यह कहना कि ‘देश भर से भिखारी शिरडी में आकर भोजन करते हैं’ साईं भक्तों का अपमान है ! – संजय शिरसाट, सामाजिक न्याय मंत्री

पूर्व सांसद डाॅ. सुजय विखे-पाटिल के वक्तव्य ‘पूरे महाराष्ट्र से भिखारी यहां जुटे’ का प्रकरण

शिवसेना विधायक और सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट और पूर्व सांसद डाॅ. सुजय विखे-पाटिल

शिरडी – पूर्व सांसद डाॅ. सुजय विखे-पाटिल का यह वक्तव्य कि ‘पूरा देश शिरडी आता है तथा मुफ्त का खाना खाता है, और पूरे महाराष्ट्र से भिखारी यहां इकट्ठे हुए हैं’ साईं भक्तों का अपमान है । विश्व भर से लोग श्रद्धाभाव से शिरडी आते हैं तथा करोड़ों रुपये का दान करते हैं । तो अगर शिरडी में साईं संस्थान ने एक अच्छी पहल की है तो गलत क्या है ? शिवसेना विधायक और सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा है कि अन्न दान एक अच्छा कार्य है ।

सुजय विखे-पाटिल को साईं भक्तों से क्षमा मांगनी चाहिए ! – अक्षय महाराज भोसले, प्रदेश अध्यक्ष, शिव सेना धर्मवीर आध्यात्मिक सेना

अगर शिरडी में शिक्षा से जुड़ी कोई समस्या है तो उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अवश्य सहायता करेंगे । भक्तों को मुफ्त प्रसाद न देने की मांग करना और उन्हें ‘भिखारी’ कहना दुर्भाग्यपूर्ण है । हम सुजय विखे-पाटिल के वक्तव्य की निंदा करते हैं । पहले तो शिरडी में साईं बाबा को किसी ने एक चम्मच तेल भी नहीं दिया था । सुजय विखे पाटिल को समय रहते साईं भक्तों से क्षमा मांगनी चाहिए ताकि लोगों में दोबारा ऐसी भावना पैदा न हो ।

भिखारी शब्द का प्रयोग करना उचित नहीं है क्योंकि अन्नदान के पीछे की प्रेरणा महान है ! – डॉ. नीलम गोरे, उपाध्यक्ष, विधान परिषद

कोल्हापुर – ‘भिखारी’ शब्द अपमान के समान है । इसलिए किसी को भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए । अगर कोई सांसद की मांग करे तो क्या उसे ‘भिखारी’ कहा जाए ? कोई किसी से अलग-अलग तरह से सहायता मांगता है, तो क्या उसे ‘भिखारी’ कहा जाना चाहिए ? मूलतः मुझे नहीं लगता कि जो लोग भिक्षा और भीख के बीच अंतर नहीं जानते वे ‘सभ्य और धार्मिक’ हैं । विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे ने राय व्यक्त करते हुए कहा कि अन्न दान में भिक्षा शब्द का प्रयोग उचित नहीं है क्योंकि अन्न दान के पीछे बहुत बड़ी प्रेरणा है । वह कोल्हापुर में पत्रकारों से बात कर रही थीं ।

सुजय विखे-पाटिल ने क्या कहा ?

मुफ्त खाना देने के स्थान पर लडके-लडकियों की शिक्षा पर पैसा खर्च करें !

हम साईं मंदिर के प्रसादालय में निःशुल्क भोजन परोसते हैं; लेकिन भोजन के लिए प्रत्येक व्यक्ति से २५ रुपये लिये जाने चाहिए । इससे बचाया गया धन लडके-लडकियों की शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए; क्योंकि पूरा देश यहां आकर मुफ्त में खाना खा रहा है. इस स्थान पर पूरे महाराष्ट्र से भिखारी एकत्रित हुए हैं । यह सही नहीं है । संस्थान को इस बारे में सोचना चाहिए कि ‘हम क्या कर रहे हैं ?’ संस्थान ने २९८ करोड रुपये का एक कॉम्प्लेक्स बनाया है; लेकिन यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान नहीं कर सकता । शैक्षणिक संकुल के निर्माण पर हो रहा है व्यय; लेकिन छात्रों की गुणवत्ता सुधारने पर खर्च नहीं किया जाता । गुणवत्ता पर पैसा खर्च होगा तो छात्र बनेंगे । तो साईं मंदिर में मुफ्त खाना बंद करो ! बीजेपी के पूर्व सांसद सुजय विखे पाटिल ने बयान दिया था कि अगर आंदोलन का समय आया तो हम वह भी करेंगे । उनके इस वक्तव्य का विरोध हो रहा है ।

संपादकीय भूमिका 

केवल साईं बाबा का मंदिर ही नहीं बल्कि किसी भी हिन्दू मंदिर में भक्तों को प्रसाद उपलब्ध कराना न्यासियों तथा मंदिर समितियों की एक प्रमुख सेवा है । ऐसा प्रसाद देना भारत की प्राचीन परंपरा है ! अगर हम शिरडी के बारे में सोचें, तो अगर शिरडी मंदिर को दान में करोड़ों रुपये मिल रहे हैं, तो मंदिर द्वारा सभी को मुफ्त प्रसाद देने में क्या गलत है ? भक्तों द्वारा मंदिरों/देवताओं को दिए गए धन का उपयोग धार्मिक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए, न कि सामाजिक अथवा शैक्षणिक कार्यों के लिए !