लोगों की भावनाएं आहत न हों; इसलिए कुतुब मीनार परिसर के देवी-देवताओं की मूर्तियां ठीक से रखें !

देहली के न्यायालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को आदेश !

कुतुब मीनार परिसर में देवी-देवताओं की मूर्तियां  (चित्रपर क्लिक करें)

नई देहली – कुतुब मीनार परिसर में हिन्दुओं के देवी-देवताओं की मूर्तियां अपमानजनक स्थिति में हैं, हिन्दू पक्ष ने यहां के साकेत न्यायालय में यह जानकारी दी । तदनंतर न्यायालय ने आदेश दिया है ‘लोगों की भावनाएं आहत न हों; इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग मूर्तियां ठीक से रखे’ । इस संदर्भ में प्रविष्ट याचिका की सुनवाई २४ अप्रैल को होगी ।

१. हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता (पू.) हरिशंकर जैन ने न्यायालय को कहा कि कुतुब मीनार का निर्माण २७ जैन एवं हिन्दू मंदिर तोडकर किया गया है । इसी से हमें यहां पूजा करने का अधिकार मिलने के लिए याचिका प्रविष्ट की गई है ।

२. तब न्यायालय ने पूछा, ‘क्या आपकी इच्छा है कि यहां का निर्माण गिराया जाए ?’ तब अधिवक्ता (पू.) जैन ने कहा ‘कोई भी निर्माण कार्य गिराने की हमारी आकांक्षा नहीं है । हिन्दू धर्म के अनुसार यदि मंदिर के देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाए, तो वह सदैव मंदिर ही रहेगा । इसलिए इस परिसर में पूजा करने का हमारा पूर्व-अधिकार हम पुन: मांग रहे हैं ।’

कुतुब मीनार और परिसर में भगवान विष्णु की पताका के साथ लौहस्तंभ

३. न्यायालय ने पूछा, ‘यहां मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, क्या उसके संदर्भ में आपके पास कोई प्रमाण है ?’ तब पू. जैन ने कहा कि यहां लौहस्तंभ है । उस पर संस्कृत श्‍लोक लिखे गए हैं । लौहस्तंभ भगवान विष्णु की पताका है । आज भी कुतुब मीनार परिसर में देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं ।

लौहस्तंभपर लिखे संस्कृत श्लोक

संपादकीय भूमिका 

यह बात न्यायालयाल को क्यों कहनी पडती है ? यह पुरातत्व विभाग के ध्यान में क्यों नहीं आता ? सदा हिन्दुओं की ही धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाला पुरातत्व विभाग अमान्य करें !