लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – सर्वोच्च न्यायालय की चेतावनी के पश्चात उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कांवड यात्रा के लिए दी गई अनुमति निरस्त कर दी है । कांवड यात्रा २५ जुलाई से ६ अगस्त की अवधि में आयोजित की जाने वाली थी । कोरोना की पृष्ठभूमि पर न्यायालय ने कहा था, ‘नागरिकों का स्वास्थ्य एवं उनके जीवन का अधिकार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है । अन्य सभी भावनाएं, फिर वे धार्मिक ही क्यों न हों, ऐसे मूलभूत अधिकार के अधीन हैं ।’ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यात्रा की अनुमति दिए जाने के पश्चात न्यायालय ने स्वयं याचिका प्रविष्ट कर ली थी । न्यायालय ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड सरकारों को नोटिस जारी कर १९ जुलाई को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा था । उत्तराखंड सरकार ने इस यात्रा की अनुमति नहीं दी थी ।
The Uttar Pradesh government announced that the #KanwarYatra is being cancelled in view of the coronavirus pandemic, as per a report https://t.co/t5yLnsTrZv
— Hindustan Times (@htTweets) July 17, 2021
क्या है कांवड यात्रा ?
श्रावण (सावन) महीने (माह) में कांवड यात्रा का आयोजन किया जाता है । इससे जुडी पौराणिक कथा के अनुसार प्रथम कांवड यात्रा शिवभक्त भगवान परशुराम द्वारा आयोजित की गई थी । यात्रा के समय, शिवभक्त भगवा वस्त्र परिधान करते हैं एवं गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों से पानी लेकर नंगे पैर पदयात्रा करते हैं । उत्तराखंड के हरिद्वार, गोमुख एवं गंगोत्री, बिहार के सुल्तानगंज तथा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, अयोध्या एवं वाराणसी जैसे तीर्थस्थलों से श्रद्धालु पवित्र जल लेकर अपने गांव लौटते हैं । श्रद्धालु इस जल का उपयोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए करते हैं । वर्ष २०१९ में इस यात्रा के काल में साढे तीन करोड श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे थे । इस काल में उत्तर प्रदेश के विभिन्न तीर्थस्थलों पर २-३ करोड श्रद्धालु आते हैं ।