Keep Non-Hindus Away from Mahakumbh : कुंभ मेले में गैर-हिन्दुओं को दुकान न लगाने दें ! – अखाडा परिषद

अखिल भारतीय अखाडा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – प्रयागराज में कुंभ मेले में गैर-हिन्दू दुकानदारों को चाय, फलों के रस और फूलों की दुकानें लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए । ऐसी चीजों में थूकते हैं, पेशाब करते हैं । अखिल भारतीय अखाडा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी ने चेतावनी दी कि अगर उन्हें अनुमति दी गई तो नागा साधुओं को उनके विरुद्ध बलपूर्वक कार्रवाई करनी होगी । १३ जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ मेला आरंभ हो रहा है । महंत रवींद्र पुरी ने पहले भी कुंभ मेले में मुस्लिम विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी ।

१. महंत पुरी ने आगे कहा कि अगर ऐसी कोई घटना होती है और इससे किसी की भावनाएं आहत होती हैं तो इससे विश्वभर में गलत संदेश जाएगा । आपका कुम्भ मेला सुन्दर, स्वच्छ, भव्य-दिव्य और शांतिपूर्ण हो । कुंभ मेले की सुरक्षा तथा पवित्रता बनाए रखने के लिए गैर-हिन्दुओं को कुंभ मेले से दूर रखने की आवश्यकता है ।

२. संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद पर रवींद्र पुरी ने भी प्रतिक्रिया दी है । उन्होंने कहा कि यह प्रकरण केवल संभल का नहीं है । पूरे भारत में आप जहां भी जाएं, वहां पहले मंदिर हुआ करता था और अब वहां मस्जिद है ।

३. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ‘शाही स्नान’ और ‘पेशवाई’ शब्दों का नाम बदलकर ‘राजसी स्नान’ और ‘चवानी प्रवेश’ करने का भी निर्णय लिया है ।

४. रवींद्र पुरी ने कहा था कि ‘शाही’ एक उर्दू शब्द है । वैसे तो हमें उर्दू से बिल्कुल भी द्वेष नहीं है । उर्दू और हिन्दी का गहरा संबंध है; लेकिन जब धर्म, परंपरा अथवा संस्कृति की बात आती है, तो हम सदा संस्कृत अथवा हिंदी शब्दों का अधिक उपयोग करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि वे अधिक उपयुक्त होते हैं ।

संपादकीय भूमिका 

यदि अखिल भारतीय अखाडा परिषद की इस मांग के लिए धर्मनिरपेक्षतावादियों के एक समूह द्वारा उनकी आलोचना की जाती है, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए । चूंकि महाकुंभ एक हिन्दू धार्मिक त्योहार है, इसलिए हिन्दुओं को यह निश्चित करने का अधिकार होना चाहिए कि वहां क्या होना चाहिए और क्या नहीं । अतः प्रशासन को इस मांग पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए !