सदोष लोकतंत्र एवं उस संदर्भ में कुछ भी न करनेवाले निद्रित मतदार !
‘वर्तमान में भारत की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव वर्ष चल रहा है । हमें भारतीय स्वतंत्रता का अभिमान तो है; परंतु आज भी अनेक वृद्ध ‘इस लोकतंत्र की अपेक्षा अंग्रेजों की सत्ता ही ठीक थी’, ऐसा मत व्यक्त करते हुए दिखाई देते हैं !