संयुक्त राष्ट्रों में कश्मीर का प्रश्न उपस्थित करनेवाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भारत ने फटकारा !
पाकिस्तान विश्व में कहीं भी कश्मीर का प्रश्न उपस्थित करे, उसको ऐसा ही प्रत्युत्तर मिलेगा, यह बात वह सदैव ध्यान में रखे !
पाकिस्तान विश्व में कहीं भी कश्मीर का प्रश्न उपस्थित करे, उसको ऐसा ही प्रत्युत्तर मिलेगा, यह बात वह सदैव ध्यान में रखे !
इसे कहते हैं कि कुत्ते की पूंछ सीधी करने के लिए चाहे कितना भी प्रयास करें, वह टेढी ही रहेगी ! भूकंप की कालावधि में भारत द्वारा टर्की की सहायता करने पर भी वह पाकिस्तान के ही लिए पागल है, यह स्पष्ट होता है !
क्या कश्मीर बुखारी की निजी संपत्ति है ? भारत के प्रत्येक नागरिक ने कश्मीर की रक्षा और विकास के लिए बलिदान दिया है ! ऐसे प्रकार वक्तव्य देने वालों पर देशद्रोह का अभियोग कर कारागार में डाल देना चाहिए !
यदि पाकिस्तान की परिस्थिति में सुधार न हुआ, तो सहस्रों निर्वासित पाकिस्तान छोडकर विश्व में कहीं भी जाएंगे । भारत पर भी उसका व्यापक प्रभाव होगा ।
लगातार भारत विरोधी भूमिका लेनेवाले पाकिस्तान को सरकार ऐसी भाषा में सबक सिखाए जो उसकी समझ में आए !
भारत सरकार ने बार-बार पाकिस्तान के आतंकी मुख को विश्व के समक्ष उजागर किया है। ऐसे में यदि भारतीय जन साशंक हैं ! कि ‘क्या ऐसे समाचार प्रधानमंत्री मोदी की अपकीर्ती करने के लिए गढी जा रही हैं ?’ तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है ? भारत सरकार को इसे संज्ञान में लेकर इसका प्रत्युत्तर देना अति आवश्यक है !
आतंकवाद के विरुद्ध पूरा विश्व संघर्ष कर रहा है तथा ऐसे समय कुछ लोग अपराधी तथा आतंकवादी आक्रमणों का षड्यंत्र रचानेवाले लोगों को उचित सिद्ध कर रहे हैं । उनकी सुरक्षा के लिए वे अंतर्राष्ट्रीय व्यासपीठ का अनुचित प्रयोग कर रहे हैं ।
दोनों के बीच संबंध सुधरे तो अनेक लाभ हैं, किन्तु कश्मीर इसमें सबसे बड़ी बाधा है । कश्मीर प्रकरण का समाधान करने के लिए एक उचित योजना की आवश्यकता है ।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर पाकिस्तान की भारत विरोधी कृत्य सामने आई है । संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन-रूस युद्ध के मुद्दे पर चर्चा हो रही थी और पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कश्मीर का मुद्दा उठाया और इसकी तुलना रूस-यूक्रेन युद्ध से की ।
जिहादी पाक को अब शब्दों के माध्यम से स्पष्ट करना पर्याप्त नहीं, उसे हमेशा के लिए सबक सिखाए जाने की आवश्कता है, यह भारतीय शासनकर्ता ध्यान में लेंगे क्या ?