‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में संपन्न हुआ ‘सनातन राष्ट्र पथदर्शन’ सत्र
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले नगरी, १८ मई (संवाददाता) : हिन्दुओं पर हुए आघातों से संबंधित अभियोग अभी भी न्यायालयों में लंबित ह । इन अभियोगों पर निर्णय होने में कितना समय लगेगा, यह हम सभी को सुनिश्चित करना है । वर्तमान समय में देश की व्यवस्था हिन्दूविरोधी है । वक्फ बोर्ड के संशोधन के संबंध में जब संसद में कानून पारित हुआ, उस समय उसके विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में प्रविष्ट याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय इस दृष्टि से विचार करता है कि कैसे इस कानून को रोका जा सकेगा; परंतु संसद द्वारा पारित कानून को रोका जा ही नहीं सकता । इन सभी घटनाओं से ऐसा ध्यान में आता है कि केवल कानून ही नहीं, अपितु पूरी व्यवस्था ही हिन्दूविरोधी होने से व्यवस्था में ही परिवर्तन लाया जाना चाहिए, ऐसा प्रखर प्रतिपादन ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टीस’के प्रवक्ता तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने किया । १८ मई को ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’के दूसरे दिन ‘सनातन राष्ट्र पथदर्शन’, यह कार्यक्रम संपन्न हुआ, उसमें उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर केंद्रीय सूचना विभाग के पूर्व आयुक्त तथा ‘सेव कल्चर सेव भारत’ के संयोजक श्री. उदय माहुरकर, ‘नैशनल सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च एंड एनालिसिस’के अध्यक्ष श्री. नीरज अत्री, सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे भी उपस्थित थे ।
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा, ‘‘हिन्दुओं के ध्यान में ही न आएं, इस प्रकार से बहुत बडे कानून बनाए गए हैं । संविधान के अनुच्छेद २९-३० में अनेक असंवैधानिक त्रुटियां हैं । अनुच्छेद ३० का दुरुपयोग किया जा रहा है । अनुच्छेद २६ के अंतर्गत मस्जिदें तथा चर्चा सरकारी अधिग्रहण के चंगुल से छूट जाते हैं; परंतु हिन्दुओं के मंदिरों का अधिग्रहण करते समय इसी अनुच्छेद को बाजू में रखा जाता है । शिवजी का मंदिर गिराने का आदेश देते समय देहली उच्च न्यायालय कहता है कि भगवान शिवजी हमें क्षमा करें ! हिन्दू समाज ने इस लडाई के लिए दबावसमूह बनाया, तभी हम हिन्दू मंदिरों को सुरक्षित रख सकते हैं । उसके साथ ही हिन्दूविरोधी कानून होने के कारण हमारा दमन हो रहा है । न्यायाधीशों को भी धर्मनिरपेक्षतावादी, समाजवादी जैसे शब्दों की परिभाषा ठीक से ज्ञात नहीं है । अल्पसंख्यांक आयोग असंवैधानिक होते हुए भी इस बात को कोई भी समझ नहीं लेता, यह दुर्भाग्य है । वर्तमान समय में देश के सहस्रों अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों में दी जानेवाली सुविधाएं प्राप्त करने हेतु लोग अपना धर्मपरिवर्तन कर वहां प्रवेश ले रहे हैं । कुछ दिन पूर्व देहली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के घर में बडी मात्रा में पैसा मिलता है; परंतु उसके विरुद्ध एक सामान्य शिकायत भी प्रविष्ट नहीं होती । वह न्यायाधीश त्यागपत्र नहीं देते । जांच समिति विफल सिद्ध होती है । वे न्यायाधीश स्वयं कहते हैं कि मैं न्यायाधीश का पद नहीं छोडूंगा । न्यायालयों में यदि ऐसे न्यायाधीश होंगे, तो हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता कैसे लड पाएंगे ? हमारा हिन्दू राष्ट्र शस्त्रसंधि करनेवाला नहीं, अपितु पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तानसहित हिन्दू राष्ट्र निर्माण करनेवाला होना चाहिए । हम हिन्दू अपने आस्था के केंद्रों के प्रति अत्यंत सहिष्णु एवं शांत हैं । सभी हिन्दुओं को ‘हमारे आस्था के केंद्र मुक्त हों’, यह मांग करनी चाहिए ।
