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सातारा – जिले के महाबळेश्वर तालुका के दुर्ग (किले) प्रतापगढ में अफझलखान की कब्र के समीप के अनधिकृत निर्माण को पुलिस की निगरानी में हटाने का कार्य १० नवंबर के शिवप्रताप दिन को प्रात:काल से आरंभ किया गया । किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रतापगढ के तले पुलिस की योग्य उपस्थिति रखी गई । पिछले अनेक वर्षाें से ‘शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन’ के संयोजक भाजपा के नेता नितिन शिंदे सहित हिन्दू संगठन इस अनधिकृत निर्माण को हटाने की मांग कर रहे थे । वे अंतत: यशस्वी हो गए हैं ।
शिवप्रतापदिनी राज्य सरकारची कारवाई:अफजल खानाच्या कबरीसमोरील अनधिकृत बांधकाम पाडण्यास सुरुवात#satara #demolition #construction #pratapgad #afzalkhanhttps://t.co/TyzItX5rmV pic.twitter.com/LSVFoDcq54
— Divya Marathi (@MarathiDivya) November 10, 2022
१. पांच जिलों सातारा, पुणे, सोलापुर, कोल्हापुर और सांगली के १ सहस्र ८०० से अधिक पुलिसकर्मी ९ नवंबर की रात्रि से वाई के पुलिस उपमंडल कार्यालय में पहुंचे ।
२. प्रात: ६ बजे से अवैध निर्माण को हटाना आरंभ किया गया । प्रतापगढ, महाबळेश्वर, वाई, कराड और सातारा में भी बडी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है । इस परिसर में जमावबंदी की १४४ धारा लागू की गई है ।
३. सातारा के जिलाधिकारी रुचेश जयवंशी, पुलिस अधीक्षक समीर शेख, वाई के प्रांताधिकारी राजेंद्र जाधव, पुलिस उपाधिक्षक डॉ. शीतल जानवे-खराडे, महाबळेश्वर की तहसीलदार सुषमा पाटील-चौधरी आदि वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच गए हैं । माध्यम प्रतिनिधियों को परिसर में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है । अफझलखान की कब्र के समीप वन विभाग क्षेत्र में कई कमरे अवैध रूप से बनाए गए हैं । वहां उरूस (मुसलमानों का मेला) भी लगता था ।
पर्यटकों को हटाकर उपाहारगृह (होटल) बंद किए गए !
छत्रपति शिवाजी महाराज ने १० नवंबर १६५९ के दिन सातारा जिले के प्रतापगढ के तले अफझलखान का वध किया था । इस दिन का औचित्य साधकर राज्य सरकार ने यह कार्यवाही शुरू की है । प्रात: ४ बजे से पोकलेन और जेसीबी की सहायता से अनधिकृत निर्माण तोडने की शुरुवात हुई । प्रतापगढ क्षेत्र के पर्यटकों को भी खाली करा उपहारगृह बंद कर दिए गए हैं ।
कार्यवाही की समाप्ति तक शिवप्रेमी गड (किले) पर नहीं जा सकेंगे !
विवाद के कारण अफझलखान की कब्र के समीप पुलिस का २४ घंटे कडा पहरा रहता है । कब्र की सजावट के विषय पर इसके पूर्व भी अनेक बार विवाद हो चुका है । पहले कुछ वर्ग मीटर में सीमित यह कब्र अब कुछ एकडों में फैल चुकी है । इस पर अनेक शिवप्रेमियों ने अप्रसन्नता व्वक्त की थी । किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए यह क्षेत्र २००६ से बंद (सील) किया गया था । शिव प्रेमियों ने पुन: पुन: इस क्षेत्र को खोलने की मांग की । अतिक्रमण हटाने की वर्तमान कार्यवाही के कारण संपूर्ण क्षेत्र बंद रखा गया है । यह कार्यवाही कब समाप्त होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है; परंतु तब तक शिवप्रेमी गड पर न जा सकेंगे ।
कार्यवाही के विरोध में सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट !
