‘Chhatrapati Sambhajinagar’ And ‘Dharashiv’ : ‘छत्रपति संभाजीनगर’ और ‘धाराशिव’ जिलों के नाम पर मुंबई उच्च न्यायालय की ओर से मोहर !

  • मुंबई उच्च न्यायालय का प्रशंसनीय निर्णय !

  • औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिलों के नाम अब से ‘छत्रपति संभाजीनगर’ और ‘धाराशिव’ ही !

मुंबई (महाराष्ट्र) – औरंगाबाद जिले का नाम ‘छत्रपति संभाजीनगर’ तथा उस्मानाबाद जिले का नाम ‘धाराशिव’ किए जाने का निर्णय राज्यसरकार साथ ही केंद्रसरकार की ओर से लिया गया था । इस निर्णय को इस जिले के कुछ नागरिकों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी । इस प्रकरण में प्रविष्टि की गई याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई थी । ४ अक्टूबर, २०२३ तक चली सुनवाई के उपरांत न्यायाधीशों ने इसका निर्णय सुरक्षित रखा था; लेकिन ८ मई के दिन यह निर्णय घोषित किया गया तथा नाम परिवर्तन के विवाद पर सरकार को बड़ी दिलासा मिली है । इस संबंध में प्रविष्टि की गई याचिका मुंबई उच्च न्यायालय ने नकार दी है । राज्यसरकार द्वारा लिए निर्णय को अनेक याचिकाओं द्वारा चुनौती दी गई थी। ये सभी याचिकाएं नकार दी गई हैं ।

राज्यसरकार द्वारा लिया गया निर्णय किसी भी नियमों का उल्लंघन करने वाला नहीं !

राज्यसरकार का यह निर्णय गैरकानूनी नहीं । यह याचिका नकारते समय इस निर्णय के कारण किसी को भी फरक नहीं पडेगा, साथ ही कोई भी आर्थिक दंड नहीं लगाएंगे, ऐसा न्यायालय ने स्पष्ट किया है । औरंगाबाद जिले का नाम ‘छत्रपति संभाजीनगर’ जिला करने की मांग अनेक दिनों से की जा रही थी । उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल में भी इसे सम्मति दी गई थी; लेकिन उपरांत में पुनः एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होने पर उन्होंने संभाजी नगर के बजाय छत्रपति संभाजीनगर ऐसे जिले का नामकरण किया । जिसे केंद्रसरकार ने भी सम्मति दी ।

नामांतरण का इतिहास क्या है ?

औरंगाबाद शहर का ‘संभाजीनगर’, ऐसा नामांतरण करने का निर्णय शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार के समय वर्ष १९९७ में हुआ था । सभी प्रक्रिया पूर्ण कर अधिसूचना जारी की गई थी; लेकिन राज्य सरकार के इस निर्णय को न्यायालय में चुनौती दी गई । प्रकरण उच्चतम न्यायालय में गया था । राज्य में वर्ष १९९९ में सत्ता बदलने पर औरंगाबाद के नामांतरण की अधिसूचना तत्कालीन विलासराव देशमुख सरकार ने वापस ली थी । इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले २५ वर्ष निर्णय होने पर भी ‘संभाजीनगर’, ऐसा नामकरण नहीं किया गया था ।

अहमदनगर जिले का भी नामांतरण होगा !

अहमदनगर जिले का नाम भी ‘अहिल्यादेवीनगर’ करने का निर्णय राज्यसरकार ने लिया है । इस संबंध की सिफारिश राज्यसरकार ने केंद्रसरकार से की है । उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी अहमदनगर की सार्वजनिक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुन: सत्ता में आने पर अहमदनगर जिले का नामकरण पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी नाम रखने की बात घोषित की है ।

संपादकीय भूमिका 

इस्लामी आक्रमणकारियों के नाम गांव, शहर अथवा मार्गों के होना, यह गुलामी का ही प्रतीक है । जिन मुगलों ने भारत पर आक्रमण कर प्रचंड नरसंहार किया, हिन्दू महिलाओं का बलात्कार किया, मंदिर नष्ट किए ऐसे इस्लामी आक्रमणकारियों के नाम हटाने के लिए न्यायालय ने निर्णय देने से मुगल प्रेमियों को तमाचा लगा है !