समस्त हिन्दुत्वनिष्ठों की ओर से मैं सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति आभार व्यक्त करता हूं !![]() इस सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव में कल से मुझे यह अनुभूति हो रही है कि गोमंतक की भूमि में हिन्दू राष्ट्र का इतिहास लिखा जा रहा है तथा यह सचमुच ही संस्मरणीय है । समस्त हिन्दू समाज की ओर से हम सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा किए गए इस आदर्श आयोजन के लिए उन्हें धन्यवाद दे रहे हैं । वर्ष २०१३ में हम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में आए थे । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी हमारे गुरु हैं तथा हमें उनके आशीर्वाद मिले हैं । उनके कारण हमारे जीवन में बडे परिवर्तन आए हैं । उसके कारण अयोध्या, काशी, मथुरा, ज्ञानवापी एवं संभल की न्यायालयीन लडाई में हमें एक नई ऊर्जा मिल रही है । इसके लिए हम सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों में कृतज्ञ हैं । वर्तमान समय में हम हिन्दुत्वनिष्ठों की यह लडाई प्रचंड व्यापक बन गई है, वह गुरुदेवजी के आशीर्वाद के कारण ही ! सनातन संस्था एवं महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ये संस्थाएं आगे जाकर बडे आध्यात्मिक केंद्र बनेंगे । समस्त हिन्दुत्वनिष्ठों की ओर से मैं सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति आभार व्यक्त करता हूं । – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन |
२. सांस्कृतिक आक्रमण तथा संस्कृति का हनन करनेवालों पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिएं ! – उदय माहुरकर, संयोजक, ‘सेव कल्चर सेव भारत’

देश पर होनेवाला सांस्कृतिक आक्रमण सबसे बडा संकट है । सामाजिक माध्यम, ‘ओटीटी’, ‘पोर्नोग्राफी’ (अश्लीलता) जैसे माध्यमों से अश्लील फिल्में दिखाकर हिन्दू संस्कृति पर सीधा आक्रमण किया जाता है । ऐसी बातें तैयार करनेवाले लोग बलात्कार की घटनाओं को प्रोत्साहन दे रहे हैं । देश में होनेवाली बलात्कार की ८० प्रतिशत घटनाएं अश्लील फिल्में देखकर होती हैं । मैंने ऐसे सभी माध्यमों के विरुद्ध देहली पुलिस थाने में शिकायत प्रविष्ट की थी; परंतु उन्होंने प्राथमिकी पंजीकृत नहीं की । वर्तमान समय में देश में संस्कृति के हनन का स्तर बहुत गति से बढ रहा है । सांस्कृतिक आक्रमण को तोड डालने हेतु संस्कृति हनन करनेवालों के विरुद्ध कठोर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिएं । अतः हमारी ये मांगें हैं कि,
अ. ‘इंडिसेंट रिप्रेजेंटेशन ऑफ वूमेंस एक्ट’ के अंतर्गत ३ वर्ष के स्थान पर १० वर्ष के दंड का प्रावधान किया जाए तथा ३ वर्ष तक इसमें जमानत न दी जाएं । ३ वर्ष तक जमानत न मिलना आतंकियों के लिए लागू किया गया नियम है तथा सांस्कृतिक आतंकियों पर यही नियम लागू किया जाना चाहिए ।
आ. ‘लॉ ऑफ एथिक्स कोड’ तैयार कर फिल्मों में समाहित दृश्यों, विषयों, कपडों तथा भाषा पर मर्यादाएं लगाई जानी चाहिएं तथा इन मर्यादोओं को लांघे जाने पर १० से २० वर्षाें का दंड दिया जाए ।
अनेक संतों ने ‘भारत देश एक महान राष्ट्र बनेगा’, ऐसी भविष्यवाणी की है । यदि इस कार्य में कोई समस्याएं आ रही हों, तो हमें प्रधानता लेकर उनका समाधान निकालना चाहिए । हम निश्चित ही यह लडाई जीतेंगे !
