मूर्ति को पारंपरिक साडी न पहनाने के कारण अभाविप और बजरंग दल का आंदोलन
अगरतला (त्रिपुरा) – त्रिपुरा के ‘आर्ट अँड क्राफ्ट’ नामक सरकारी कला महाविद्यालय में १४ फरवरी को श्री सरस्वती देवी के पूजन का उत्सव आयोजित किया गया था; परंतु इस कार्यक्रम में श्री सरस्वती देवी की मूर्ति को पारंपरिक साडी नहीं पहनायी गई । इसके परिणामस्वरुप मूर्ति अश्लील दिख रही थी, इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मूर्ति को साडी पहनायी । इस मामले में इन संगठनों ने यहां आंदोलन किया । अ.भा.वि.प. के त्रिपुरा शाखा के मुख्य सचिव दिवाकर आचार्जी ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया । अंत में महाविद्यालय के प्रशासन ने इस मूर्ति को परिववर्तित कर उसे प्लास्टिक से ढंक दिया है ।
आचार्जी ने बताया कि हम सभी जानते है कि वसंत पंचमी के दिन श्री सरस्वती देवी की पूरे देश में पूजा की जाती है । सवेरे ही हमें पता चला कि सरकारी आर्ट अँड क्राफ्ट महाविद्यालय में श्री सरस्वती देवी की मूर्ति अत्यंत अनुचित और असभ्य पद्धति से साकारित की गई है । श्री सरस्वती देवी की मूर्ति को पारंपरिक साडी पहनायी नहीं गई थी । इसलिए हमने इसके विरुद्ध प्रदर्शन किए । तदुपरांत इसकी जानकारी बजरंग दल को मिली । इसलिए उन्होंने भी इन प्रदर्शनों में सहभाग लिया । इसके पश्चात मूर्ति को साडी पहनायी गई ।
(सौजन्य : CHINI KHORANG TRIPURA)
घटनास्थल पर पुलिस आ पहुंची; परंतु महाविद्यालय ने प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कोई परिवाद नहीं किया । पुलिस ने स्पष्ट किया कि अ.भा.वि.प. और बजरंग दल ने भी महाविद्यालय के विरुद्ध कोई परिवाद नहीं किया है ।
पारंपरिक मूर्ति बनाई गई ! – महाविद्यालय का स्पष्टीकरण
महाविद्यालय प्रशासन ने कहा कि हिन्दू मंदिरों की प्रथाओंनुसार पारंपरिक शिल्पकला का पालन मूर्ति बनाने के समय किया था । किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत करने का हमारा उद्देश्य नहीं था ।
मुख्यमंत्री इस घटना में हस्तक्षेप कर महाविद्यालय पर कार्यवाही करें ! – अ.भा.वि.प. की मांग
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा इस घटना में हस्तक्षेप कर महाविद्यालय प्राधिकरण के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, ऐसी मांग अ.भा.वि.प. ने की है ।
उक्त चित्र एवं वीडियो प्रकाशित करने का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं है । केवल जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है । – संपादक |
संपादकीय भूमिकात्रिपुरा में भाजपा की सरकार होते हुए भी सरकारी महाविद्यालय में ऐसा होना हिन्दुओं को अपेक्षित नहीं ! |