Muslims Annual Income : देश में मुसलमानों की आय हिन्दुओं से अधिक होने का निष्कर्ष !

स्वयंसेवी संस्था ‘प्राइस’ के सर्वेक्षण से मिली चौंकानेवाली जानकारी

न‌ई देहली – ‘पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्‍यूमर इकोनॉमी’ (प्राइस) इस स्‍वयंसेवी संस्था के एक सर्वेक्षण से यह तथ्य सामने आया है कि देश के मुसलमानों की वार्षिक आय २८ प्रतिशत, तो हिन्दुओं की १९ प्रतिशत बढ़ी है। इस संस्था ने देश के १६५ जनपदों के १ हजार ९४४ गांवों के २ लाख १ हजार ९०० परिवारों का सर्वेक्षण किया है। इसके आंकड़ों के अनुसार मुसलमान परिवारों की वार्षिक आय २ लाख ७३ हजार रुपए से २७.७ प्रतिशत बढ़कर ३ लाख ४९ हजार रुपए हुई है, तो हिन्दू परिवारों की वार्षिक आय २ लाख ९६ हजार रुपए से १८.८ प्रतिशत बढ़कर ३ लाख ५२ हजार रुपए हुई है। मुसलमान समाज आर्थिक दृष्टि से दुर्बल वर्ग में गिना जाता है। किंतु, इस वर्ग को तुलनात्‍मक दृष्टि से अधिक लाभ हुआ है, यह बात इस सर्वेक्षण से निकलकर सामने आई है।

१. ‘प्राइस’ के आंकड़ों के अनुसार उच्‍च वर्ग की आय ५२ प्रतिशत से घटकर ४५ प्रतिशत हो गई है। उच्‍च वर्ग की आय घटने से गरीब और मध्‍यम वर्ग की आय बढ़ी है। सरकार की निःशुल्‍क अन्न योजना, किसान सम्मान निधि और गृहनिर्माण योजनाओं ने कुछ मात्रा में सामाजिक और आर्थिक दूरी घटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। (देश में गरीबी और अमीरी के मध्य अंतर बढ़ने का ढिंढोरा पीटनेवाली कांग्रेस को तमाचा ! – संपादक)

२. देश के सिख परिवारों की वार्षिक आय ४ लाख ४० हजार रूपए से बढ़कर ६ लाख ९३ हजार रुपए हुई है। जैन-पारसी तथा अन्य छोटे समुदायों की वार्षिक आय ३ लाख ६४ हजार रुपए से बढ़कर ५ लाख ५७ हजार रुपए हुई है।

संपादकीय भूमिका

सरकार की विविध सामाजिक योजनाओं का लाभ दूसरों की तुलना में अधिक उठाते हुए अल्‍पसंख्‍यक मुसलमान समाज आर्थिक रूप से अधिक सक्षम बन रहा है। फिर भी, कांग्रेसी और साम्यवादी चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं, ‘देश में मुसलमानों के साथ अन्‍याय हो रहा !’