पाकिस्तान में चलते बनो !

भारत को धर्म के आधार पर विभाजित कर एक बडा भूभाग मुसलमानों को दिया गया; मात्र मोहनदास गांधी के ऐसा कहने पर कि ‘जिन मुसलमानों को भारत में रहना है, वे यहीं रह सकते हैं’, परिणामस्वरूप मुसलमानों की भारी जनसंख्या इस देश में ही रह गई । आज वही इस देश को नष्ट करने पर तुले हैं । जगत में मुसलमानों की सर्वाधिक जनसंख्यावाला भारत, यह इंडोनेशिया के उपरांत दूसरा देश हो गया है । पाकिस्तान में मुसलमानों की जनसंख्या उससे भी अल्प है, यह ध्यान में रखना होगा । वर्ष १९४७ में विभाजन के समय १० लाख हिन्दुओं का हत्याकांड हुआ था । उसी समय कश्मीर हथियाने का भी प्रयत्न पाकिस्तान ने किया और उसमें नेहरू की राष्ट्रघातकी नीतियों के कारण पाकिस्तान को अत्यधिक सफलता मिली । आज गत अनेक दशकों से हम कश्मीर के प्रश्न के कारण अशांति अनुभव कर रहे हैं । स्वतंत्रता से लेकर अब तक देश में भाजपा की सरकार आने तक सभी राजनीतिक दलों के मुसलमानों की चापलूसी करने से उनकी जनसंख्या बढने के साथ ही देश में जिहादी आतंकवाद एवं जिहादी कार्यवाहियों में उफान आया । इतना सब होने पर भी उन्हें बचाने के सर्वाेपरि प्रयास होते रहे । इसके विपरीत हिन्दुओं को ही ‘भगवे आतंकवादी’ प्रमाणित करने के लिए इन हिन्दूद्रोही राजनीतिक दलों ने जीतोड प्रयास किए । अब यही मुसलमान हिन्दुओं को ‘भारत से चलते बनो’ की धमकी देने लगे हैं और देश के राजनीतिक दल इस पर मौन साधे हैं, जो कि हिन्दुओं के लिए अत्यंत लज्जास्पद है । डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने विभाजन के समय स्पष्ट किया था, ‘धर्म के आधार पर मुसलमानों को अलग देश दिया जाने से, दोनों ओर के लोगों की धर्म के अनुसार अदलाबदली होनी चाहिए । मुसलमानों को पाक में, तो पाक के हिन्दुओं को भारत में आना चाहिए ।’ मतों के लिए उनके प्रति प्रेम न्यौछावर करनेवाला राजनीतिक दल इस पर मौन साधे हैं । यदि डॉ. आंबेडकर की सुनी होती, तो आज पाकिस्तान के हिन्दुओं का वंशसंहार न हुआ होता औेर न ही भारत की दूसरे विभाजन की तैयारी हुई होती । इतना ही नहीं, अपितु हिन्दुओं को ‘तुम इस देश के नहीं’, ऐसा कहकर उन्हें ही इस देश से ‘चलते बनो’, ऐसा कहने का दुस्साहस मुसलमानों को नहीं होता । उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का दो दिनों का अधिवेशन संपन्न हुआ । अगले दिन के मार्गदर्शन में इस संगठन के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी हिन्दुओं को चिढाते हुए बोले, ‘हमें डराते नहीं हैं, अपितु कुछ बताने का प्रयत्न कर रहे हैं । आप डराने का काम करते हैं । हम तो केवल बताते हैं । हमें डराना बंद करें । मुसलमान इस देश के शत्रु नहीं, नागरिक हैं । यह देश हमारा है । तुम ही बाहर के हो । तुम्हें हमारा धर्म पसंद नहीं, तो खुशी से चलते बनो ।’ मदनी के इस विधान पर उतनी ही प्रखरता से उत्तर देना आवश्यक है । इस पर केवल भाजपा ने थोडा-बहुत प्रत्युत्तर दिया; अन्यथा सभी मौन हैं । यह मौन हिन्दुओं के लिए अत्यंत घातक है । हिन्दुओं के लिए वैचारिक विरोध करना आवश्यक है । मोहम्मद अली जिन्ना जैसी मानसिकता को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है । जमीयत का अधिवेशन उत्तर प्रदेश में हुआ । उत्तर प्रदेश में आजकल प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार है । तब भी जमीयत को इस प्रकार के विधान करने का दुस्साहस हुआ, ‘समान नागरिक संहिता का विरोध करेंगे’, ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप सहन नहीं करेंगे’, ऐसा प्रस्ताव पारित करने का दुस्साहस हुआ, यह ध्यान में रखना चाहिए । कांग्रेस के काल में हिन्दू दबकर रहते थे; परंतु अब राज्य में योगी आदित्यनाथ की एवं केंद्र में मोदी की सरकार के होते हुए भी मुसलमान दबकर रहने की अपेक्षा हिन्दुओं को ही धमकी देने का दुस्साहस कर रहे हैं । इससे उनकी कितनी तैयारी है, यह समझ लेना चाहिए ।