सत्यनिष्ठ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन है ‘सनातन संस्था’ !सनातन संस्था संस्कारों की सिंचाई का कार्य कर रही है । वर्ष २०१८ में कुछ धर्मांधों ने सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग की; परंतु मैंने सनातन संस्था का कार्य निकटता से देखा है; इसलिए ‘इंडिया टुडे’में उपसंपादक पद पर होते समय मैंने सनातन संस्था के समर्थन में लेख लिखा । उसमें मैंने ऐसा कहा, ‘यदि प्रतिबंध ही लाना है, तो वह तबलिगी जमात, देवबंद जैसी मस्जिदों पर लगाया जाना चाहिए ।’ यह ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव कलियुग के सात्त्विक लोगों का एकत्रीकरण है ! – श्री. उदय माहुरकर |
भारत में फैलते जा रहे काल्पनिक ईसाई पंथ का प्रसार रोकने हेतु अभ्यासपूर्ण लडाई लडना आवश्यक ! – नीरज अत्री, अध्यक्ष, नैशनल सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च एंड एनालिसिस

हिन्दुओं के सामने वर्तमान में जैसे जिहादियों का संकट है, उससे कहीं बडा संकट ईसाई पंथ ने खडा किया है । धर्मांतरण का उनका कार्य बहुत ही संकटकारी है; परंतु उपर से वह दिखाई नहीं देता । ईसाई पंथ ने विगत २०२५ वर्षाें से विश्व को मूर्ख बनाया । उसने विश्व को जिसका कोई अस्तित्व नहीं था, उस यीशू को सूली पर चढाए जाने की कपोलकल्पित कहानी बताई । इसी कथा पर आधारित क्रिसमस, ईस्टर जैसे त्योहार मनाने की प्रथा स्थापित की; परंतु कोई भी किसी को सर्वकालिन मूर्ख नहीं बना सकता । अब विश्व को यह सच्चाई बताने का समय आ गया है । जो देश सदैव सत्य की खोज करता है तथा अनुभवसिद्ध ज्ञान को अधिक महत्त्व देता है, उस देश में केवल एक ही पुस्तक में दी गई जानकारी सत्य होने की बात बताकर धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है । ईसाई पंथ असत्य पर आधारित है, इस बात को पश्चिमी देशों के अधिकांश इतिहासकारों ने प्रमाणोंसहित स्पष्ट किया है । यीशू को क्रूस पर चढाए जाने के उपरांत उसकी मृत्यु हुई; परंतु उसके ३ दिन उपरांत वह पुनः जीवि हो उठा । ऐसी काल्पनिक कहानियां बोलकर इस देश में क्रिसमस मनाने की प्रथा स्थापित की गई ।
सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेव भगवान परशुरामजी का कार्य कर रहे हैं ! – अभय वर्तक, प्रवक्ता, सनातन संस्था

सनातन राष्ट्र का शंखनाद करने के लिए सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने इस भव्य महोत्सव का आयोजन किया है । यह सनातन राष्ट्र का शंखनाद है । इस स्तर तक पहुंचने के लिए सनातन को अनेक संकटों से गुजरतना पडा । अनेक विरोधियों तथा बडी-बडी अन्वेषण संस्थाओं ने सनातन संस्था को मिटाने का प्रयास किया, तब भी सनातन संस्था मिटी नहीं; अपितु आज वही संस्था सनातन राष्ट्र का शंखनाद कर रही है; क्योंकि सनातन संस्था को भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है । गोवा भगवान परशुराम भूमि है । वर्तमान समय में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी भगवान परशुरामजी का कार्य कर रहे हैं ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने २५ वर्ष पूर्व सनातन संस्था का बीज बोया था । आज उसका वटवृक्ष बन गया है, जिसका विराट स्वरूप आज इस कार्यक्रम के रूप में हमें दिखाई दे रहा है । सनातन के प्रत्येक साधक के रोम-रोम में राष्ट्र एवं धर्म का प्रेम बंस गया है । हम तो केवल श्रीरामसेना का एक वानर तथा गिलहरी बनकर अपना छोटासा योगदान दे रहे हैं । सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी ने साधकों को मूर्तिकार की भांति तैयार कर उसे ईश्वर का स्वरूप दिलाया है । अतः उनके प्रति चाहे कितनी भी कृतज्ञता व्यक्त की जाए, अल्प ही है ।
