Non-Muslim Students In Madrasas : हिन्दू एवं अन्य जो मुसलमान नही है ऐसे बच्चों का भी मदरसो में पढना, समाज में धार्मिक विद्वेष का कारण है !

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो का बयान!

  • मुसलमानों के अतरिक्त अन्य किसी धर्म के बच्चों को मदरसों में पढने के लिए न भेजा जाए ! – कानूनगो

प्रियांक कानूनगो

नई देहली  – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मदरसों में शिक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मदरसे इस्लामिक शिक्षा के केंद्र है। यह शिक्षा का अधिकार कानून के नियंत्रण से बाहर है। अतः मदरसों में हिन्दू , साथ ही अन्य पथों के बच्चों की शिक्षा, न केवल उनके मौलिक संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, अपितु समाज में धार्मिक शत्रुता भी उत्पन्न कर सकती है।

१. कानूनगो ने उत्तर प्रदेश राज्य के देवबंद के पास एक गांव में एक हिन्दू लड़के का दबाब बनाकर धर्म परिवर्तन एवं खतने की घटना की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया। पिछले वर्ष अक्टूबर में हुई घटना को लेकर कानूनगो ने १३  जुलाई को मुसलमानों के अतरिक्त अन्य सभी बच्चों को मदरसों से दूर रहने की अपील की थी।

२. इस संबंध में कानूनगो ने पहले राज्य सरकारों से मदरसों में नामांकित जो छात्र मुस्लिम नही है उनके लिए नियमित स्कूलों में वैकल्पिक व्यवस्था करने का अनुरोध किया था। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव ने उनके अनुरोध के अनुरूप आदेश भी दे दिया था।

३.  इस संबंध में कानूनगो ने कहा कि ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ नामक इस्लामिक संगठन इस आदेश को लेकर लोगों को भ्रमित कर रहा है और सरकार के विरोध मे जनभावना भड़काने का काम कर रहा है। मौलवियों का यह संगठन ‘दारुल उलूम देवबंद’ की एक शाखा है। आयोग ने ‘गजवा-ए-हिंद’ (भारत का इस्लामीकरण) का समर्थन करने पर इस पर कार्यवाही की है।

४. किसी को भी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं करना चाहिए। मैं सभी से हाथ जोडकर अनुरोध करता हूं कि उग्रवादी संगठनों की मिथ्या बात से दूर रहें एवं बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में योगदान दें।

संपादकीय भूमिका 

समय-समय पर यह बात सामने आई है कि देश भर में कई मदरसो में जिहादी आतंकवाद का पुरस्कार, बलात्कार, हत्या जैसे अपराध किए गए है। अतः सरकार को नई शिक्षा नीति लागू करने के साथ-साथ मदरसों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कठोर कानून बनाने की धमक दिखानी चाहिए, ऐसा देशभक्तों का मानना है!