सामाजिक कार्य में योगदान देनेवाले एवं आधुनिकतावादियों द्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों को फंसाने हेतु रचे गए षड्यंत्र को उजागर करनेवाले सुप्रसिद्ध सर्जन डॉ. अमित थढानी !

डॉ. अमित थढानी गत २५ वर्षाें से मुंबई तथा नई मुंबई में व्यवसाय करनेवाले प्रसिद्ध ‘जनरल सर्जन’ (शल्यविशारद) हैं । वे ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ के चेंबूर शाखा के भूतपूर्व अध्यक्ष तथा डॉक्टरों की संस्थाओं के प्रमुख सदस्य हैं । वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं । उन्होंने भारत एवं नेपाल में अनेक आपदाग्रस्त क्षेत्रों में ११ सहस्र रोगियों का नि:शुल्क उपचार किया है । वे ‘ऑल डॉक्टर म्युजिकल बैंड’ में गिटार बजाते हैं तथा खाली समय में सेंद्रिय (ऑर्गेनिक) खेती करते हैं ।

डॉ. थढानी ने अध्ययनपूर्वक विविध व्यासपीठों से ‘आधुनिकतावादियों की हत्याओं के प्रकरण में हिन्दुत्वनिष्ठों को फंसाने के षड्यंत्र’ का विषय प्रस्तुत किया, इसके साथ ही उन्होंने‘हिन्दू आतंकवाद’ के झूठे काल्पनिक सूत्र का तीव्र प्रतिवाद किया । विविध व्यासपीठों से वे इस संदर्भ में जागरूकता निर्माण करने का कार्य कर रहे हैं तथा आधुनिकतावादियों द्वारा प्रस्तुत की गई काल्पनिक कथाओं का विरोध कर रहे हैं । डॉ. थढानी मंदिर सरकारीकरण के विरोध में हैं एवं उस विषय में सामाजिक जागरूकता निर्माण करने का कार्य कर रहे हैं । ऐसे विविध क्षेत्रों में कार्य करनेवाले डॉ. अमित थढानी के संदर्भ में देखेंगे ।

डॉ. अमित थढानी


विशेष स्तंभ


छत्रपति शिवाजी महाराजजी के हिंदवी स्वराज्य के लिए मावळे (सैनिक) एवं धर्मयोद्धा द्वारा किया त्याग सर्वोच्च है, उसीप्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक धर्म-राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘धर्मयोद्धा’के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी और उनके हिन्दू धर्मरक्षा के संघर्ष की जानकारी देनेवाले ‘हिन्दुत्व के धर्मयोद्धा’ इस स्तंभ द्वारा अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी । इन उदाहरणों से हमारे मन की चिंता दूर होगी और उत्साह निर्माण होगा ! – संपादक

१. चिकित्सकीय एवं सामाजिक कार्य में योगदान

डॉ. अमित थढानी एक कुशल सर्जन हैं तथा गत २५ वर्षाें से चिकित्सकीय क्षेत्र में कार्यरत हैं । वे ‘पी.इ.एच.एल. सर्विसेस’ नामक स्वयंसेवी संस्था के न्यासी हैं । डॉ. थढानी तथा उनके सहयोगियों ने चिन्मय मिशन, शांतिकुंज आश्रम एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समान संगठनों के साथ उत्तराखंड, नेपाल, चेन्नई तथा महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में ११ सहस्र रोगियों का नि:शुल्क उपचार किया है । उन्होंने महाराष्ट्र के ३ जिलों के आदिवासी बंधुओं के लिए चिकित्सकीय शिविर तथा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए सरकारी एवं धर्मादाय निजी अस्पतालों की सहायता से नि:शुल्क शिविरों का आयोजन किया है । अपनी संस्था की ओर से वे ५०० बालकों को शिक्षा लेने में सहायता कर रहे हैं । सहस्रों लाभार्थी उनकी संस्था की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं । डॉ. थढानी की संस्था लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में यौन शोषण की बलि चढे लडके-लडकियों के लिए कौशल्य विकास का कार्यक्रम चलाती है । इसके साथ ही संस्था के विविध संगठनों में बच्चों एवं महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में कार्यक्रम चलाती है ।

काठमांडू में भूकंपपीडितों को चिकित्सकीय सहायता देते हुए डॉ. थढानी
Dr Amit Thadani busts the myth of doctors ‘looting’, explains failure of Ayushman Bharat

(सौजन्य : Vaad)

