नमाज की आड में यह तो शक्ति-प्रदर्शन ही है !

जयपुर-देहली महामार्ग पर नमाज पठन करते हुएं मुसलमान

जयपुर-देहली महामार्ग पर ईद के दिन मुसलमानों ने नमाज पढी, जिसके कारण ५ कि.मी. तक की सडक पूर्णतया बंद थी । इस संदर्भ में प्रसारित कुछ वीडियो में वहां उपस्थित लोगों की संख्या देखी जाए, तो ऐसा लगेगा कि क्या यह इराक या सीरिया में चल रहा है ?; परंतु यह भारत में ही हो रहा है, इसे हमें ध्यान में लेना होगा । मुख्य बात यह कि भारत में अनेक स्थानों पर खुले में नमाज पढने की ऐसी घटनाएं केवल ईद ही नहीं, अपितु अन्य दिन भी होती हैं । सामाजिक माध्यमों में उसके समाचार एवं वीडियो प्रसारित होते हैं । कुछ लोग इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं; किंतु उसके आगे कुछ नहीं होता ।

मुसलमानों की तानाशाही !

भारत में नमाज पढने के लिए उपलब्ध मस्जिदों का विचार किया जाए, तो कुछ क्षेत्रों में वहां की जनसंख्या की तुलना में उनकी संख्या अधिक है । वेरावल एवं प्रयागराज जंक्शन, इन रेलस्थानों के कुछ प्लैटफॉर्म्स पर ही मस्जिदे हैं । ड्रोन से खींचे गए छायाचित्रों में देहली की जामा मस्जिद के अंदर की ओर तथा परिसर में बहुत खाली स्थान दिखाई देता है; परंतु तब भी मुसलमान धर्मीय मस्जिद से सटी सडक पर नमाज पढते हुए दिखाई देते हैं । उत्तर भारत के एक राज्य में निवासी संकुल में स्थित खाली स्थान में नमाज पढी जा रही थी, जिस पर वहां के नागरिकों ने आपत्ति दर्शाकर पुलिस थाने में उसका परिवाद करने तक विषय पहुंच जाने पर ही वह बंद हुआ । भारतीय पुरातत्व विभाग ने जम्मू-कश्मीर के मार्तंड सूर्यमंदिर में हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति नहीं दी थी; परंतु ईद के दिन धर्मांधों ने वहां पटाखे जलाए ।

मुसलमानों को नमाज पढनी है अथवा क्या उसकी आड में शक्तिप्रदर्शन करना है ?, साथ ही प्रशासन एवं पुलिस ने उनके इस कृत्य पर किसी प्रकार की आपत्ति नहीं दर्शाई; क्योंकि वे आपत्ति नहीं दर्शाएंगे, इसके प्रति वे आश्वस्त हैं । इसलिए समूह शक्ति के बल पर यह सब चल रहा है, यह अधिकांश हिन्दुओं के ध्यान में आता है । भारत में मुसलमान केवल नाममात्र अल्पसंख्यक हैं । यहां तो उनकी मनमानी खुलेआम चलती रहती है तथा किसी ने इस पर आपत्ति दर्शाई, तो वे उनके समुदाय की संगठित शक्ति के बल पर मारपीट करने के लिए निरंकुश ही हैं ! यदि राम नवमी, हनुमान जयंती अथवा अन्य धार्मिक उत्सवों के समय मस्जिदों के पास से केवल शोभायात्राएं भी ले जाएं, तब भी धर्मांधों को वह सहन नहीं होता तथा वे शोभायात्राओं पर पथराव करते हैं, हिन्दुओं की दुकानों में आगजनी करते हैं तथा मूर्तियों का अनादर करते हैं । दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो केवल मस्जिदें ही नहीं, अपितु आसपास के परिसर पर भी उन्हीं की ‘हुकूमत’ चलती है, यह उन्हें दिखाना है; ऐसा लगता है ।

