ज्ञान होना, इसके साथ ही संगणकीय टंकण करने आना आवश्यक है । उपरोल्लेखित सेवा सनातन के आश्रम में रहकर अथवा घर पर रहकर भी कर सकेंगे । ग्रंथ-निर्मिति से संबंधित सेवाएं सीखने हेतु इच्छुक सनातन के आश्रम में २ – ३ सप्ताह रह सकते हैं । आगे आश्रम में रहकर अथवा घर पर रहकर भी सेवा कर सकेंगे ।

   ये सेवाएं करने के इच्छुक जिलासेवकों के माध्यम से आगे दी गई सारणीनुसार अपनी जानकारी श्रीमती भाग्यश्री सावंत के नाम [email protected] इस संगणकीय पते पर अथवा नीचे दिए पते पर भेजें ।

डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, रामनाथी, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३ ४०१

– (पू.) श्री. संदीप आळशी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२६.५.२०२१)