(कहते हैं) ‘रात ९ बजे के बाद बाहर निकलने वाली महिला वैश्या होने पर उसे जान से मार देना चाहिए !’ – केरल के ‘इस्लामी विद्वान’ का फतवा
इस पर महिला आयोग, महिला मुक्ति संघठन आदि चुप क्यों ? मंदिर में प्रवेश के सूत्र पर महिलाओं के अधिकारों की याद दिलाने वाली तथाकथित स्त्रीवादी अब किस बिल में जाकर छिपी है ? कि इन सभी को यह महिलाओं का अपमान नहीं लगता ?