क्या मंदिरों में प्रातःसमय की जानेवाली आरती से शोर नहीं होता ? – उच्च न्यायलय का प्रश्न

अनेक घटनाओं में पुलिस कार्यवाही करती भी है; परंतु सत्य तो यह है कि जिस तत्परता से मंदिरों पर लगाए भोपुओं के विरुद्ध कार्यवाही होती है, उस तत्परता से मस्जिदों पर लगाए भोपुओं पर नहीं होती । नागरिकों की ऐसी अपेक्षा है कि न्यायालय इस बात की ओर भी ध्यान दें ।

अपने प्रेमी को अपनी ७ वर्ष की बेटी से बलात्कार की अनुमति देनेवाली महिला को ४० वर्षों के कारावास का दंड !

पीडिता एवं उसकी ११ वर्ष की बहन को शांत रहने के लिए धमकाया गया था । ये दोनों लडकियां भाग कर दादी के घर गईं  उसके पश्चात यह प्रकरण सामने आया है ।

उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाण पत्र पर बंदी के विरोध में इस्लामी संस्था न्यायालय जाएंगी !

आदेश को ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’ने न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है । ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियाज अहमद ने बताया कि हलाल प्रमाणित उत्पादों को प्रतिबंधित करना अनुचित है ।

आंध्र प्रदेश के मंदिर में नौकरी करने वाले द्वारा ईसाई धर्म स्वीकार करने पर नौकरी से निकाला गया 

हिन्दुओं के मंदिरों में हिन्दू ही काम करने वाले होने चाहिए, इसका कोई विरोध नहीं करेगा !

पुलिस की सहायता लेकर कार्यवाही करें, अधिकार न छोडें ! – देहली उच्च न्यायालय

सभी तंत्र हाथ में होते हुए भी सार्वजनिक संपत्ति मस्जिद की ओर से गैरकानूनी ढंग से नियंत्रण में ली जाती है और महानगरपालिका निष्क्रिय रहती है, यह लज्जास्पद !

ज्ञानवापी की सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय से १५ दिन का समय देने की याचिका 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी की सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय से १५ दिन का समय मांगा है । अत: १७ नवंबर की सुनवाई १८ नवंबर को होगी ।

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी १६ याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने आदेश किया सुरक्षित ! 

न्यायालय निश्चित करेगा कि एडवोकेट कमिश्नर के माध्यम से जन्मभूमि क्षेत्र का सर्वेक्षण कराने का आदेश दें ? अथवा धार्मिक स्थल कानून १९९१ के अंतर्गत सुनवाई पहले हो ।

SC/ST Act, Madhya Pradesh High Court : कर्मचारी कक्ष में जातिवाचक उल्लेख करना अपराध नहीं ! – मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय 

पुलिस ने कमलेश शुक्ला और आशुतोष तिवारी इन दोनों के विरोध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किया था ।

५ वर्ष की लड़की से बलात्कार कर उसकी हत्या करने वाले अशफाक आलम को मिला फांसी का दंड 

उसके विरुद्ध कुल १६ अपराधों की सुनवाई न्यायालय में चल रही थी । इन सभी अपराधों में उसका दोष सिद्ध हो गया और उनमें से ५ अपराधों के लिए फांसी का दंड सुनाया गया ।