उत्तराखंड में बाढ़ पीड़ितों को चिकित्सकीय सहायता देते हुए डॉ. थढानी

२. दाभोलकर हत्या प्रकरण में हिन्दुत्वनिष्ठों को अकारण ही उलझाए जाने से पुस्तक के माध्यम से वास्तविकता उजागर करना 

डॉ. थडानी ने दाभोलकर हत्या प्रकरण में हिन्दुत्वनिष्ठों को अकारण ही उसमें उलझा देने का षड्यंत्र विश्व के सामने उजागर किया । इस विषय में उन्होंने एक पुस्तक लिखी तथा उसमें समाज के सभी स्तरों तक हिन्दुओं की भूमिका प्रस्तुत की ।

सनातन संस्था के विरुद्ध राजनैतिक षड़यंत्र | The Rationalist Murders | Amit Thadhani | Jamboo Talks 

‘दाभोलकर हत्या प्रकरण के संदिग्ध बार-बार परिवर्तित (बदले जा रहे हैं) हो रहे हैं’, यह ध्यान में आने पर डॉ. थढानी ने इस प्रकरण का अत्यंत सखोल और चिकित्सात्मक अध्ययन किया । इससे उन्हें ध्यान में आया कि इस प्रकरण में उलझाए गए हिन्दुत्वनिष्ठ तथा सनातन संस्था के साधकों के निर्दोष होने से उनके विरुद्ध कोई प्रमाण न होते हुए भी उन्हें इस प्रकरण में केवल द्वेष के कारण ही उलझाया गया है । दाभोलकर प्रकरण में प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्यों (गवाहों) ने पुलिस के कहने पर विविध लोगों को हत्यारे के रूप में पहचाना था, इसके साथ ही संदिग्धों के रेखाचित्रों में भी परिवर्तन किया गया था । हिन्दुत्वनिष्ठ ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून’ का विरोध कर रहे थे । इस संदर्भ में ७ वर्ष पूर्व ही संगणकीय पत्र ढूंढकर निकाला गया तथा ‘दाभोलकर पर निगरानी रखकर उनकी हत्या की गई’, इस प्रकार के आरोप लगाए गए ।


‘दाभोलकर-पानसरे हत्या : तपासातील रहस्ये ?’ (मराठी भाषा में जिसका हिन्दी अर्थ है ‘दाभोलकर-पानसरे हत्या : जांच के रहस्य) पुस्तक की भूमिका

डॉ. दाभोलकर-कॉ. पानसरे हत्या संबंधी प्रकाशित जानकारी, आरोपपत्र एवं न्यायालयीन आदेशों की पुस्तक एक विस्तृत शोध है । एक पक्ष है जिनकी हत्या हुई उन नास्तिकों का तथा दूसरा पक्ष है जिन संस्थाओं के सदस्यों पर हत्या का आरोप लगा है । डॉ. थढानी द्वारा की गई जांच के तटस्थ सत्य का शोध करने से असफल जांच तकनीक तथा पुलिस की जांच पर राजीनीतिक प्रभाव, यह पुस्तक इन दोनों सूत्रों पर प्रकाश डालती है । वास्तविक आरोपी न पकडे जाने से यह ध्यान में आता है कि सीबीआई समान सर्वोच्च अन्वेषण संस्था भी कैसे अन्यायकारक कृत्य करती है । डॉ. थढानी ने दोषियों को दंड तथा निरपराधियों के संरक्षणार्थ पुलिस दल एवं न्यायिक प्रक्रिया में सुधार हेतु अनुवर्ती प्रयास किए हैं ।

इस प्रकरण में ३ संदिग्धों को न्यायालय ने निर्दोष मुक्त कर दिया है, इसके साथ ही मुंबई उच्च न्यायालय में जिन २ संदिग्धों पर अभियोग चल रहा है, आशा है कि वे भी इससे शीघ्र ही मुक्त होंगे । डॉ. थढानी ने इस विषय में ‘द रैशनलिस्ट मर्डर’ नामक मराठी तथा अंग्रेजी भाषाओं में पुस्तकें लिखी हैं । इस पुस्तक में उन्होंने इस प्रकरण के १० सहस्र पृष्ठ का आरोपपत्र, विविध न्यायालयीन आदेश, सीबीआइ में अज्ञात सूत्रों के आधार पर समाचारपत्रों द्वारा दिए गए सैकडों झूठे वृत्त एवं उनसे इस प्रकरण की दिशा भटकाने का किया गया प्रयत्न, इन विषयों पर भी सूत्रबद्ध विवेचन किया है ।

३. दर्शन के ‘ऑनलाईन’ आरक्षण के भ्रष्टाचार की ओर मंदिर व्यवस्थापन द्वारा अनदेखी करने के विषय में न्यायालयीन याचिका

कोरोना महामारी के समय मुंबई के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक मंदिर के प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता था । उस समय डॉ. थढानी ने मंदिर के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट कर इस गलत प्रथा को रोका । कोरोना महामारी के काल में सरकार ने इस मंदिर में प्रत्यक्ष दर्शन पर बंदी लगा दी तथा प्रवेश के लिए संगणकीय ‘एप’ पर प्रविष्टि अनिवार्य की । इस कारण मंदिर के बाहर खडे हुए दलाल इस ‘एप’ पर अधिक स्थान आरक्षित कर लेते थे । इससे सामान्य श्रद्धालु को भारी धनराशि देकर ही मंदिर में प्रवेश मिल पाता था । ये सब मंदिर व्यवस्थापन तथा सुरक्षा कर्मचारियों की आंखों के सामने हो रहा था । डॉ. थढानी ने इस विषय में याचिका प्रविष्ट की । तदुपरांत मंदिर न्यासियों ने श्रद्धालुओं को सीधे मंदिर में प्रवेश देना आरंभ किया, इसके साथ ही ‘एप’ का दुरुपयोग कर अधिक स्थान आरक्षित करने की कुप्रथा पर भी अंकुश लगाया ।
डॉ. थढानी ने भ्रष्टाचार के विषय में सामाजिक माध्यमों पर आवाज उठाई । तदुपरांत इस विषय पर वर्तमानपत्रों में २-४ लेख भी प्रकाशित किए । इसके परिणामस्वरूप मंदिर व्यवस्थापन ने मंदिर दर्शन के लिए नई कार्यप्रणाली आरंभ की । इसके अनुसार दर्शन के लिए ‘ऑनलाईन’ आरक्षण केवल एक दिन पहले होगा, ऐसी कार्यपद्धति बना दी ।

मुंबई के श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर सहित सरकारीकरण हुए मंदिरों के विषय में डॉ. अमित थढानी के विचार !


‘प्रभादेवी के श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर के न्यासियोेंं में आपसी मतभेद हैं । इसलिए वे मंदिर का व्यवस्थापन करने में असमर्थ हैं’, इस कारण वर्ष १९८० में महाराष्ट्र सरकार ने एक अध्यादेश निकाला तथा कानून में उसका रूपांतर कर, यह मंदिर सरकारी नियंत्रण में ले लिया । तदुपरांत उस न्यास को ‘श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट’ का नाम दिया गया । कानून के अनुसार मंदिर का प्रत्येक न्यासी हिन्दू होना चाहिए; परंतु वास्तव में वैसा दिखाई नहीं देता । मंदिर के कर्मचारियों को वेतन मिलता है । प्रत्येक न्यासी राजनीतिक नेता है । मंदिर का पैसा मंदिर के विकास, पूजा, भूमि तथा सामग्री खरीदने के लिए खर्च होना चाहिए; परंतु वैसा होता नहीं है । मंदिर का पैसा विद्यालय, अस्पताल चलाने के लिए तथा धर्मादाय संस्थाओं को दिया जाता है । मिरज में सिद्धिविनायक कैन्सर अस्पताल को इसी मंदिर से पैसा दिया जाता है । मंदिर के कामकाज में प्रत्येक चरण पर त्रुटियां हैं ।

श्री सिद्धिविनायक मंदिर के आर्थिक व्यवहारों की जानकारी हमने सूचना अधिकार के अंतर्गत लेकर वहां का भ्रष्टाचार उजागर किया है । मंदिर का पैसा मुसलमानों को भी दिया जाता है । जिनकी श्रद्धा नहीं, उन्हें पैसा क्यों दिया जाता है ? ‘मंदिरों के न्यासी के रूप में केवल राजनीतिक नेताओं को न चुनकर योग्य पात्र एवं गुणी व्यक्ति को नियुक्त करना चाहिए, मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त कर भक्तों के स्वाधीन किए जाएं, इसके साथ ही मंदिरों की निधि केवल हिन्दू, हिन्दू धर्म एवं मंदिरों के लिए ही उपयोग में लाई जाए’, इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के साथ संगठितरूप से कार्य करने के लिए प्रयत्नरत हूं ।
– डॉ. अमित थढानी