प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – प्रयागराज में कुंभ मेले में गैर-हिन्दू दुकानदारों को चाय, फलों के रस और फूलों की दुकानें लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए । ऐसी चीजों में थूकते हैं, पेशाब करते हैं । अखिल भारतीय अखाडा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी ने चेतावनी दी कि अगर उन्हें अनुमति दी गई तो नागा साधुओं को उनके विरुद्ध बलपूर्वक कार्रवाई करनी होगी । १३ जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ मेला आरंभ हो रहा है । महंत रवींद्र पुरी ने पहले भी कुंभ मेले में मुस्लिम विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी ।
Keep Non-Hindus Away from Mahakumbh: Do not allow non-Hindus to set up shops at the Kumbh Mela! – Mahant Ravindra Puri, Akhada Parishad
It should not be surprising if the gang of secularists criticizes the Akhil Bharatiya Akhada Parishad for this demand!
Since #MahaKumbh2025 is… pic.twitter.com/IHTXttsirg
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 1, 2025
१. महंत पुरी ने आगे कहा कि अगर ऐसी कोई घटना होती है और इससे किसी की भावनाएं आहत होती हैं तो इससे विश्वभर में गलत संदेश जाएगा । आपका कुम्भ मेला सुन्दर, स्वच्छ, भव्य-दिव्य और शांतिपूर्ण हो । कुंभ मेले की सुरक्षा तथा पवित्रता बनाए रखने के लिए गैर-हिन्दुओं को कुंभ मेले से दूर रखने की आवश्यकता है ।
२. संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद पर रवींद्र पुरी ने भी प्रतिक्रिया दी है । उन्होंने कहा कि यह प्रकरण केवल संभल का नहीं है । पूरे भारत में आप जहां भी जाएं, वहां पहले मंदिर हुआ करता था और अब वहां मस्जिद है ।
३. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ‘शाही स्नान’ और ‘पेशवाई’ शब्दों का नाम बदलकर ‘राजसी स्नान’ और ‘चवानी प्रवेश’ करने का भी निर्णय लिया है ।
४. रवींद्र पुरी ने कहा था कि ‘शाही’ एक उर्दू शब्द है । वैसे तो हमें उर्दू से बिल्कुल भी द्वेष नहीं है । उर्दू और हिन्दी का गहरा संबंध है; लेकिन जब धर्म, परंपरा अथवा संस्कृति की बात आती है, तो हम सदा संस्कृत अथवा हिंदी शब्दों का अधिक उपयोग करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि वे अधिक उपयुक्त होते हैं ।
संपादकीय भूमिकायदि अखिल भारतीय अखाडा परिषद की इस मांग के लिए धर्मनिरपेक्षतावादियों के एक समूह द्वारा उनकी आलोचना की जाती है, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए । चूंकि महाकुंभ एक हिन्दू धार्मिक त्योहार है, इसलिए हिन्दुओं को यह निश्चित करने का अधिकार होना चाहिए कि वहां क्या होना चाहिए और क्या नहीं । अतः प्रशासन को इस मांग पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ! |