चलचित्रों, धारावाहिकों आदि के माध्यम से धर्म के अपमान को रोकने के लिए ‘धर्म सेंसर बोर्ड’ की स्थापना ।

द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की स्थापना !

शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

नई देहली – चलचित्रों, समाजिक माध्यमों और दूरदर्शन के माध्यम से हिन्दू देवी-देवताओं और धर्म के अपमान को रोकने के लिए एक ‘धर्म सेंसर बोर्ड’ का गठन किया गया है । इसकी स्थापना द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की है । मंडल चलचित्रों में प्रदर्शित किए जाने वाले धार्मिक तत्वों का नियंत्रण और अनुमोदन करेगा ।

१. शंकराचार्य ने कहा कि कुछ लोग विश्व भर में विभिन्न माध्यमों से सहस्त्रों दर्शकों का मनोरंजन करते हैं, किन्तु उसके माध्यम से वे संस्कृति, परंपरा, धर्म और समाज के संवेदनशील सिद्धांतों को ठेस पहुंचाते हैं । समाज में घृणा व द्वेष का प्रसार करते हैं इसलिए हमने जनाआग्रह पर’धर्म सेंसर बोर्ड’ का गठन किया है, जो चलचित्रों, धारावाहिकों और श्रृंखलाओं के दृश्यों, संवादों, कहानियों आदि पर दृष्टि रखेगा, जिससे समाज में घिनौनी बातें करोड़ों लोगों तक न पहुंचे ।

२. उत्तर प्रदेश चलचित्र विकास परिषद के उपाध्यक्ष तरुण राठी ने कहा कि´धर्म सेंसर बोर्ड´ किसी भी चलचित्र के प्रदर्शन से पहले उसके धार्मिक पहलू को देखेगा और उसके उपरांत ही चलचित्रों को अनुमति प्रदान करेगा । इस मंडल के पास शक्ति होगी, कि यदि कोई चलचित्र निर्मिति होने के उपरांत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला पाया जाता है तो निर्माता को चलचित्र में बदलाव करना पडेगा । करोड़ों रुपए व्यय करके चलचित्र निर्माण करने के उपरांत यदि किसी चलचित्र में बदलाव करना पड़े तो यह निर्माताओं के लिए ही हानिकारक होगा ।

संपादकीय भूमिका 

हिन्दू धर्म के अपमान को रोकने की पहल करने के लिए जगद्गुरु स्वामी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के हम कितने भी आभार व्यक्त करें, वह कम ही होगा ! अब सभी संत एक साथ आकर धर्म के अपमान को सदा के लिए रोकने के लिए सिद्ध हों ऐसा धर्म के प्रति श्रद्धा करने वाले हिन्दू सोचते हैं!