प्रतापगढ पर अफझलखान की कब्र के समीप के निर्माण पर कार्यवाही के चालू रहते दूसरी ओर उसके विरोध में उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है । उस पर ११ नवंबर को सुनवाई होगी ।
नितिन शिंदे द्वारा संपन्न अथक संग्राम !१. छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रतापगढ किले के आधार पर अफझलखान एवं सैय्यद बंडा का वध करके वहां उनकी कब्रें बनाईं; परंतु इन कब्रों के आसपास वन विभाग की जमीन में कुछ लोगों ने अनधिकृत निर्माण कर अफझलखान का उदात्तीकरण (प्रतिष्ठा का विषय) किया । २. ‘शिवप्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन’ के संयोजक तथा भाजपा नेता नितीन शिंदे यह अनधिकृत निर्माण गिराने संदर्भ में गत २० वर्षाें से संघर्ष कर रहे थे । ३. जब वे विधान परिषद के विधायक थे तब भी उन्होंने यह सूत्र विधानमंडल में उठाया था । उस समय उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन सरकार को इस पूरे क्षेत्र को बंद करने का निर्णय लेने के लिए बाध्य किया था । ४. ‘वनविभाग की भूमि पर छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति स्थापित की जाए’, ऐसी मांग लगातार की जा रही थी । साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने जहां अफझलखान का वध कर पराक्रम किया और ‘आतंकवाद कैसे समाप्त किया जाता है ?ै’, यह विश्व को कृति से दिखा दिया, वहां अफझलखान की कब्र के आसपास के अनधिकृत निर्माण को हटा दिया जाए । वह स्थान लोगों को देखने के लिए खुला हो, ऐसी भी शिवप्रेमियों की मांग थी । ५. २२ अगस्त को नितिन शिंदे ने कहा कि ‘उच्चतम न्यायालय द्वारा लाई गई स्थगिति हटाने के लिए प्रख्यात अधिवक्ताओं की नियुक्ति की जाए, साथ ही इस प्रकरण में वर्तमान स्थिति समझने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वन विभाग के सरकारी अधिकारियों और सातारा जिला प्रशासन की बैठक होनी चाहिए’, ऐसी मांग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से एक निवेदन द्वारा की गई थी । ६. मुख्यमंत्री शिंदे ने सचिव को इस विषय में संबंधित विभाग की तत्काल बैठक आयोजित करने का आदेश दिया था । इस संबंध में वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार को भी निवेदन दिया गया । ७. वर्ष २०१८ में नितिन शिंदे के निवेदन के पश्चात तत्कालीन वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने वन विभाग और सातारा जिला प्रशासन को उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने का आदेश दिया; परंतु ‘अफझलखान मेमोरियल ट्रस्ट’ के विश्वस्तों (ट्रस्टियों) ने उच्चतम न्यायालय में जाकर उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगिति लाई थी । |
उच्च न्यायालय के ३ बार आदेश देने पर भी प्रशासन ने नहीं हटाया अतिक्रमण !अफझलखान की कब्र के आसपास का अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुंबई उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की याचिकाओं पर निर्णय देते हुए उच्च न्यायालय ने यह अनधिकृत निर्माण गिराने का आदेश सरकार को दिया था । न्यायालय ने ३ बार यह आदेश दिया है । नितिन शिंदे ने प्रशासनिक एवं न्यायिक स्तर पर अतिक्रमण हटाने के लिए लगातार प्रयास और आंदोलन किये । उच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात भी प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया नहीं था । इसलिए हिंदू समर्थक संगठन आक्रामक हो गए । |
आंदोलन को हिन्दू जनजागृति समिति सहित अनेक हिन्दू समर्थक संगठनों का समर्थन !नितिन शिंदे के आंदोलन को हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन संस्था, विश्व हिन्दू परिषद, श्रीशिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान आदि हिन्दू समर्थक संगठनों का समर्थन प्राप्त था । |
छत्रपति शिवाजी महाराज ने विजय के प्रतिक के रूप में बनवाई थी अफझलखान की कब्र !१० नवंबर १६५९ को छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रतापगड किले के तले आदिलशाह के सरदार अफझलखान का वध किया । उसके अधिवक्ता कृष्णाजी भास्कर कुलकर्णी का भी सिर धड से अलग कर दिया था । इस विजय के प्रतिक के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफझलखान की कब्र यहां बांधी थी; परंतु, पिछले कुछ वर्षाें में इस कब्र के आसपास अनधिकृत निर्माण बढ गए थे और उसका उदात्तीकरण भी हो रहा था । |
हिन्दुओं की प्रतिक्रिया
१. अब निर्माण करें अफजल खान वध की भव्य शिल्पाकृती ! – नितिन शिंदे, संयोजक, श्री शिवप्रताप भूमि मुक्ति आंदोलन और भाजपा के नेता !
