न्यायालय के कागजपत्र जलद गती से भेजने के लिए तंत्र बनाने का आदेश
न्यायतंत्र की इस त्रुटी को दूर करने के लिए न्यायालय को क्यों बताना पडता है ? न्यायतंत्र सक्षम होने के लिए इसके पहले ही ऐसे प्रयास क्यों नही हुए ?
नई दिल्ली – इंटरनेट के युग में जमानत देने के संदर्भ का आदेश संबंधितों को पहुंचाने के लिए पोस्ट की सहायता ली जा रही है । आज के सूचना और प्रौद्योगिकी के समय में ‘आकाश की ओर नजर टिका कर कबूतर आकर जमानत का आदेश पहुंचाएगा’, ऐसे करने समान है, ऐसा बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय की प्रशासनिक सेवा के विषय में अप्रसन्नता व्यक्त की । महत्वपूर्ण न्यायालयीन कागजपत्र जल्द से जल्द संबंधित कार्यालयों में कम समय में भेजे जाने वाला तंत्र निर्माण करने का आदेश न्यायालय ने इस समय अधिकारियों को दिया । साथ ही न्यायालय ने रजिस्ट्रार विभाग को २ सप्ताह के अंदर इससे संबंधित रिपोर्ट बनाने का आदेश दिया । इस नए तंत्र को ‘फास्टर’ अर्थात ‘फास्ट एंड सिक्योर ट्रान्समिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक रेकॉर्ड’ ऐसा नाम सुझाया गया है । इस माध्यम से उच्चतम न्यायालय का कोई भी आदेश जल्द से जल्द उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों के साथ कारागृह अधिकारियों तक भेजा जा सकता है ।
"We had ordered release in some matters, and they were not released since they (jail authorities) did not receive authentic copy of orders. This is too much”https://t.co/9KDX7dTguj
— NorthEast Now (@NENowNews) July 16, 2021
आगरा के कारागृह से १३ बंदीवानों को छोडने के आदेश पर कार्यवाही करने में हो रही देरी पर न्यायालय ने उपरोक्त आदेश दिया है । न्यायालय ने ८ जुलाई के दिन इन आरोपियों को जमानत का आदेश जारी किया था; लेकिन अभी तक बंदीवानों को जमानत पर छोडा नही गया है । यह आरोपी हत्या के मामले में १४ से २१ वर्षों से कैद में हैं ।