Bhojshala ASI Report : सर्वेक्षण में पता चला कि भोजशाला हिंदुओं का स्थान है !

  • पुरातत्व विभाग द्वारा धार (मध्य प्रदेश) में भोजशाला की सर्वेक्षण रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी गई

  • हिन्दू देवताओं की 37 मूर्तियाँ मिलीं

  • कुल 1 सहस्त्र 700 अवशेष मिले

भोजशाला

इंदौर (मध्य प्रदेश) – मध्य प्रदेश के धार जिले में 13वीं सदी के ऐतिहासिक भोजशाला की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 98 दिवसीय सर्वेक्षण रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ को सौंपी गई। इस रिपोर्ट के आधार पर 22 जुलाई को उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। वर्तमान में न्यायालय ने आदेश दिया है कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए। यह सर्वेक्षण इंदौर उच्च न्यायालय के आदेश पर किया गया था। सर्वेक्षण के समय मुस्लिम पक्ष की ओर से समय-समय पर आपत्तियां उठाई गईं; लेकिन इसकी अवहेलना कर सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया। सर्वेक्षण के समय की गई खुदाई के समय भूमि से कई विशेष अवशेष प्राप्त हुए। भोजशाला में दीवारों और खंभों के साथ-साथ 37 देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिलीं। कुल 1 सहस्त्र 700 अवशेष मिले है। इनमें 650 अवशेष सबसे महत्वपूर्ण है।

यह सर्वेक्षण 11 मार्च से 27 जून तक किया गया। इंदौर हाई कोर्ट ने भोजशाला के 500 मीटर के क्षेत्र में वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। सर्वेक्षण के समय उत्खनन भी किया गया। इस सर्वेक्षण को फोटो खींचने के साथ-साथ फिल्माया भी गया।

जैन समाज भी भोजशाला पर दावा करता है!

भोजशाला पर जैन समाज ने भी दावा किया है। हाई कोर्ट में एक याचिका प्रविष्ट कर दावा किया गया है कि भोजशाला एक जैन धार्मिक स्थल है। इसकी सुनवाई हाईकोर्ट में भी होगी।

क्या है प्रकरण ?

1 मई 2022 को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन ने भोजशाला को लेकर इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की। इसमें ‘हर मंगलवार को हिंदू यज्ञ करके भोजशाला की वास्तु को शुद्ध करते हैं तथा शुक्रवार को मुसलमान नमाज के नाम पर स्थान को अपवित्र करते है।’ इसे रोका जाना चाहिए। भोजशाला का पूर्ण नियंत्रण हिन्दूओं को दिया जाए। यह मांग की गई कि यदि आवश्यक हो तो पूरी संरचना की तस्वीरें ली जाएं, फिल्मांकन किया जाए और खुदाई की जाए। इस याचिका के आधार पर कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया। मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा निर्मित कमल मौला मस्जिद इसी परिसर में है।

भोजशाला क्या है?

11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले पर परमार वंश का शासन था। राजा भोज वर्ष 1000 से 1055 तक धार के शासक थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि राजा भोज श्री सरस्वती देवी के बहुत बड़े भक्त थे। सन् 1034 में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की। यह महाविद्यालय बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाने लगा। इसे वाग्देवी (सरस्वती देवी) का मंदिर भी कहा जाता था।

हमारा दावा और दृढ़ हो गया है! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

याचिकाकर्ता और ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने आज इंदौर उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की है। यह रिपोर्ट 2 हजार पेज की है। हम रिपोर्ट के विवरण पर ध्यान दे रहे हैं। मैं रिपोर्ट के आधार पर कह सकता हूं कि यह बहुत सकारात्मक है।’ इससे हमारा दावेदारी दृढ़ हुई कि ‘भोजशाला पहले से स्थित हिंदू संरचना थी जिसे अवैध रूप से मस्जिद में बदल दिया गया था।’ हमारी मूल मांग यह है कि मुसलमानों को शुक्रवार को यहां नमाज पढ़ने की जो अनुमति दी गई है, उसे प्रतिबंधित किया जाए।