गत २१ वर्षों से क्रूरकर्मा अफजल खान को प्रतापगढ़ की तलहटी में सूफी संत बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा था ! विधान परिषद में यह प्रश्न उठाने के उपरांत तत्कालीन कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायकों ने हमारा विरोध कर हमारी आवाज दबाने का भरसक प्रयत्न किया किन्तु हम उनके विरोध ठुकराते हुए अपना संघर्ष निरंतर करते रहे । सतारा जिले में प्रवेश करने पर प्रतिबंध, धर्मद्ररोहियों के विरोध और प्रशासन द्वारा हम सभी के विरुद्ध प्रविष्ट किए गए मिथ्या आपराधिक प्रकरणों के कारण हमने अनेक वर्ष धक्के खाए हैं। शिवभक्तों ने बिना पराजय स्वीकार किये एवं शिवसेना, श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान, हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन संस्था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल, हिन्दू एकता आंदोलन तथा भाजपा जैसे अनेक हिन्दुत्वनिष्ट लोगों के सहयोग से आज शिव प्रतापभूमि मुक्ति आंदोलन के माध्यम से विजयश्री प्राप्त हुर्इ है। माननीय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, हिन्दुत्वनिष्ठ जनसमुदाय एवं प्रशासन का, इस अतिक्रमण को हटाने के लिए हार्दिक अभिनंदन । मेरी मांग है कि शासन अब उसी स्थान पर अफजल खान वध की भव्य शिल्पाकृती का निर्माण करे और वास्तविक इतिहास को जन-जन तक पहुंचाए।
२. छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान के भेंट की शिल्पाकृती का निर्माण होना चाहिए ! – श्रीमती विजयाताई भोसले, संयोजक, प्रतापगढ़ उत्सव समिति।
गत २५ वर्षों से ‘प्रतापगढ़ उत्सव समिति’ के माध्यम से अफजल खान के मकबरे को प्रतिष्ठित करने के षड्यंत्र को समाप्त करने का संघर्ष किया जा रहा था । वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर अफजल खां के मकबरे के सानिध्य में अवैध निर्माण कराया गया । सातारा, पुणे, कोल्हापुर, रायगढ़ और सांगली के शिवभक्तों ने इस निर्माण को हटाने के लिए ‘प्रतापगढ़ उत्सव समिति’ के माध्यम से एक संगठित निर्णायक संघर्ष किया। समय-समय पर आंदोलन, सड़क बंद और भूख हड़ताल जैसी कार्रवाईयां की गर्इं। इसके संबंध में मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका प्रविष्ट की । भले ही मुंबई उच्च न्यायालय पूर्व में ३ बार अनधिकृत निर्माणों को हटाने का आदेश दे चुका है तथापि सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है किन्तु हिन्दुओं के जनविद्रोह के निर्णय के फलस्वरूप सरकार ने यह निर्णय लिया । मैं सभी हिन्दुत्ववादी संगठनों की ओर से इसके लिए महाराष्ट्र शासन का अभिनंदन करता हूं। हम मांग कर रहे हैं कि इस भूमि का नाम ‘शिव प्रताप भूमि’ रखा जाए, और यह भी कि छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बने, इसके लिए छत्रपति शिवाजी महाराज और अफजल खान वध की शिल्पाकृती का निर्माण कर इस स्थल पर उसकी प्रतिष्ठापना हो ।
३. अफजल खान की कब्र हटाये सरकार! – आनंद दवे, अध्यक्ष, हिन्दू ब्राह्मण महासंघ
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार प्रतापगढ़ की तलहटी में स्थित अफजल खान के मकबरे के समीप का अतिक्रमण हटाया जा रहा है किन्तु ‘अब सरकार को अफजल खान की कब्र ही हटा देनी चाहिए’, ‘हिन्दू ब्राह्मण महासंघ ‘ के अध्यक्ष आनंद दवे ने सरकार से मांग की। यदि सरकार अफजल खान और औरंगजेब की कब्रों को नहीं हटाती है, तो वो हटाई जाएंगी । हमें महाराष्ट्र में अफजल खान और औरंगजेब की कब्रों की आवश्यकता क्यों है? सभी को हमारा इतिहास विदित है। अत: सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
४. महाराष्ट्र में हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठावान शासन है, अत: कोलाहल मत करो ! – विधायक नितेश राणे का ट्वीट
भाजपा नेता नितेश राणे ने अफजल खान मकबरे के समीपस्थ अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को धन्यवाद दिया। अफजल खान के मकबरे के समीप अवैध निर्माण को पुलिस की निरीक्षण व नियंत्रण में हटाया गया ! महाराष्ट्र में हिन्दू समर्थक सरकार है। उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि कोई कोलाहल नहीं होना चाहिए।