….अब तो ठोस निर्णय लें !

जमीयत का दावा है कि वह देश में मुसलमानों की सबसे बडी संगठन है । १०० वर्ष पुरानी इस संगठन ने लडके एवं लडकियों के सहशिक्षा को सदा ही विरोध कर, तालिबानी मानसिकता दिखाई है । गत वर्ष लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) में अल् कानून के दोनों आतंकवादियों को बंदी बनाए जाने पर, उनका अभियोग लडने की घोषणा इसी संगठन ने की थी । हिन्दुओं की होनेवाली धर्मसंसद पर भी इस संगठन ने टीका-टिप्पणी की है । कुल मिलाकर इस संगठन की मानसिकता कट्टरतावादी है । भारत-विभाजन के समय इस संगठन का भी विभाजन हुआ और उसमें से एक गुट पाकिस्तान गया । इस संगठन ने देश के लिए कभी कुछ किया हो, ऐसा कभी देखने-सुनने में नहीं आया । इतना ही नहीं, अपितु मुसलमानों के किसी भी संगठन ने भारत के लिए, भारतीय जनता के लिए कभी कुछ किया हो, ऐसा कभी दिखाई नहीं देता । जब देश में बाढ, अकाल, आतंकवादी आक्रमण आदि प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित संकट आते हैं, तब ये संगठन रास्ते पर उतरकर लोगों की सहायता करते हुए कभी नहीं दिखाई देते । देश का एक भी धर्मनिरपेक्षतावादी इस विषय में कभी कुछ नहीं बोलता । देश की साधनसंपत्ति का लाभ उठाने में यही लोग सबसे आगे होते हैं । सार्वजनिक रुग्णालयों में इनकी ही संख्या अधिक दिखाई देती है । मुगलों ने हिन्दुओं के मंदिरों पर आक्रमण कर उन्हें मस्जिदों में रूपांतरित किया, यह इतिहास होते हुए भी ये मुसलमान हिन्दुओं को उनके ही मंदिर लौटाने का जीतोड विरोध कर रहे हैं । यह हिन्दूद्वेषी मानसिकता है । इसलिए अब इन समस्त विषयों पर भी देशभर में चर्चा होनी चाहिए । विभाजन के उपरांत मुसलमानों को इस देश में रखने से देश को क्या-क्या लाभ हुआ एवं कितनी हानि हुई ? इसका हिसाब अब प्रस्तुत करना ही चाहिए । हिन्दुओं को ही इस देश से ‘चलते बनो’ कहने का दुस्साहस करनेवालों को अब उनका स्थान दिखाने के लिए हिन्दुओं के संगठनों को ओैर हिन्दुत्वनिष्ठ सरकारों को भी आगे बढना चाहिए । ऐसा करने से ही हिन्दुओं को भी ‘तालिबानी’ कहा जाएगा और खरे तालिबानी विचारों के लोगों का समर्थन किया जाएगा, यह भी उतना ही सच है ! अत: अब तो हिन्दुओं को ठोस निर्णय लेकर वैध मार्ग से कृति प्रारंभ करनी चाहिए !