आधुनिकतावादियों की बैठक में ‘शिवाजी विद्यापीठ’ के नामविस्तार का विरोध कर ‘शिवाजी विद्यापीठ’ नाम ही बना रहे; इसके लिए नामविस्तार की मांग करनेवालों को ठोक देने की भाषा !

‘शिवाजी विद्यापीठ’

कोल्हापुर : ‘शिवाजी विद्यापीठ’ नाम ही बना रहे, इस मांग को लेकर आयोजित बैठक में ‘शिवाजी विद्यापीठ’ के नामविस्तार का प्रयास करेंगे, तो ठोक देंगे !’, यह धमकी दी गई । अन्य समाचारपत्रों में इस संदर्भ में समाचार प्रकाशित हुए हैं । हिन्दूविरोधियों की इस बैठक में ‘शिवाजी विद्यापीठ’ का नामविस्तार ‘छत्रपति शिवाजी महाराज विद्यापीठ’ न हो, यह मांग की गई । (एक ओर ‘भारत में लोकतंत्र है’ तथा ‘कानून का राज है’ बोलना तथा दूसरी ओर ‘ठोक देने’ की भाषा बोलना क्या विरोधाभास नहीं है ? जिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने ५ बादशाहियों को धूल चटाकर हिन्दुओं का राज्य स्थापित किया, ऐसे हिन्दुओं के गौरव के मानबिंदु को ‘छत्रपति’ बोलना आधुनिकतावादियों को क्यों नहीं अच्छा लगता ? यह विरोध क्या छत्रपति शिवाजी महाराज का विरोध नहीं है ? – संपादक)

इसके साथ ही इस बैठक में कोल्हापुर के जिन जनप्रतिनिधियों ने शिवाजी विद्यापीठ के नामविस्तार का समर्थन किया है, उन सभी जनप्रतिनिधियों की निंदा की गई । (चुनकर आए जनप्रतिनिधि लाखों नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं । लोकतांत्रिक पद्धति से चुने गए तथा उचित विषय का समर्थन करनेवाले जनप्रतिनिधियों की निंदा करना, तो एक प्रकार से लोकतंत्र के प्रति अविश्वास दर्शाने जैसा ही है ! इसके साथ ही जो जनप्रतिनिधि पहले आधुनिकतावादियों के विषयों के प्रति सहमति देते थे, उनका महिमामंडन करना तथा जो जनप्रतिनिधि हिन्दुत्व के तथा राष्ट्र-धर्म के पक्ष में खडे रहते हैं, उनका विरोध करना आधुनिकतावादियों की दोगली नीति है ! आधुनिकतावादियों का यह दोगलापन ध्यान में आने के कारण ही कोल्हापुर जिले की जागृत जनता ने हिन्दूविरोधी जनप्रतिनिधियों को चुनाव में घर पऱ बिठा दिया है ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

एक ओर लोकतंत्र तथा संविधान की बातें करना, जबकि दूसरी ओर ‘कानून को हाथ में लेने’ की भाषा बोलने की यह दोहरी नीति अब जागरूक नागरिकों की समझ में आ चुकी है !