चेन्नई (तमिलनाडु) – यहां गैरकानूनन निर्माण की गई ‘मस्जिद-ए-हिदाया’ एवं मदरसा गिराने का चेन्नई पालिका का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थायी रखा गया है । सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय देते हुए कहा, ‘यह भवन गैरकानूनी पद्धति से निर्माण किया गया था ।’ साथ ही न्यायालय ने सार्वजनिक स्थानों पर निर्माण किए गए सभी धार्मिक स्थल गिराने का आदेश दिया है ।
#SupremeCourtofIndia upholds #HighCourt 's order to demolish an illegal M@$j!d in Chennai.
Why is the administration always unaware until the #illegal structure is completely erected on Government land ? Further, when it is brought to their notice, they act sluggishly upon the… pic.twitter.com/tAc2TJ5K2B
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 27, 2024
१. इस निर्णय के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने कोइंबेडू, चेन्नई स्थित मस्जिद एवं मदरसा प्रकरण में मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश स्थायी रखा है । सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय देते हुए कहा है, ‘मंदिर, मस्जिद अथवा चर्च कोई भी हो, सार्वजनिक स्थान पर निर्माण किए गए अवैधानिक धार्मिक वास्तु धर्मप्रसार का स्थान नहीं हो सकता ।’ २२ नवंबर २०२३ को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के उपरांत उसके विरोध में मुसलमानों द्वारा प्रविष्ट याचिका पर न्यायालय सुनवाई कर रहा था ।
२. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी राज्यों को सावधानी बर्तने का आदेश दिया गया है कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर गैरकानूनी धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं कर सकते ।
३. न्यायालय का कहना है कि जहां अवैधानिक अतिक्रमण है, वह भूमि प्रत्यक्ष में चेन्नई मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी के स्वामीत्व की है । याचिकाकर्ता अवैधानिक प्रबंधक है । याचिकाकर्ता द्वारा भवन की योजना की सहमति के लिए कभी भी निवेदन नहीं दिया । ९ दिसंबर २०२० को प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा नोटिस भेजने के उपरांत भी गैरकानूनी निर्माणकार्य जारी ही रखा गया ।
Supreme Court upholds demolition of Chennai mosque, says construction was totally illegal
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— Bar & Bench (@barandbench) February 27, 2024
संपादकीय भूमिकासरकारी भूमि पर मस्जिद का निर्माण होने तक सरकार सदैव सोई रहती है; एवं पश्चात कोई पीछे पडे, तब निरुत्साह से कार्यवाही करने के प्रयास करती है । ऐसे प्रशासन के संबंधित अधिकारियों पर भी अब कार्रवाई करना आवश्यक है ! |