वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनावों के पूर्व केंद्रशासन सर्व हिन्दूविरोधी कानून रहित करे ! – पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

बाएं से वैदेही ताम्हण, श्रीमती नन्दा डगला, हरि शंकर जैन, पू. नीलेश सिंगबाळ, दुर्गेश परूळकर

रामनाथी, १४ जून (वार्ता.) – देश में कृषि कानून, नागरिकत्व सुधार कनून के विरोध में आंदोलन हो सकता है, तो हिन्दुत्व के लिए आंदोलन क्यों नहीं हो सकता ? हिन्दुत्व के लिए देश को हिलाकर रख देना चाहिए । अब हिन्दुओं को यह दिखा देना चाहिए, ‘हिन्दूहित का लिए काम करनेवाले ही देश पर राज्य कर सकेंगे !’ ‘देश में कौनसा कानून होना चाहिए’, यह हिन्दुओं को निर्धारित करना चाहिए । वर्ष २०२४ की लोकसभा चुनावों के पूर्व केंद्र सरकार को सर्व हिन्दूविरोधी कानून रहित कर देना चाहिए, ऐसा आवाहन सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता (पू.) हरि शंकर जैन ने किया । दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के तृतीय दिन ‘हिन्दू सुरक्षा’ इस उद्बोधन सत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र का ध्येय पूर्ण करने के लिए अपने कर्तव्य’ इस विषय पर वे बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर मुंबई (महाराष्ट्र) के ‘आफ्टरनून वॉईस’ इस समाचारपत्र की प्रमुख संपादिका डॉ. वैदेही ताम्हण, हरियाणा की भाजप की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की सदस्या श्रीमती नंदा डगला, महाराष्ट्र के ठाणे के हिन्दुत्वनिष्ट व्याख्याता एवं लेखक श्री. दुर्गेश परूळकर एवं हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी उपस्थित थे ।

इस अवसर पर पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन बोले,

१. अयोध्या के श्रीराममंदिर की नींव, यह धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की नींव है । श्रीराम का भव्य मंदिर २ वर्षाें में पूर्ण होगा; उसीप्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य भी आगे बढेगा ।

२. ईसाई एवं मुसलमानों द्वारा नियंत्रण में लिए हुए मंदिर हमें उनसे पुन: वापस लेने हैं । ताजमहल, वास्तव में तेजोमहालय है । शहाजहां ने जयसिंह से ताजमहाल लिया था । ताजमहल, यह तेजोमहालय होने का प्रतिज्ञापत्र केंद्र सरकारने सर्वाेच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया है ।

३. १६ मई २०२२ को कथित ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में (नमाज के पहले हाथ-पैर धोने का स्थान) शिवलिंग प्रकट हुआ । भगवान शिव प्रकट हुए, वह क्षण अवस्मरणीय था । भगवान शिव के पीछे शक्ति है । ज्ञानवापी में प्रकट हुए महादेव हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का आवाहन कर रहे हैं ।

हिन्दू ईसाई धर्मप्रसारकों के विद्यालयों का बहिष्कार करें !

अन्य किसी में जागृति करने से पूर्व सर्वप्रथम हिन्दुओं में ही जागृति करना आवश्यक है । ईसाई धर्मप्रसारकों के विद्यालय में ९८ प्रतिशत विद्यार्थी हिन्दू हैं । केजी से ईसाई विद्यालयों में जानेवाले हिन्दुओं के बच्चों पर कौनसे संस्कार होंगे ? हिन्दू माता-पिता ही स्वयं अपने बच्चों को केक काटना, हिन्दी फिल्मी गीतों पर नाचना आदि बातें सिखा रहे हैं । इस विषय में हिन्दुओं को ही आत्मचिंतन करना आवश्यक है । ईसाई धर्मप्रसारकों के विद्यालयों का हिन्दुओं को ही बहिष्कार करना चाहिए !

भारत में ईशनिंदा के विरोध में कानून होना चाहिए !

प्रत्येक देश की एक संस्कृति एवं सभ्यता होती है । भारत की सभ्यता एवं संस्कृति लाखों वर्षाें पूर्व की है । श्रीराम, श्रीकृष्ण, शिव एवं शक्ति, इनका अस्तित्व इस देश के कण-कण में है । वे इस देश की आत्मा हैं । भारतभूमि में जन्म लिए प्रत्येक व्यक्ति को उनका आदर करना ही होगा ।

अधिवेशन में सम्मिलित हुए अमेरिका के उद्योगपति

अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित उद्योगपति तथा ‘सेटोलॉजी’ यूट्यूब वाहिनी के संपादक श्री. आदित्य सत्संगी ८ दिनों के लिए भारत में आए थे, तब भी वे जिज्ञासा के कारण समय निकालकर अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में उपस्थित रहें ।