(और इनकी सुनिए…) ‘राजापुर में जो हुआ वह सनातन संस्था के प्रभाव का परिणाम है !’ – सरफराज अहमद

इतिहास के अभ्यासक सरफराज अहमद की सनातन के प्रति द्वेष बीबीसी की रिपोर्ट में उजागर हुई !

इतिहास के अभ्यासक सरफराज अहमद

रत्नागिरी – १२ मार्च को रत्नागिरी जिले के राजापुर में शिमोत्सव के दौरान होली वृक्ष को ले जाने के लिए निकाले गए पारंपरिक जुलूस के समय एक मस्जिद के पास हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच झड़प हो गई । मस्जिद की सीढ़ियों पर होली के पेड रखने की सदियों पुरानी परंपरा होने पर भी, मस्जिद के द्वार बंद रखे गए । मुसलमानों द्वारा परंपरा तोड़ने के कृत्य से क्षुब्ध हिन्दुओं ने मस्जिद परिसर में घुसा दिया । इस घटना पर इतिहासकार सरफराज अहमद का बयान बीबीसी पर प्रसारित किया गया है । इसमें उन्होंने कहा है कि सनातन संस्था का प्रभाव इस क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से है । राजापुर में जो कुछ हुआ वह अचानक नहीं हुआ । यह मानसिकता पिछले कुछ वर्षों से विकसित हो रही है । जब यह सब हो रहा था, तब धर्मनिरपेक्ष संगठनों, संस्थाओं और दलों ने ऐसी घटनाओं को अनदेखा किया । आज इसका प्रभाव दिख रहा है तो, इसको लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं ।

संपादकीय भूमिका 

  • ‘जो मुंह में आया बक दिया’, ऐसे ही मानसिक विकारों के इतिहासकार सरफराज अहमद ! विगत २५ वर्षों से निस्वार्थ भाव से राष्ट्र और धर्म के लिए कार्य करने वाली सनातन संस्था पर कीचड़ उछालने से अहमद का वैचारिक स्तर क्या होगा, इस बारे में न सोचना ही बेहतर होगा !
  • चूंकि ऐसे हिन्दू-द्वेषी इतिहासकारों (?) का भारत में राष्ट्रवादी और लोकतंत्र-प्रेमी मीडिया द्वारा सम्मान नहीं किया जाता है, तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात है अगर बीबीसी जैसे कट्टर हिन्दू-विरोधी मीडिया उन्हें ऊपर उठाती है ?