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मुंबई (महाराष्ट्र) – चेंबूर के आचार्य मराठे महाविद्यालय प्रशासन ने वर्ष २०२३ में हिजाब एवं बुर्का पर प्रतिबंध लगाया था । आगामी शैक्षिक वर्ष में यह प्रतिबंध हटाया जाए, इसलिए कुछ दिनों से मुसलमानों द्वारा महाविद्यालय प्रशासन पर दबाव लाने का प्रयास हो रहा है । इस विषय में कुछ मुसलमान छात्राओं ने राष्ट्रीय एवं राज्य मानवाधिकार आयोग से परिवाद किया है । महाविद्यालय प्रशासन ने इस दबाव में आने की अपेक्षा आगामी शैक्षिक वर्ष में भी हिजाब एवं बुर्का पर प्रतिबंध स्थायी रखने का निर्णय लिया है ।
अगस्त २०२३ में आचार्य मराठे महाविद्यालय के परिसर में हिजाब एवं बुर्का परिधान करने पर प्रतिबंध लगाया गया था । ‘यह धार्मिक स्वतंत्रता कुचलने का षड्यंत्र है,’ ऐसा चिल्लाकर मुस्लिम समाज के कुछ घटकों ने इसका विरोध किया था । इस वर्ष पोशाक के विषय में प्रसारित की गई सूचना में भी महाविद्यालय के प्रशासन ने बुर्का, निकाब, हिजाब, बिल्ला, टोपी जैसी धर्म से संबंधित पोषाक परिधान करने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है । इसपर १३ मई को ३० छात्रों ने महाविद्यालय प्रशासन को निवेदन देकर पोषाक के नियम रहित करने की मांग की है ।
संपादकीय भूमिकाशिक्षा लेते समय धार्मिक पहचान बनाए रखनेवालों के विषय में तथाकथित निधर्मी टोली चुप क्यों है ? |