रमजान के महिने में ही अपराध

एक ओर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘रमजान के पवित्र महिने में मुसलमान कुछ अनुचित नहीं करेंगे’, ऐसा लगता है; परंतु रोजा के (उपवास) की अवधि में ही दिनाजपुर (बंगाल) में एक हिन्दू लडकी के साथ उसके धर्मांध मित्र तथा उसके अन्य मित्रों ने सामूहिक बलात्कार कर उसकी नृशंस हत्या की । बंगाल की पुलिस उस लडकी के शव को तालाब से निकालकर उसे अक्षरशः सडक पर खींचते हुए ले गई । एक लडकी, जिस लडकी पर धर्मांधों ने सामूहिक अत्याचार कर उसकी हत्या की हो, उसके शव को इस प्रकार से ले जाने के पीछे बंगाल पुलिस की क्या मानसिकता है ? क्या बंगाल पुलिस को शव को कैसे ले जाते हैं, इसका प्रशिक्षण नहीं दिया गया है ? हिन्दुओं को ऐसा लगता है कि बंगाल पुलिस की यह केवल अमानवीयता ही नहीं, अपितु यह उनकी हिन्दुओं के प्रति घृणा ही है ! रमजान के महिने में ही बिहार में शुक्रवार की नमाज के उपरांत ‘अतीक-अशरफ अमर रहे, योगी मुर्दाबाद’ के नारे दिए गए । केरल में एक धर्मांध ने रेल जलाकर कुछ यात्रियों की हत्या की ।

आजकल एक विज्ञापन प्रसारित किया जा रहा है । उसमें एक मुसलमान युवक जब नमाज पढ रहा होता है, उस समय एक साडी पहनी हुई हिन्दू लडकी उसके पास आती है तथा वह उसे पंजाबी वेशभूषा देता है । उसके अगले दृश्यों में ‘वह उसके माथे की बिंदी निकालता है तथा सिर पर पल्लू लेने के लिए कहकर उसके उपरांत उसका स्वीकार करता है’, ऐसा दिखाया गया है । यह विज्ञापन अभी ही क्यों प्रसारित किया गया ? क्या इससे धर्मांधों को ‘ईद की अवधि में हिन्दू लडकियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण कीजिए’, यह संदेश देना है ?

मुसलमान धर्मीय विद्वान डॉ. सईद रिजवान ने कहा कि मुसलमानों से यह पूछना पडेगा कि इस प्रकार सडक पर आकर नमाज क्यों पढी जाती है ? अन्य एक विचारक ने कहा, ‘‘भारत में मुसलमान इतनी बडी संख्या में ईद मना रहे हैं; परंतु क्या कोई हिन्दू उस पर आपत्ति दर्शाता हुआ अथवा क्या मुसलमानों को उनका त्योहार मनाने में अवरोध उत्पन्न करते हुए दिखाई देता है ? हिन्दुओं के उत्सवों के समय ऐसा नहीं होता । भारत के मुसलमान विद्वानों एवं विचारकों को वैसे लगता है । अरब एवं अन्य मुसलमान देशों को लगता है कि ‘भारत में मुसलमान असुरक्षित हैं ।’

वक्फ की भूमि पर नमाज क्यों पढी नहीं जाती ?

आज के समय वक्फ बोर्ड के पास ८ लाख एकड से भी अधिक भूमि है । मुसलमानों को यदि जगह अल्प पड रही हो, तो वे ईद की नमाज वक्फ बोर्ड की भूमि पर क्यों नहीं पढते ? हिन्दुओं के लाखों की संख्या में संपन्न होनेवाले सामूहिक समारोह एवं उत्सव प्रांगणों में होते हैं, सडकें रोककर नहीं ! नमाज पढने के नाम पर सडक पर उतरकर शक्ति प्रदर्शन करना, हिन्दू लडकियों पर अत्याचार करना, उनका धर्मांतरण करने का प्रयास तथा अपराध करने की घटनाएं, हिन्दुओं पर हो रहे विभिन्न प्रकार के अत्याचार ही हैं । इन घटनाओं को अभी रोका नहीं गया, तो भविष्य में हिन्दुओं को सडक पर चलना-फिरना तथा जीवन जीना भी कठिन बन जाएगा, इसे ध्यान में लेकर प्रशासन एवं पुलिस को ऐसी घटनाएं रोककर मुसलमानों को उसका भान कराना आवश्यक है !

हिन्दू बहुसंख्यक देश में रास्ता रोककर नमाज पढना धार्मिक नहीं, अपितु शक्ति-प्रदर्शन ही है, ऐसे हिन्दुओं को लगता है !