(और इनकी सुनिए…) ‘छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या मनुस्मृति के अनुसार हुई !’ – विधायक रोहित पवार, शरद पवार गुट

विधायक रोहित पवार

पुणे – राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार दल के विधायक रोहित पवार ने छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित ‘छावा’ फिल्म देखी तथा उसके विषय में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ पर उन्होंने लिखा, ‘छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या के लिए मनुस्मृति उत्तरदायी है ? औरंगजेब को मनुस्मृति किसने बताई ?, इसकी भी खोज करना आवश्यक है ।’ (हिन्दुओं पर जजिया कर लगानेवाला औरंगजेब क्या कभी हिन्दुओं की मनुस्मृति सुनेगा ? जो बात विद्यालय के छात्र को भी समझ में आएगी, इतना भी समझ में न आनेवाले, विधायक हैं ! – संपादक)

विधायक रोहित पवार ने आगे कहा, ‘अमानवीय अत्याचार सहन कर भी छत्रपति संभाजी महाराज उनकी भूमिका से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटे, अपितु उन्होंने मृत्यु स्वीकार की; परंतु उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया । उनको दी गई मरणयातनाएं मनुस्मृति की सीख का प्रयोग था । मनुस्मृति में बताए अनुसार किसी व्यक्ति का अमानवीय रूप से उत्पीडन कैसे करना चाहिए, इसकी जानकारी औरंगजेब तक किसने पहुंचाई ?, इसे भी देखने की आवश्यकता है । (रोहित पवार ने क्या कभी अन्य पंथियों की धार्मिक पुस्तकों में समाहित लेखन पढा है ? काफिरों को किस प्रकार मारना चाहिए ?, यह उनकी सीख क्या रोहित पवार जानते हैं ? – संपादक) ‘लाचारी छोडकर किसी भी संकट का सामना करने की प्रेरणा इस फिल्म से मिलती है । शत्रु तो सदैव खुलेआम विरोध में ही होता है । कुछ निकटतम व्यक्तियों से भी सतर्क रहने की आवश्यकता होती है, इसका भी इससे पाठ मिलता है । वर्तमान राजनीतिक स्थिति में भी यह पाठ अचूकता से लागू होता है’, ऐसा भी रोहित पवार कहते हैं ।

संपादकीय भूमिका 

  • औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की क्रूरतापूर्ण हत्या की, यह इतिहास होते हुए भी अपनी जात्यंधता प्रकट कर धर्मांधों का तुष्टीकरण करनेवालों को शिवद्रोही ही कहना पडेगा ?
  • रोहित पवार के दादा ने अर्थात शरद पवार ने वर्ष १९९३ की मुंबई बमविस्फोट के प्रकरण में मुसलमानों को बचाने के लिए ‘मुसलमानबहुल क्षेत्र में भी एक बमविस्फोट हुआ’, ऐसा झूठा वक्तव्य देकर ‘मुंबई में हुए बमविस्फोट केवल हिन्दुओं को लक्ष्य बनाकर ही नहीं किए गए हैं’, ऐसा दिखाने का प्रयास किया था । आज उनका पौत्र भी क्रूरकर्मा औरंगजेब को बचाने के लिए मनुस्मृति की आलोचना कर रहा है । इससे ‘ऐसे लोगों की मानसिकता समाज के सामने उजागर हो रही है’, ऐसा किसी को लगा, तो उसमें अनुचित क्या है ?