(इनकी सुनिए….) ‘मैं चुप नहीं बैठुंगा, मैं मोदी से नहीं डरता !’ – राहुल गांधी

पत्रकार परिषद को संबोधित करते राहुल गांधी

नई देहली – देश में आज लोकतंत्र पर आक्रमण हो रहा है । प्रतिदिन इसके उदाहरण देखने को मिल रहे हैं । मैंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उद्योगपति अदानी के संबंध को लेकर प्रश्‍न पूछे थे । उनके प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए । अदानी के प्रतिष्ठानों में २० सहस्र करोड रुपए किसने लगाए ?’ यह सीधा प्रश्‍न मैंने पूछा था राहुल गांधी ने यहां कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में आरोप लगाते हुए स्वयं की सदस्यता निरस्त होने का ठीकरा प्रधानमंत्री मोदीजी पर फोडा है । उन्होंने आगे कहा ‘मेरी सदस्यता निरस्त होने के पश्चात भी मैं चुप नहीं बैठुंगा । मैं मोदी सरकार से प्रश्‍न पूछना बंद नहीं करूंगा । मैं उनसे डरता नहीं हूं’ । सूरत सत्र न्यायालय ने ‘मोदी’ उपनाम की मानहानि करने पर राहुल गांधी को २ वर्ष के कारावास का दंड सुनाया । तदनंतर राहुल गांधी की सदस्यता निरस्त कर दी गई । इस प्रकरण में गांधी ने अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए पत्रकार परिषद बुलाई थी । मोदी समाज ओबीसी वर्ग से है, इसलिए भाजपा ने इस प्रकरण में राहुल गांधी पर मोदी समाज का अनादर करने का भी आरोप लगाया है ।

राहुल गांधी ने आगे कहा ‘वस्तुतः यह ओबीसी का विषय ही नहीं है । यह मोदी एवं अदानी से संबंधित विषय है । ओबीसी की आड में भाजपा सूत्र को भटकाने का प्रयास कर रही है; परंतु वे चाहे जितने भी आरोप लगा लें, मैं उनको प्रश्‍न पूछना बंद नहीं करूंगा’ ।

संपादकीय भूमिका 

भारत में लोकतंत्र विद्यमान है, इससे प्रत्येक को बोलने तथा मत प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता है; परंतु संविधान ने किसी को भी स्वतंत्रता के नाम पर किसी की भी मानहानि करने की अनुमति नहीं दी है, यह बात राहुल गांधी भूल गए हैं, वे ‘अनर्गल बकवास’ के अंतर्गत दिखावा कर रहे हैं, यही ध्यान में आता है !

(और सुनिए….) ‘मैं सावरकर नहीं, गांधी हूं; क्षमा नहीं मांगूंगा !’ – राहुल गांधी ने दुहाई दी

पत्रकार परिषद में एक पत्रकार ने राहुल गांधी को उनकी मानहानि के संबंध में प्रश्न पूछा कि ‘भाजपा ने कहा है, यदि आप क्षमा मांगते, तो यह स्थिति न आती । इस विषय में आपका क्या कहना है ?’ तब राहुल गांधी ने उत्तर देते हुए कहा,  ‘मैं सावरकर नहीं, अपितु गांधी हूं । क्षमा नहीं मांगूंगा’ । इससे पूर्व कांग्रेस ने एक चित्र ट्वीट किया था । उसमें राहुल गांधी को दिखाकर उपरोक्त वक्तव्य दिया गया था ।

संपादकीय भूमिका 

राहुल गांधी पाखंडी हैं । इससे पूर्व उन्होंने २ बार न्यायालय में क्षमा मांगी थी । इसलिए उनको दंड नहीं दिया गया था । ये सार्वजनिक घटनाएं हैं; परंतु राहुल गांधी स्वयं को स्वातंत्र्यवीर सावरकर से बडा प्रमाणित करने के लिए खुलेआम झूठ बोल रहे हैं, यह ध्यान में लें ! क्या ऐसे लोगों की तुलना कभी सावरकरजी से हो सकती है ?