परशुराम भूमि में किए गए शंखनाद से निश्चित ही सनातन राष्ट्र आएगा ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के विरुद्ध हुए आंदोलन में हिन्दुओं को ही मारा गया । कश्मीर, केरलएव बंगाल से हिन्दू मिटते जा रहे हैं । कर्नाटक में हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर मार डाला जा रहा है । कुछ ही दिन पूर्व पहलगाम में किए गए आक्रमण में धर्म पूछकर हिन्दुओं की हत्याएं की गईं । प्रत्येक स्थान पर हिन्दुओं को ही लक्ष्य बनाया जा रहा है । जहां जिस देश में हिन्दू बहुसंख्यक हैं, वहां हिन्दू मार खा रहे हैं, तो ऐसे में हिन्दू केवल जागृति लाने में ही व्यस्त हैं । इसलिए अब केवल जागृति लाने में समय गंवाने की अपेक्षा उसका समाधान ढूंढना आवश्यक है । जिस प्रकार समर्थ रामदासस्वामीजी ने जनजागरण कर छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्य में समाज को जोडा, उसी प्रकार से वर्तमान में भी संत जागृति ला रहे हैं; इसलिए हमें भी इस ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’के माध्यम से सनातन राष्ट्र की स्थापना के कार्य में लडने के लिए तैयार होना पडेगा । रामेश्वरम् में जब शंखनाद हुआ था, तब लंकादहन निश्चित हुआ; जब यह शंखनाद कुरुक्षेत्र में हुआ, तब कौरवों का संहार निश्चित हुआ; जब य शंखनाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया, तब हिन्दवी स्वराज साकार हुआ । अब यही शंखनाद यदि इस परशुराम भूमि में हो रहा है, तो निश्चित ही सनातन राष्ट्र आएगा !
‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में हिन्दुत्वनिष्ठों तथा साधकों ने पहनी थी केसरिया रंग की वेशभूषा !इसके आगे केसरिया रंग केवल भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में दिखाई देगा ! – विनायक शानबाग, सनातन संस्था
![]() ![]() केसरिया रंग त्रेता एवं द्वापर इन युगों से संबंधित हैं । हनुमानजी स्वयं रामभक्त थे । उनमें दास्यभाव एवं वीरभाव है । ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज ये दोनों रंग जिसमें समाहित हैं, वह केसरिया रंग है । आज इस महोत्सव में सभी ने केसरिया रंग की वेशभूषा पहनी है । यह एक दैवी संकेत है । इसके आगे केसरिया रंग केवल भारत में नहीं, अपितु पूरे विश्व में दिखाई देनेवाला है । |
‘हिन्दू राष्ट्र क्यों चाहिए ?’ इस मराठी भाषा के ‘ई-बुक’का लोकार्पण !‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वश्री नीरज अत्री, उदय माहूरकर, रमेश शिंदे एवं अभय वर्तक के करकमलों से ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों चाहिए?’, इस मराठी ‘ई-बुक’का लोकार्पण किया गया । यह पुस्तक ‘एमेजॉन किंडल’ पर उपलब्ध होनेवाली है । |
‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’के दूसरे दिन श्रीरामनाम का १ करोड जपयज्ञ का संकल्प हुआ पूर्ण !सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का ८३ वां जन्मोत्सव तथा सनातन संस्था के रजतमहोत्सव के दुग्धर्शकरा संयोग के उपलक्ष्य में फोंडा, गोवा के अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्रांगण पर भव्य-दिव्य ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हो रहा है । इस महोत्सव के पहले तथा दूसरे दिन श्रीरामनाम जपयज्ञ संपन्न हुआ । इस अवसर पर उपस्थित साधकों, हिन्दुत्वनिष्ठों तथा उपस्थित सभी ने भावपूर्ण पद्धति से ‘श्रीराम जयराम जय जय राम’ यह नामजप किया । ‘भारत में शीघ्रातिशीघ्र रामराज्य आए’, इस संकल्प से १ करोड श्रीरामनाम जपयज्ञ पूर्ण हुआ । इस नामजप के कारण महोत्सव का पूरा परिसर चैतन्यमय हुआ । |