सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन का संकल्प
नई दिल्ली – काशी और मथुरा के मंदिर वापस लेने के पश्चात बाकी मुसलमानों को नहीं दिए जाएंगे । सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन ने व्यक्त किया सभी मंदिर वापस लिए जाएंगे । हाल ही में विश्व हिंदू परिषद ने बयान दिया था कि ‘अगर काशी और मथुरा के मंदिर मुस्लिमों द्वारा हहिन्दुओं को लौटा दिए जाएं तो बाकी मंदिरों पर बल देने वालों को समझाया जाएगा ।’ उस पर पू. जैन ने उक्त राय एक हिन्दी समाचार चैनल के संवाददाता से बात करते हुए व्यक्त की । अधिवक्ता पू.हरि शंकर जैन ने काशी, मथुरा, भोजशाला, संभल आदि स्थानों पर मंदिरों की मुक्ति को लेकर याचिकाएं प्रविष्ट की हैं ।
🔥🕉️ WAKE-UP CALL FOR HINDUS! 💥
Senior Advocate of Supreme Court H.H. Hari Shankar Jain’s (@adv_hsjain) powerful statement: “We will not leave even one temple, nor even one inch” 🙏🏻
🕉️ KEY POINTS:
Reclaiming heritage: 10,000 temples converted into mosques will be fought for… pic.twitter.com/8RNsYxzj7S— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) December 30, 2024
अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन ने कहा कि,
‘तीन दे दो और बाकी छोड दो’ गुलामी की निशानी है !
मस्जिद बनाने के लिए जितने भी मंदिर तोड़े गए हैं, उनमें से हम एक भी मंदिर अथवा एक इंच भी जगह उनके लिए नहीं छोड़ेंगे । सब वापस ले लिया जाएगा । ‘तीन ले लो और बाकी छोड़ दो’ वाली मानसिकता गुलामी का लक्षण है । साथ ही यह सोच आक्रमणकारियों के डर को भी दर्शाती है ।
मुट्ठी भर लोग सम्पूर्ण हिन्दू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते !
मुट्ठीभर लोग संपूर्ण hindu समाज का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते । जो हिन्दू आज समझौते की बात करते हैं वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं । जो लोग हिन्दुओं को समझौता करना सिखा रहे हैं, वे इतिहास के साथ अन्याय कर रहे हैं और इतिहास उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगा।
जब तक मैं जीवित हूं, कानूनी लड़ाई लड़ूंगा और सभी मंदिर वापस ले लूंगा !
अयोध्या, काशी और मथुरा हिन्दुओं के मन में विशेष स्थान रखते हैं । इसी तरह अन्य स्थानों पर भी जहां मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं, वहां भी तोड़े गए मंदिर लोगों के मन में एक विशेष स्थान रखते हैं । ऐसे में जब तक मैं जीवित हूं मस्जिद में बदले गए १० हजार मंदिरों को वापस लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ूंगा । मैंने सभी मंदिरों को वापस लेने का संकल्प लिया है ।’ भगवान के नाम पर लिया गया संकल्प तोड़ा नहीं जा सकता । अगर कोई यह सोचता है कि ऐसी स्थिति में कोई मुझे समझा सकता है, तो वह गलत है । न कोई हमें समझाएगा, न कोई हमें समझेगा !